उफ्फ ये नजाकत ये शोखियाँ ये तकल्लुफ...
कही तू उर्दू का कोई हसीन लफ्ज़ तो नही ?-
utna acha koi nahi
वो पास से क्या जरा सा मुस्करा कर निकली,
मैं उसे अपना दिल वही दे बैठा....-
तेरा वो सूट काला,
जिसे पहनकर तूने केहर ढाया...
तेरा भोला सा चेहरा,
जिसपे मेरा दिल आया....
तेरी नशीली आंखें,
जिसने हमें आशिक बनाया...
तेरा कांधे का वो तिल,
जिसने हमें शायर बनाया....-
वो काली कुर्ती मैं मानो जैसे Black label की bottel हो,
वो जब चलती है तो मानो जैसे 12 bore हो,
वो बोले तो मानो जैसे शहद की बारिश हो,
वो मुस्कराए तो मानो जैसे खिलता गुलाब हो,
वो खुली जुल्फो में मानो जैसे स्वर्ग से उतरी अप्सरा हो.....-
हर ख्वाब मे है तू...
हर जवाब में है तू....
पढ़ कर देख मेरी जिंदगी की किताब को,
हर किस्से मे है तू.....-
अरे बावली,
बात एक पल की नही है, और
चांदनी एक रात की नही है...
नशा है तेरे मैं,
जानता हूँ तू पुरानी शराब सी है,
अब क्या कहूँ , तू लाजवाब सी है..…..
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तुझे, जल्दबाजी किस बात की है?
तुझे, निराशा किस बात की है?
तेरा खुदा कहता है,
थोड़ी देर और ठहर जा तेरे लिए बड़ी बात सोची है.....
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अपना हाल-ए-दिल मैं कुछ यू बया करता हूं,
कलम की स्याही से पन्ने रंग देता हूं..
फिर चाहे कोई मेरे हाल-ए-दिल को शायरी कहे मुझे परवाह नही..
दर्द तो तब होता है जब कोई वाह वाह करता है...-
वो कहती है,तुम्हे मेरी याद नही आती..
अब क्या बताएं उसे....
मेरे साथ जो कमीने रहते है,
वो किसी की याद आने नही देते....-
जो कभी सारी रात हमसे बाते करते करते सो जाया करते थे,
आज वो रकीब की राते रंगीन करके सोते है....
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