Tulika Garg   (Tulika)
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Joined 10 April 2019


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27 APR AT 22:53


बेफिक्री से बैठे न जाने, कितने लम्हे बीते है

आज चल अकेले
कुछ किस्से, कुछ कहानियां फिर से जीते हैं..

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2 APR AT 9:32

खामोशियों को देकर आवाज
चलो बैठे हम आज साथ
गहरी पसरी आंखों में
देखें खुलते हैं कितने राज...

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14 MAR AT 21:07

लागे चोखा न कोई दंभ

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12 MAR AT 0:56

बिन मिले ही हुआ प्रेम आभास
बोलती आंखें जैसे कुछ एहसास
शब्दों की छुअन और अल्फाज़
न जाने कब बन गई मेरी खास..


हां अपनी सी लगती हो ...

जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं 🌷🌷


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2 MAR AT 0:28


निवास ,नगरी और नुक्कड़
छूट ही जाते हैं ..

तज़ुर्बे , तरक्की और तूलिका
फिर बन ही जाते हैं ..

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1 FEB AT 20:53

बनिया का हिसाब,
होता उसका दिमाग
कोई पढ़ न सका,
नहीं है ऐसी कोई किताब ..



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28 JAN AT 21:09

तुम - कभी तो खा लिया करो अपने मन का भी ..
मैं - हां रखा तो हुआ है कल का भी ..









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27 JAN AT 23:02

बेआबरू पे तुला है ..








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17 JAN AT 21:34

से
करने को बहुत कुछ है ..


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1 JAN AT 16:44

उकरे तो चरित्र महकाये ..

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