Anuup Kamal Agrawal   (A.AG.)
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10 SEP AT 3:03

कभी बड़बड़ाता है, कभी बुदबुदाता है
अब कहाँ पहले सा, अँधेरा गुनगुनाता है

कभी लेता है सिसकारी, कभी कसमसाता है
अब कहाँ पहले सा, अँधेरा गुनगुनाता है

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9 SEP AT 21:38

लगता है फिर से प्रेम उग आया है
लगता है फिर से प्रेम युग आया है
जाने कहाँ से मिल गया मोती
हँस हृदय का प्रेम चुग आया है

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9 SEP AT 21:36

गहरी हैं जड़ें अपने प्यार की
न तुमने सींचा न मैंने

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9 SEP AT 21:33

the fire you have...

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9 SEP AT 21:31

क्या क्या न किया


बना रहा नासमझ
सब कुछ समझकर

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9 SEP AT 21:01

मेरी कमी का अहसास होगा
जब सब कुछ तुम्हारे पास होगा

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9 SEP AT 15:28

बैचेनियाँ थी जो इश्क़ में
याद आ रही है वो सारी
शैतानियाँ थी जो इश्क़ में

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8 SEP AT 19:56

इधर भी दरवाजा है
उधर भी दरवाजा है
किस तरफ हो तुम बैठी
कोई न अंदाजा है

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8 SEP AT 19:26

ख्वामख्वाह करें
बदनाम

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8 SEP AT 7:03

पास अपने आने देना
होठों से न लगाओ तो
गले तो लगाने देना

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