कभी तो रखता आंखों पर कभी चढ़ाता हूं सर पर,कड़ी धूप है ये दुनिया,और तुम काला चश्मा हो। -
कभी तो रखता आंखों पर कभी चढ़ाता हूं सर पर,कड़ी धूप है ये दुनिया,और तुम काला चश्मा हो।
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कच्चा होगा मेरा रंगतो बारिश मे धुल जायेगाबातों का इत्र तर्क की आंधी में उड़ जायेगाकुछ होगा यदि मुझमें खास तो टिकेगावरना सब राख सा झड़ जायेगाजो झड़ेगा सबसे पहलेयही दिखावा होगा....। -
कच्चा होगा मेरा रंगतो बारिश मे धुल जायेगाबातों का इत्र तर्क की आंधी में उड़ जायेगाकुछ होगा यदि मुझमें खास तो टिकेगावरना सब राख सा झड़ जायेगाजो झड़ेगा सबसे पहलेयही दिखावा होगा....।
एक संसार कहीं पर होगा,जहाँ न कोई बेघर होगा।मदद की खातिर होंगे हाथ,मुश्किल मे कोई गर होगा । -
एक संसार कहीं पर होगा,जहाँ न कोई बेघर होगा।मदद की खातिर होंगे हाथ,मुश्किल मे कोई गर होगा ।
कोई हुंकार कहीं भरता है,और ये शहर सुलग जाता है।राम के नाम पर कभी तो कोई,खुदा के नाम पे ठग जाता है। -
कोई हुंकार कहीं भरता है,और ये शहर सुलग जाता है।राम के नाम पर कभी तो कोई,खुदा के नाम पे ठग जाता है।
लकड़ी वाला चूल्हासबने कोसा "फिर जला दी सब्जी?"नही पूछा किसी ने जलते चूल्हे में लकड़ी झोंकते हाथ का हाल ! -
लकड़ी वाला चूल्हासबने कोसा "फिर जला दी सब्जी?"नही पूछा किसी ने जलते चूल्हे में लकड़ी झोंकते हाथ का हाल !
कोई चीज़ न मिलने परख़ामियाँ गिनाते हैं वो चीज़ कीऔर मिल जाने पर सहूलियतें गिनाते फिरते हैं कोई उनसे सीखे ग़म को आधा और खुशी को दोगुना करने का ये नुस्ख़ा । -
कोई चीज़ न मिलने परख़ामियाँ गिनाते हैं वो चीज़ कीऔर मिल जाने पर सहूलियतें गिनाते फिरते हैं कोई उनसे सीखे ग़म को आधा और खुशी को दोगुना करने का ये नुस्ख़ा ।
बहुत पानी के छींटों से भिगोया आंख को अपनी,मगर एक ख्वाब आंखों से निकलता ही नहीं बाहर। -
बहुत पानी के छींटों से भिगोया आंख को अपनी,मगर एक ख्वाब आंखों से निकलता ही नहीं बाहर।
The dew gets wet and the blankets shiver. -
The dew gets wet and the blankets shiver.
सौ-सौ दरवाज़ों के पीछे छुपकर बैठा हूँ,नहीं हूं मैं वो जो तुमको दस्तक पर मिलता है। -
सौ-सौ दरवाज़ों के पीछे छुपकर बैठा हूँ,नहीं हूं मैं वो जो तुमको दस्तक पर मिलता है।
नींद आसान हो जायेगी,इसके सपने चुरा लीजिये। -
नींद आसान हो जायेगी,इसके सपने चुरा लीजिये।