बेफिक्री से बैठे न जाने, कितने लम्हे बीते है
आज चल अकेले
कुछ किस्से, कुछ कहानियां फिर से जीते हैं..
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Tulika Garg
(Tulika)
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खुद में सौफ़सीदी खरी हूं मैं,
ऩजरों का तुम्हारे ठेका मैंने ले नही रखा है
मन के होते हैं मेरे... read more
ऩजरों का तुम्हारे ठेका मैंने ले नही रखा है
मन के होते हैं मेरे... read more
Joined 10 April 2019
27 APR AT 22:53
2 APR AT 9:32
खामोशियों को देकर आवाज
चलो बैठे हम आज साथ
गहरी पसरी आंखों में
देखें खुलते हैं कितने राज...-
12 MAR AT 0:56
बिन मिले ही हुआ प्रेम आभास
बोलती आंखें जैसे कुछ एहसास
शब्दों की छुअन और अल्फाज़
न जाने कब बन गई मेरी खास..
हां अपनी सी लगती हो ...
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं 🌷🌷
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2 MAR AT 0:28
निवास ,नगरी और नुक्कड़
छूट ही जाते हैं ..
तज़ुर्बे , तरक्की और तूलिका
फिर बन ही जाते हैं ..-
28 JAN AT 21:09
तुम - कभी तो खा लिया करो अपने मन का भी ..
मैं - हां रखा तो हुआ है कल का भी ..
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