Yogesh Dhyani  
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लिखता हूं जब
उड़ता हूं तब
बाकी वक्त किसी पंक्षी सा
इक पिंजरे में बंद रहता हूं
Joined 26 March 2017


लिखता हूं जब
उड़ता हूं तब
बाकी वक्त किसी पंक्षी सा
इक पिंजरे में बंद रहता हूं
Joined 26 March 2017
13 AUG 2022 AT 23:05

कभी तो रखता आंखों पर कभी चढ़ाता हूं सर पर,
कड़ी धूप है ये दुनिया,और तुम काला चश्मा हो।

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15 JAN 2022 AT 21:30

कच्चा होगा मेरा रंग
तो बारिश मे धुल जायेगा
बातों का इत्र
तर्क की आंधी में उड़ जायेगा
कुछ होगा यदि मुझमें खास तो टिकेगा
वरना सब राख सा झड़ जायेगा
जो झड़ेगा सबसे पहले
यही दिखावा होगा....।

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14 JAN 2022 AT 10:29

एक संसार कहीं पर होगा,
जहाँ न कोई बेघर होगा।

मदद की खातिर होंगे हाथ,
मुश्किल मे कोई गर होगा ।



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13 JAN 2022 AT 13:05

कोई हुंकार कहीं भरता है,
और ये शहर सुलग जाता है।

राम के नाम पर कभी तो कोई,
खुदा के नाम पे ठग जाता है।



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12 JAN 2022 AT 10:00

लकड़ी वाला चूल्हा

सबने कोसा
"फिर जला दी सब्जी?"
नही पूछा किसी ने
जलते चूल्हे में लकड़ी झोंकते
हाथ का हाल !

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11 JAN 2022 AT 13:46

कोई चीज़ न मिलने पर
ख़ामियाँ गिनाते हैं वो चीज़ की
और मिल जाने पर
सहूलियतें गिनाते फिरते हैं

कोई उनसे सीखे
ग़म को आधा
और खुशी को दोगुना करने का
ये नुस्ख़ा ।

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10 JAN 2022 AT 9:08

बहुत पानी के छींटों से भिगोया आंख को अपनी,
मगर एक ख्वाब आंखों से निकलता ही नहीं बाहर।

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9 JAN 2022 AT 8:24

The dew gets wet and the blankets shiver.

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9 JAN 2022 AT 8:16

सौ-सौ दरवाज़ों के पीछे छुपकर बैठा हूँ,
नहीं हूं मैं वो जो तुमको दस्तक पर मिलता है।

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8 JAN 2022 AT 8:13

नींद आसान हो जायेगी,
इसके सपने चुरा लीजिये।

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