ज़र्द पत्ते हैं ये जो तुम जिनको दोस्त कहते हो
हवाएँ तय करेंगी के कब ये उड़ के किधर जाएँगे
कूद कर 'धम्म' से सड़क पर, मुँह फेर कर चल देंगे
एक ज़रा सा ज़िन्दगी में जो आँधीयों के दौर आएँगे
तुम से मतलब है जब तक इन्हें, तब तक ये हरियाएँगे
जवाँ मौसम में ये, तेरी हर बात पर झूमेंगे, इठलाएँगे
मौसम ए खिज़ा जब भी तेरे दर पर दस्तक देगा
रंग बदले बदले से जनाब, इनके तब नज़र आएँगे
तू करेगा लाख मिन्नतें इनसे मगर फिर ये न समझेंगे
ग़म ए दौरां की मजबूरियाँ भी सब तुझको गिनाएँगे
छोड़ कर तड़पता हुआ तुझे यूँ ही कहीं चल देंगे
सूखे जज़्बात हैं, क्या समझता है, हौसला दिखाएँगे
ज़र्द पत्ते हैं ये जो तुम जिनको दोस्त कहते हो..
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