ज़िंदगी शायरी हो गई है मेरे सनम जिसमें हम तुमको लिखा करते हैं।
वो जो बातें तुमसे कह न सके वो अनकही बातें बयाँ किया करते हैं।
जानते हैं कि तुमसे मिलना अब मुमकिन नहीं है इस जन्म में हमारा।
फिर भी हम जाने क्यों "जान" मेरी तुम्हारा ही इंतज़ार किया करते हैं।
अब तक ठीक से तुमको हमने पाया भी नहीं है देखो न तुम्हीं आकर।
पागलों की तरह पता नहीं क्यों अक़्सर ही हम तुम्हें खोने से डरते हैं।
लगता हैं इस जन्म में हमारा एक होना लिखा हुआ नहीं था लकीरों में।
फिरभी हम कितने नासमझ है, हाथों की लकीरे बारहा देखा करते हैं।
कुछ वक़्त पहले तुम्हारे लिए सबसे ख़ास हुआ करता थे हम, याद है।
अब तो एक धूल भी नहीं रह गए हैं तुम्हारे पैरों की, अफ़सोस करते हैं।
कि अंजाम-ए-इश्क़ में बस हार ही आई हैं हिस्से में मेरे ओ मेरे यारों।
बस एक झलक दिख जाए उसकी, रब से यहीं फ़रियाद किया करते हैं।
जो खो गया अब लौटके नहीं आएगा जानते हैं हम, बेहद अज़ीज़ था वो।
लोग कहे, भूल जाओ, ख़ुश रहो, बड़ा कठिन है, फिरभी प्रयास करते हैं।
दिल के ख़ून से लिखते हैं हम सब कुछ, अच्छा-बुरा मायने नहीं रखता।
कभी दर्द-ए-दिल, कभी तन्हाई, कभी उनके संगके अच्छे लम्हें लिखते हैं।
लोग आते हैं, वाहवाही करके चले जाते हैं "अभि" इन शेर-ओ-शायरी पे।
हमारे लिए तो ये हमारे कलेजा का टुकड़ा है, हम सँभालकर के रखते हैं।-
इतनी तेज़ धूप में भी वो बाहर जाकर के काम करता है।
बच्चों का पेट भरना है इसलिए कहाँ वो आराम करता है।
अपनी क्षमता से परे जाकर भी वो सदा मेहनत करता है।
स्व परिवार की सोचने वाले को "अभि" सलाम करता है।
जिसके माता-पिता ग़रीबी में भी उसे पढ़ाते-सिखाते हैं।
उन्हीं का बच्चा बड़ा होकर एक दिन उनका नाम करता है।
स्व बचपन में जिसने बेइज्जती और असमानता सही हो।
बड़ा होने पे उसी के पित्रौ को ये समाज प्रणाम करता है।
कोई भी पैसे, धन, ज़मीन और संपत्ति से बड़ा नहीं होता।
जो इसे समझ जाता है हर कोई उसको सलाम करता है।
न अपने स्वार्थ हेतु आज तक उसने कुछ भी ग़लत किया।
उसके साथ सब अच्छा होता है जो सही काम करता है।
उसने देखा है ग़रीबी और अभाव में जीवन को जीकर के।
इसलिए अपने जीवन में वो बस केवल सत्काम करता है।
उसने देखा है धनाभाव में लोगों को बेइज्जती करते हुए।
तद्यपि वो हर वर्ग के लोगों का सम्मान अविराम करता है।
कि तेरी माँ ने तुझको बड़े ही जतन से पढ़ाया है "अभि"।
अच्छा लगता है देखकर कि तू सदा अच्छा काम करता है।-
सपनों की लहरों में खेल रहे हैं, हम सब कुछ झेल रहे हैं।
अपने हमारे दुख से दुखी न हो जाए, चुपचाप झेल रहे हैं।
पता है कि उनकी ग़लती है और वो भी बेइंतहा गलती है।
फिर भी उनका दिल न टूट जाए इसलिए हम झेल रहे हैं।
जो हम अपने पर आ जाए तो कुछ भी बाक़ी नहीं रहेगा।
काम ग़लत करे पर "दिल के अच्छे हैं" वो, सो झेल रहे हैं।
हमको मालूम है उनकी हक़ीक़त पूरी की पूरी मेरे यारों।
पर उनको उनका आईना देख बुरा लगेगा, सो झेल रहे हैं।
कौन सा बड़ा बात है मंज़िल को पाकर के हासिल करना।
बस सही समय के इंतज़ार में हम सब कुछ ही झेल रहे हैं।
आशा ही नहीं पूरा का पूरा विश्वास है कि सब अच्छा होगा।
उस एक अच्छे दिन के इंतज़ार में बुरे दिन को झेल रहे हैं।
कभी-कभी बेईमान को सब कुछ मिल जाता है दुनिया में।
भगवान पर भरोसा है हम भी जीतेंगे, सो हम झेल रहे हैं।
सबको घूसखोरी-चोरी करके आगे बढ़ना है यहाँ "अभि"।
हमको अपनी सच्चाई पर यक़ीन है इसलिए झेल रहे हैं।-
