Abhishar Ganguly   (अभि:एकतन्हामुसाफ़िर)
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Joined 2 December 2017


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3 HOURS AGO

आँसुओं से भीगी रात, तेरी याद में बीती रात।
तारे गिन-गिन कर ही जानम मेरी बीती रात।

दिल चाहता है अब करनी तुझसे मुलाक़ात।
दिल में अब भी दफ़न है मेरे ढेर सारी बात।

इश्क़ में खोकर के हो गए हैं खस्ता हालात।
मेरे काबू में न रहे मेरे इस दिल के जज़्बात।

उसका आना हो सकता है इश्क़ की सौगात।
तब तक आँखों से हो रही है गीली बरसात।

जब प्यार हो जाता हैं तब देखा नहीं जाता।
इश्क़ में अपने महबूब सनम की "औकात"।

कि इश्क़ जब हो जाता हैं किसी इंसान से।
मिलने लगते हैं उसके साथ अपने ख़्यालात।

बस एक ही ख़्वाहिश है मेरे दिल की "अभि"।
मरते दम तक हो "उसके हाथों में मेरा हाथ"।

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7 HOURS AGO

दामन खाली है मेरा, खाली मेरे दिल के जज़्बात है।
कल तक जो मुकम्मल थे आज अधूरी वो बात है।

इश्क़ के जुमलों में तो अब दिखता ही नहीं मरहम।
बस काँच से हो गए इश्क़ की मौसम के सौगात है।

कि दोस्ती भी अब बस मतलब के लिए ही होती हैं।
दोस्त दोस्ती ये देखकर करते हैं कैसे तेरे हालात है।

अच्छे दिनों में सब लोग आकर मजलिश लगाते हैं।
बुरे दिनों में आकर देखकर चले जाते हैं औकात है।

दिल बड़ा और भरा हुआ होने से कोई फ़ायदा नहीं।
इनके लिए तो "जेब का भरा होना" ही बड़ी बात है।

वो बड़े है तो उनके सामने झुक कर ही रहना पड़ेगा।
उनके आगे-पीछे करने वालों को मिलती "खैरात" है।

मतलबपरस्त दुनिया में एहसानफ़रामोश ही रहते हैं।
उनके सामने हम सच्चे लोगों की क्या ही बिसात है।

तू तो ताउम्र "एकतन्हामुसाफ़िर" ही रह गया "अभि"।
क्या पता तुझपे मोहब्बत की कब होगी बरसात है।

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11 HOURS AGO

मेरी पुरानी कविता जाने क्यों अब मुझे नई लगती हैं।
उसके लफ़्ज़ों की कारीगरी अब मुझे सुरमई लगती हैं।

माँ की बातें तो क्या ही कहूँ जैसे "इनायत" हो रब की।
सच बताऊँ तो माँ की ख़ामोशी भी ममतामई लगती हैं।

इश्क़ का असर जैसे धीरे-धीरे चढ़ने लगता हैं रगों में।
इश्क़ की हरकतें उफ्फ, हर एक पल जादुई लगती हैं।

जो भी होता हैं किसी न किसी मक़सद से ही होता हैं।
जिंदगी के हर मसले में मुझे ख़ुदा की ख़ुदाई लगती हैं।

अब "परेशानियों से परेशान" नहीं होता हूँ मैं मेरे यारों।
मुझे ये परेशानियाँ अब "हौसला अफ़जाई" लगती हैं।

बार-बार होकर भी कोई काम पूरा ही नहीं हो पाता है।
फिर भी लगा रहता हूँ मुझे ये रब की रूबाई लगती हैं।

आसपास का सबकुछ मुझे बड़ा अच्छा लगता हैं "अभि"।
क्योंकि ये पूरी दुनिया मेरे भगवान की बनाई लगती हैं।

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24 APR AT 22:32

घर अकेला रह गया एक-एक कर के सब घरवाले चले गए।
अंधेरा ही अंधेरा छाया हुआ है जीवन में, मेरे उजाले चले गए।

अब कोई हिफाज़त नहीं करता है मेरे जान-माल की मेरे यारों।
दुनिया में जो मेरे लिए आए थे मेरे वो सारे रखवाले चले गए।

चाहता है अब ये दिल की कोई भी न पहचाने मुझको यारों।
कि मदहोश सी पहचान हो गई है मेरी, मेरे होशवाले चले गए।

शराब और शबाब से तो दूर-दूर तक अपना कोई वास्ता न था।
पर आलम ये है अब प्यासा ही रहता हूँ मैं, मेरे प्याले चले गए।

अजीब सी हो गई है ज़िंदगी की ये साँस और हिसाब "अभि"।
अब बस गुमसुम रहता हूँ मैं, क्योंकि मुझे सुनने वाले चले गए।

