कभी बड़बड़ाता है, कभी बुदबुदाता है
अब कहाँ पहले सा, अँधेरा गुनगुनाता है
कभी लेता है सिसकारी, कभी कसमसाता है
अब कहाँ पहले सा, अँधेरा गुनगुनाता है-
Anuup Kamal Agrawal
(A.AG.)
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#आगग़ज़ल
#लघुकथा_आग
#आगदोहा
#eroticaag
#tearotica
#aagonzindagi
Disclaimer: Words are expres... read more
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Joined 4 October 2016
10 SEP AT 3:03
9 SEP AT 21:38
लगता है फिर से प्रेम उग आया है
लगता है फिर से प्रेम युग आया है
जाने कहाँ से मिल गया मोती
हँस हृदय का प्रेम चुग आया है-
9 SEP AT 15:28
बैचेनियाँ थी जो इश्क़ में
याद आ रही है वो सारी
शैतानियाँ थी जो इश्क़ में-
8 SEP AT 19:56
इधर भी दरवाजा है
उधर भी दरवाजा है
किस तरफ हो तुम बैठी
कोई न अंदाजा है-