Parul Sharma   (Parul Sharma)
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मेरे दो अनमोल रतन
Insta id bol_dil_k_phool_se
Joined 20 December 2016


मेरे दो अनमोल रतन
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Joined 20 December 2016
7 JAN AT 9:43

जो कल आज और कल है
दिल जिसका साथी है
और दिल नितांत अकेला और बेबस है

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7 JAN AT 9:27

जितनी
वो उतना ही ज़रूरी था
वरना इस दुनिया में कुछ भी जरूरी नहीं था
इस प्रवृत्ति को स्वार्थ माना ही नहीं किसी ने
किसी ने मजबूरी किसी ने स्वतंत्रता
किसी ने मूलभूत आवश्यकता कह कर
अपना अपना अधिकार समझा

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7 JAN AT 9:12

My presence in the present

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7 JAN AT 0:26

दिल की मासूमियत जो छीन ले वही कयामत है ।

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6 JAN AT 23:57

वो पुराने खत
कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं
आज उन्हीं नज़्मों पर
खूब वाहवाही मिलती है
तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या
इस वाहवाही में
किसी ना किसी की
आह दब जाती है वो बटोर लेता है
अपने दर्द इन शब्दों के गागर में
अगर किसी का भी दिल हल्का हो जाय
दर्द घट जाये तो रचना पूर्ण है
इस गागर में सागर
प्रेमिका व प्रेमी के प्रेम की अभिव्यक्ति है
जो नज़्में लिखी जाती है
अपने प्रेमी या प्रेमिका का के लिए
जो सिर्फ एकतरफा हो दो तरफा भी हो
समझे नहीं जाते या समझे भी जाते हो
दफन तो नहीं है जाते
वो हो जाते हैं अमर कवि
और कवि की रचना की तरह
तुमने जिन्हें जाना नहीं या
थे अनभिज्ञ या जानबूझ कर अनजान थे
वो मेरे पुराने प्रेम पत्र
जो पहुंचे नहीं तेरे दिल तक
वन कर नज़्म अमर हो रहे हैं
हर किसी के दिल में जगह बना के
किसी फिल्मी गाने की तरह
गायें जाते हैं गायें जायेंगे
क्योंकि वो प्रेम पत्र है
सब अब बस वो प्रेम पत्र है
गुमनाम प्रेमिका के प्रेमी के लिए
गुमनाम प्रेमी के प्रेमिका के लिए
अब बस वाकई वो प्रेम पत्र ही है
फिल्मी गानों की तरह जिन्हें
कोई भी गा सकता है
अपने प्रेमी प्रेमिका के लिए

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6 JAN AT 10:20

जो हो लवों पे मुस्कराहट
तो
मन अगर हो जाए मंदिर तो
जीवन सदा रहेगा कमल सा

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4 JAN AT 16:12

सब कर्मों के आधार पर है
प्रारब्ध में भी कर्मों का जोड़ घटाव है
भूत भविष्य की चिंता छोड़ दे
अपना वर्तमान सुधार तू
तेरे कर्मों से ही तेरा वेड़ा पार है

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3 JAN AT 22:04

बिल्कुल भी बातें नहीं होती फिर भी
जाने क्यों, कैसे इतनी बातें बनती हैं

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3 JAN AT 21:40

आसान तो कुछ नहीं होता बनाना पड़ता है
जीना है अगर तो जिंदगी से जूझना पड़ता है
सभी रिश्ते देता है ईश्वर कर्मों के आधार पर
हर रूप में अपना किरदार निभाना पड़ता है

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3 JAN AT 21:27

१. क्योंकि लेखक खोया खोया रहता है तो उसके पार्टनर को लगता है कि इसका कहीं और चक्कर तो नहीं चल रहा

२. लेखक सामने वाले की बातचीत में से कई बातचीत पर कविता लिख देता है तो सामने वाला बात करने से डरता है कि जाने कौन सी बात हाईलाइट हो जाये

३. लेखक/कवि अपनी कविता सुना सुनाकर पका देता है ये कविता मैंने आज ही बनाई है इसे सुन लो ये तो अभी ही लगी है इसे तो सुन ही लो बस ये वाली और सुन लो बस ये लास्ट कविता है इसके बाद कोई कविता नहीं सुनाऊंगा

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