शादी की नीयत वाले घर लेकर जाते हैं
होटलों के कमरों में नहीं..
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मैं पतंजलि का लेमन ज्यूस,
तुम ठंडी बियर की बोतल हो...💝
मैं ठिलिया चाट-समोसे की,
तुम ताज सा महंगा होटल हो...😌-
दिल के होटल में रूम बुक कराया था।
बैग खुला तो दिखा उसने क्या क्या चुराया था।-
यादों में बसे हो तुम, मैं तुम्हें कैसे भुल पाऊँगा।
जबभी याद आओगे तुम, तुम्हारी ओर आऊँगा।
तुमको भूलना मेरे बस में नहीं है ओ मेरे सनम।
मैं इस जन्म में तुमको कभी भी न भूल पाऊँगा।
जिस गली, जिस शहर, जिस ओर भी जाऊँगा।
ओ मेरे हमदम मेरे हमराही तुझको ही पाऊँगा।
सबर की दीवार जो लगा रखी है मैंने दरमियां।
दिल कहता है कि अब उसको "तोड़ आऊँगा"।
तेरे बिना "एक लम्हा" भी मुझसे गुज़रता नहीं।
सोचता हूँ ये ज़िंदगीकादरिया कैसे पी पाऊँगा।
आँखों में नमी और दिल में कई जज़्बात लिए।
आ तो गयाहूँ मैं पर तेरेबिन कैसे लौट पाऊँगा।
माना धीरे-धीरे चलती है मोहब्बत की नाव साथी।
पर वोजो हिचकोलेआएँगे उनसे कैसेपारपाऊँगा।
तेरेबिन जीताहूँ तो लगताहैं जैसे गुनाहकररहाहूँ।
जो तेरेबिन मरगया तो फिर मैं कैसे जी पाऊँगा।
सुंदर-सुंदर सपने सजाए थे मैंने साथ में तेरे जान।
अंतमें जब तोड़नेकीबारीआएगी कैसेतोड़पाऊँगा।
आहिस्ताआहिस्ता एहसासहुआ हमेंतेरीचाहतका।
दिलकहताहै तेरेसाथहीरहना है तुझेकैसेलाऊँगा।
उसकोहीनहीं पता "अभी" उससेकितनीमोहब्बतकरते हैंहम।
अबतुमहीबताओयारों, अब उसनासमझको मैं कैसेबताऊँगा।-
लॉकडाउन हुई उसकी कोम्बोपैक कहानी,
घर में झूठ और होटल में शाम बिता रहा था।-
मेरे पास मत आना
क्यूँ क्या हुआ ?
डर लग रहा है?
हाँ
तुम
तुम क्या?
तुम तो मर चुकी हो,ये कैसे हो सकता है?
हो सकता है तुम सपना देख रहे हो,हाहाहाहा हाहाहाहा।
वो हड़बड़ा कर उठ गया,हाँ सपना ही था।पानी पीने को मुड़ा तो समझ नही पाया,वो तो घर पर सोया था।
ये तो वही होटल का कमरा है।
7सितारा कमरा नम्बर 424...
भीड़ हर जगह बदबू हर जगह आज ब्रेकिंग न्यूज़ में आ रहा है- 7सितारा होटल के कमरे नम्बर 424 में एक जोड़ा मृत पाया गया।लड़की की लाश सड़ चुकी है,और उसके प्रेमी ने भी फांसी लगा ली कल रात।-
बेधड़क चले आये जनाब,
ये हमारा दिल है,
कोई 5 सितारा होटल नहीं,
जहां रुकने की कीमत वसूली जाए...!-
वहां होटल सी फीलिगं हो रही थी
हैं अच्छे घर में ही अच्छे - बुरे हम-
दरख़्तों की कटी शाखाएं पुकारती
कुल्हाड़ी से मुठभेड़ में
मैं शहीद हुआ
अंतिम दर्शन को भी ना आए तुम
आओ कि तुम भी देखो
दरख़्त मैं जहाँ
अरसे से अड़ा था
अब वहा होटल खड़ा था-
छोटुअक्सर आकाश की थाली में चंद सिक्को के साथ रोटी का चमकता टुकड़ा देखता था और उसकी आँखों में पानी भर आता था वह उसे पकड़ने के लिये आगे बड़ा और हाथ बड़ाने लगा ।जैसे ही चाँद की तरफ उसका हाथ बड़ा उसकी आँसुओं की परत में हलचल उठी और पानी पर कई वलय बन गये जो कि उसकी चाँद वाली रोटी को ओझल कर गये वह घबराया जिससे उसका सपना टूट गया। वह उठ कर दरवाजे की तरफ दौड़ा माँ ने कई आवाज लगायी उसने एक भी न सुनी। और अपने घर के पास के होटल की रोड के दूसरी पार खड़ा हो गया।होटल में लोगो के हाथों में रोटी का एक एक टुकड़ा उसे चाँद नज़र आ रहा था। जो उसके सपने की भाँति मिलों दुर व एक अदृश्य परत में कैद नजर आ रहा था।कुछ देर होटल को ताकने के बाद वो वापस घर आ गया।
माँ बोली बेटा ले रोटी खा ले आज मालकिन के यहाँ पार्टी थी तो खाना बच गया था जो तेरे बापू ले अाये।छोटू ने आँसू पोंछे और पहले अपनी माँ को खिलाया फिर खुद खाया।और बोला------ माँ यह चाँद हमारी थाली में रोज क्यों नहीं सजता।ये हमसे आसमान के चाँद की तरह दुर क्यूँ है।माँ रोने लगी और बोली----- बेटा चाँद को सितारों जैसे कई सिक्कों के साथ आने की आदत है वह तारों के बिना नहीं आता।बच्चा खाने में व्यस्त था उसे माँ की बात समझ में नहीं आई।उसे खुश देख माँ ने भी आँसू पौछे और खाना खाने लगी।-