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24 APR AT 9:54

मोहब्बत जब होगी तब ये दुनिया ख़ूबसूरत और हसीन हो जाएगी।
जब ये मोहब्बत चली जाएगी तो ये दुनिया फिर ग़मगीन हो जाएगी।

मोहब्बत के आलम में सबकुछ अच्छा, सुंदर, प्यारा, सुहावना लगता हैं।
उस समय तो सारी बातें बड़ी ही प्यारी और ये दिल दीवाना लगता हैं।

कोई आकर सही बातें भी बताए तो वो अपना दुश्मन लगने लगता हैं।
उस समय तो खुली आँखों से ही सुंदर सपन सलोना सजने लगता हैं।

मोहब्बत की राहों में चलकर के अंज़ाम केवल तन्हाई का ही मिलता है।
लाख सच्ची मोहब्बत करले कोई अंत तोहफ़ा जुदाई का ही मिलता है।

होश ठिकाने पर तब आते हैं जब महबूब दिल तोड़कर के चला जाता हैं।
ताउम्र साथ निभाने की क़सम खाने वाला साथ छोड़कर चला जाता हैं।

पता नहीं जो बेहद ख़ूबसूरत होता हैं उससे ही बेइंतहा मोहब्बत होती हैं।
या वो ख़ुद ही बहुत सुंदर लगने लगता हैं जिससे हमें मोहब्बत होती हैं।

कुछ अच्छाई भी होती हैं मोहब्बत की "अभि" इंसान ख़ुश रहने लगता हैं।
ये जीवन ख़ुशनुमा सा एक गीत बन जाता हैं और प्रेमी चहकने लगता हैं।

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23 APR AT 21:51

हर आदमी अपनी अपनी सहूलियत के अनुसार ही जिया करता है।
ये इंसान इतना मतलबी है कि सुविधानुसार सहायता किया करता है।

अच्छा फ़ायदा दिखता है तो अच्छा बनने का दिखावा किया करता है।
जब नुकसान की गुंज़ाइश वाली स्थिति में मुँह मोड़ लिया करता है।

सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात है कि आज इंसान में इंसानियत नहीं है।
वो तो पशुता दिखाने में पशुओं को भी कड़ी टक्कर दिया करता है।

अपना फ़ायदा निकालने में कोई बुराई नहीं है, ज़रूर करना चाहिए।
पर जब ये आदत मजलूमों को दुःख दे तो मेरा दिल रो दिया करता है।

जो वो अगर चुपचाप तुम्हारी बात सुन रहा है तो उसे मूर्ख मत समझो।
मासूमों की अनकही बद्दुआओं का वो रब जल्दी असर दिया करता है।

किसीकी हार पे कभीभी मत इठलाओ, ख़ासकर जब तुम बेइमान हो।
बस इतना जान लो वैसा इंसान कभी भी बाज़ी पलट दिया करता है।

अक्सर मिल जाया करते हैं कुछ लोग जिन्होंने ताउम्र ग़लत ही किया।
आश्चर्य लगता हैं जब ऐसा इंसान मुझे जीवन की सीख दिया करता है।

ऐसा नहीं है कि अब ग़लत बातें तकलीफ़ नहीं देती हैं इस "अभि" को।
कि अब वो दुनियादारी समझ गया है और चुप चाप सह लिया करता है।

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22 APR AT 23:59

तन्हा तो नहीं हूँ मैं पर एक अकेलापन हरदम साथ में रहता है।
मेरी कोई ग़लती नहीं फिर भी आत्मग्लानि का दरिया बहता है।

कोई नहीं है साथ में मेरे, पर "कोई है मेरा" मुझे ऐसा लगता हैं।
बेहतर ही हो रहा है हर पल सब कुछ मुझमें मेरा दिल कहता है।

दिल की गहराई में जाकर अक्सर मेरा रोम-रोम झाँका करता है।
मुझे कोई नहीं चाहिए, मन मेरा ख़ुद से ही बात किया करता है।

दुनिया गलती करती हैं, "अभि" इल्ज़ाम ख़ुद पर लिया करता है।
चुप चाप रहता है ये मुसाफ़िर, बस ख़ुद से बातें किया करता है।

लगता हैं सोना बनना है तुझको "अभि" तेरा हरेक कण जलता है।
पता नहीं क्या आग है तेरे कण-कण में, तेरी आभा में, चमकता है।

मुझको तो ऐसा लगता हैं कि तुझे बहुत ही ज़्यादा आगे जाना है।
दिन भर तो चालू रहता ही है, रात भर भी तू चलता ही रहता है।

तूझे समझ नहीं सही ग़लत की "अभि" तू बस दिल की सुनता है।
सही कहने की गलती तू करें, आत्मग्लानी में तेरा मन जलता है।