चलते जाना है, रुकना नहीं है, किसी भी हालात में झुकना नहीं है।
कोई कुछ कहे सुनकर निकाल देना है, सुनकर दिल दुखना नहीं है।
अब जाकर के जो मौक़ा मिला है मंज़िल को पाने का आख़िरकार।
तो मेरी सुनो इस बार पक्का जीतना ही है, हमको चूकना नहीं है।
लड़कर के हार जाएँगे तो फिर उठेंगे, कभी भी हार मानना नहीं है।
एक जन्मजात मेहनतकश ईमानदार हो तुम, ये बात भूलना नहीं है।
लोग आएँगे, पहले दिल बहलाएँगे फिर दिल तोड़कर चले जाएँगे।
लोग जो भी कहे कहने तो सुनना नहीं है और कभी रूठना नहीं है।
तुम्हारी ख़ुशियों की चाभी तुम्हारे ही हाथ में है सुन लो मेरे साथी।
कि सर दुखे या दिल में बेइंतहा दर्द उठ जाए, दर्द में डूबना नहीं है।
जानता हूँ रात-रात भर नींद नहीं आती है तुमको, करवट बदलते हो।
ये तन्हाई की आग बड़ा जलाती हैं, पर तुझे ख़ुद को फूँकना नहीं है।
उनकी याद आए तो उनका सम्मान के साथ स्वागत कर रिहा करो।
लेकिन उनकी यादों के झूले में रात भर बेख़्याली में झूलना नहीं है।
जानता हूँ न तू ठीक से सोता है, खाता है, न जी ही पाता है "अभि"।
पर जो कभी आने वाला ही नहीं है उसके इंतज़ार में सूखना नहीं है।-
साथ तुम्हारा मिल न सका, ख़्वाब ये मुकम्मल हो न सका।
न मिलते तो बेहतर था, मिलकर बिछड़े ज्यादा दुःखद था।
मेरे दिल-ओ-दिमाग़ में शाम-ओ-सहर जाना तू ही तो था।
तेरे बिन था तो ख़ुशी थी, बिन तेरे मैं बेचारा रह न सका।
तुझसे बेहतर मेरे लिए कोई नहीं इस जहां में मेरी जाना।
तू जो मिल जाता तो जन्नत मिलती, पर ऐसा हो न सका।
बहुत ही दुख होता रहता है तन्हा हरपल मुझको यार मेरे।
तेरे साथ की रब से मैं ख़्वाहिश करता रहता हूँ, आ जाना।
याद है जब हम तुम साथ थे, मौसम कितना सुहाना था।
अफ़सोस वो मौसम जल्द ही बीत गया, एक सा न रहा।
बेहद ख़ूबसूरत एहसास है तेरे साथ का जान-ए-तमन्ना।
दिल को उम्मीद है तुम आओगी, कब आओगी ये बता।
अरमान आज भी ज़िंदा हैं तेरे साथ में रहने के दिल में।
एक बार आकर के इन अरमानों को हक़ीक़त कर जा।
तुमको खोकर के अब दिल में मेरे कुछ बाक़ी न रहा।
आओगी जब तब खिल जाएगा दिल मेरा, जगा जा।
एक वो मिल जाए "अभि" तो मेरा दिल खिल जाए।
उसको कितना प्यार करता हूँ है मुझको उसे बताना।-
आचरण से ही इस जग में व्यक्ति की पहचान है।
मत करना वो जिससे हो तुम्हारा ही नुक़सान है।
"सत्य पथ पर चलना" अत्यंत ही कठिन है साथी।
कुकर्म कर के सफल होना तो बड़ा ही आसान है।
चार पैसे कमाकर, इंसान को इंसान नहीं समझते।
अमीर बन जाने पर ख़ुद को समझते भगवान है।
सफलता वहीं जिससे व्यक्ति में सहजता आ जाए।
उस दौलत का क्या लाभ जिससे इंसान न इंसान है।
बेईमानी, लूट-खसोट कर के बड़े व्यापारी बन गए।
अब आकर के देते हम सबको वहीं पाखंडी ज्ञान है।
अपना ज़मीर बेचकर के पैसा कमाने वाले लोग भी।
आजकल सच्चाई की उपयोगिता का करते ऐलान है।
पैसा ही जिनका माई-बाप है उनका क्या यक़ीन करें।
उन्होंने तो कर दिया अपनी कुल मर्यादा को क़ुर्बान है।
सच्चे लोगों को आजकल न काम मिलता न इज़्ज़त।
बेईमान बड़े पद पर आसीन हैं और होता सम्मान है।
छोड़ो औरों की बातें करना "अभि" तुम सदाचारी रहो।
तब जाकर के सब को करना अच्छाई का गुणगान है।-
जो कहो दो टूक कहो, सोच-विचार कर बात क्या करना।
मन में जो भी है कह जाओ, कोई बात मन में क्या रखना।
वो कहते हैं इस तरह से तुम बात मत करो, मीठा बोलो।
उनका मानना है कि आज सच कहके शत्रुता क्यों करना।
हम कहते हैं मन में बात रखेंगे तो बाद में भूचाल आएगा।
इसलिए आज मन में बात रखकर कल बवाल क्यों करना।
पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा है पढ़ा हुआ ग़लत हो रहा है।
किताब में लिखा था सदा सच बोलो, "झूठ मत बोलो"।
आज "सच कहते हैं" तो हमको ही लोग ख़राब कहते हैं।
अब तुम ही बताओ यारों, "ग़लत को सही" कैसे कहना।
माता-पिता के सामने सच कहो तो नालायक़ बेटा है ये।
इसी लिए भाई-बहन, दोस्त घमंडी-ज़िद्दी कहा करते हैं।
प्यार ने कहा था आपकी अमानत है जैसे चाहो सजाना।
उसको जो उसकी ग़लती बताई तो वो छोड़कर चली गई।
अब इस सच्चाई का "तन्हाई की आग़ोश" में क्या करना।
जीवन में हमने जो भी किया "अभि" "नियम" से किया।
अब ये नियम ही ग़लत निकला तो इसमें मेरा का करना।-
ख़ुद को कम मत आँकिए, "खुद के अंदर" झाँकिए।
आप क्या-क्या कर सकते हैं दुनिया में फिर जानिए।
आपकी सीमा का अंदाज़ा आपको नहीं है साथियों।
आइए आज "अपनी क्षमता" को आप "पहचानिए"।
असीमित शक्तियों समाहित हैं आपके अंदर में साथी।
अब आपको जोभी करना है आइए आप कर जाइए।
बड़ी दुविधाएँ आएगी, आ कर आपको डरा जाएगी।
आप अपने विश्वास के दम पर सब पार कर जाइए।
"समान अधिकार और सम्मान" भी मिल ही जाएगा।
आप बस "सतत अभ्यास और प्रयास" करते जाइए।
कोशिश करने से ही जग में सबने सब कुछ पाया है।
आप भी "आत्मविश्वास" संग कोशिश करते जाइए।
समझदार "अनकही बातों" को भी समझ जाता हैं।
उस की तरह आप भी सब कुछ ही "समझ जाइए"।
अच्छे लोगों को आजकल लोग मूर्ख समझे "अभि"।
एक काम कीजिए आप भी "होशियार" बन जाइए।-
तुमने सपने क्यों दिखाए जब तुमको तोड़ना ही था।
क्यों आए साथ मेरे जब साथ तुमको छोड़ना ही था।
"बेतहाशा" की थी मैंने मोहब्बत तुमसे ओ मेरा यारा।
मनकी ज़मीं को शांत क्यों किया जो झकझोरना था।
तुम्हारे साथ वो वक़्त बीते थे मेरी ज़िंदगी में अब तक।
मेरे लिए यारा वो सच कहता हूँ मैं जन्नत के जैसे थे।
कुछ तो ऐसा हुआ होगा जो मुझको मालूम हो नहीं।
अब लगता हैं जैसे कुछभी अब तक नहीं हुआ सही।
तुम आए थे नहीं तो सब कुछ अपने हिसाब से था।
अब तो जैसे उड़ गई है मेरे जहां भर की सारी रंगत।
तुझको खोने के बाद अब कुछ भी मुझे भाता नहीं।
बहुत कुछ कहना था तुमसे जाना, दिल में ही रही।
लोगों को क्या बताऊँ कि "दिल मेरे क्या चल रहा"।
बेरहमी से मेरे दिल को तुमने चूर कर कर दिया है।
दर्द इतना बेइंतहा है कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा।
ये जो लफ़्ज़ है कुछ नहीं, असली दर्द रही अनकही।
समझ में नहीं आता यारों कि जाने वाले आते क्यों।
जाने के लिए कभीभी नहीं आना चाहिए किसीको।
उनके के बाद दर्द के सागर में डूब गया हैं "अभि"।
उस बिना कुछ भी अब मुझको अच्छा लगता नहीं।-
दिशा दिखाओ मन को, जीवन का लक्ष्य मिल जाएगा।
कबसे सूखा पड़ा हुआ है मन का फूल, खिल जाएगा।
जो अपने मन का ख़्याल है रखता, वो सदा खुश रहे।
जो दूसरों की ख़ुशी से ख़ुश नहीं होता वो नाख़ुश रहे।
सबको मेहनत का फल मिलता है यहाँ कभी न कभी।
भगवान के लिए हम सब बराबर, दिखते हैं हम सभी।
इंसानियत को जो सबसे बड़ा धर्म मानता है जहां में।
उसके सब साथी बन जाते जीवन के इस कारवां में।
अपनी हद पार करके भी वो जो सबकी मदद करें।
ईश्वर उसकी आरज़ुओं और दुआओं का असर करें।
उसके जैसा कोई भी फिर कहाँ यहाँ मिल पाता है।
इस तरह से वो अनजान सबकी जान बन जाता हैं।
हमारा सबने इस्तेमाल किया, बस फ़ायदा लिया।
वो ही अच्छा है जिसने सब किया, बे वादा किया।
तुम अपने "मन से बात करो" और समझो "अभि"।
क्या पता तुम्हें देखकर ऐसा करने लगे ये लोग सभी।-