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22 APR AT 21:28

कभी कभी डर लगता हैं कि मैं इतना ज्यादा सत्यवादी हूँ मैं इन झूठे लोगों के बीच कैसे रह पाऊँगा।
फिर सोचता हूँ मेरे जैसे कुछ और लोगों को अवश्य बनाया होगा भगवान ने उनके साथ रह जाऊँगा।

कभी कभी डर लगता हैं कि जरा सी भी ग़लती और झूठ और बेईमानी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती हैं।
फिर सोचता हूँ कि कोई तो होगा मेरी तरह सच का पुजारी उसके साथ उसके लिए ही जी जाऊँगा।

कभी कभी डर लगता हैं कि ग़लती देखते ही मेरा पारा चढ़ जाता हैं और मैं फिर बौखला जाता हूँ।
कभी कभी इस बात से डर जाता हूँ कि अक्सर गुस्से में मैं बिना कुछ सोचे कुछ भी बोल देता हूँ।

फिर सोचता हूँ कि कोई तो होगा जो मेरी ज़ुबान की खटास को न देखकर दिल की मिठास देखेगा।
उस एक इंसान को सोचकर के जिसे मेरे लिए बनाया गया होगा लाया गया होगा, जो मुझसा होगा।

सोचकर शांत हो जाता हूँ और उसके लिए ही "अभि" जी जाऊँगा, इस ज़िंदगी का ज़हर पी जाऊँगा।
दिल कहता है कोई तो होगा जो बिल्कुल मुझसा होगा, मेरे लिए बनाया गया होगा, उसको पाऊँगा।

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22 APR AT 14:39

क़लम और कविता का संबंध ऐसे है जैसे हो जिस्म और आत्मा।
साफ़ दिल वाले लोग ईमानदार होते है पाप का होता हैं खात्मा।

अपने जीवन में कभी भी लिखना मत छोड़ना ओ मेरे प्यारे दोस्त।
क्योंकि वहीं लोग लिख पाते हैं जिनको आशीर्वाद देते है परमात्मा।

जब भी कोई लेखक मुझसे कहते हैं कि अब मुझे लिखना नहीं है।
तो मैं कहता हूँ कि लाखों में से किसी एक को ये कला मिलती हैं।

ईश्वर के दिए हुए इस आशीर्वाद का सदुपयोग करना है आपको।
लेखनी एक ऐसी कली है जो साफ़ दिल वाले के घर में खिलती है।

शुरुआत में हम केवल अपने दर्द और स्व अंतर भावनाएँ लिखते हैं।
फिर लेखनी एक जिम्मेदारी बन जाती हैं समाज के लिए लिखते हैं।

कभी भी अपने मन में आए हुए भाव और विचारों का न रोका करो।
कलम जो भी लिखना चाहें लिख दो, इस क़लम को न टोका करो।

मैं चाहता हूँ "अभि" कि हर एक इंसान आए और कुछ लिखा करें।
जीवन में कैसे जीना है और आगे बढ़ना है सिखाए और सीखा करें।

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21 APR AT 21:57

सादगी भरा जीवन सही मायने में एक इंसान को इंसान बनाता है।
असल में यहाँ से जाने के बाद भी "सबके दिल में" वहीं रह पाता है।

जिसको ईमानदारी से, सच्चे दिल से, ज़िंदादिली से जीने आता है।
ताम-झाम, झूठे दिखावे, लाव-लश्कर से कुछ भी नहीं हो पाता हैं।

बाक़ी आशीर्वाद और दिल से निकली दुआएँ ही काम में आती हैं।
बाकी पैसा-कौड़ी, धन-दौलत पंख लगाकर के फुर से उड़ जाता हैं।

बुरे वक़्त में जो काम आए वैसे लोगों की कमाने की कोशिश करो।
काहे कि "मतलब की ज़मीन" पर बना रिश्ता अंत में ढह जाता हैं।

जो तुम्हारी ख़ुशी में तुमसे भी ज्यादा ख़ुश और ग़म में उदास हो।
ईश्वर क़िस्मत और साफ़ दिल वालों को ऐसे लोगों से मिलाता है।

"सत्य की राह पर चलने में" कभी भी कौताही मत करना दोस्तों।
सच के राह पर चलकर के ही मोक्ष और मुक्ति का मंदिर आता है।

जानता हूँ कि ऐसा कई बार होता हैं, काम बन के बिगड़ जाता हैं।
पर हार नहीं मानना है करते जाना है अंत में काम हो ही जाता हैं।

अच्छे उद्देश्य से किए गए सभी कार्य कभी भी व्यर्थ नहीं जाते हैं।
ईश्वर द्वारा इन कार्यों का फल हमें इसी जन्म में दे दिया जाता हैं।

बार-बार बोलने से कोई भी अच्छा या सही नहीं होता हैं "अभि"।
सत्य-अच्छाई का बीज अधर्म के मरुस्थल में भी खिल जाता हैं।

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