QUOTES ON #हवाएँ

#हवाएँ quotes

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21 APR 2020 AT 3:09

शांम जो तेरे पहलु में ढलती है
फिर रात दिन तुजसे मिलने को तरसतीं है

फिजाएं भी तुजे देख कर रंग बदलती हैं
छोड़ अपना वो तेरे रंग में रंगतीं हैं

जो हवाऐं तुजे छूं कर गुजरती हैं
तेरी मुहब्बत के लिए वो भी तो तरसतीं हैं

ये घटाएं भी तुजसे मिलने को बरसती हैं
हुस्न तेरा देख गिरती हैं सभंलतीं हैं

शंमा जो तेरे कमरे में जलती है
तेरे ही इश्क़ में सारी रात पिघलतीं है

शांम जो तेरे पहलु में ढलती है
फिर रात दिन तुजसे मिलने को तरसतीं है

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23 AUG 2020 AT 17:14

कि कभी खामोशी तो कभी शोर सुनाई देता है मुझे इन हवाओं में,
या मैं बिखरी हूँ, या किसी और का भी दिल टूटा है इन हवाओं में।

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4 DEC 2019 AT 0:50

वो सर्द हवाएं ओस की बूंदे
वो गुनगुनाते पक्षियों की आवाज मन को मोह लेती है।
वो चहकता हुआ मन और बारिश की बूंदे
संगीत की एक नई धुन चुरा लेती है
तुम्हारे सँग बीते हुए हर लम्हे को दिल
की स्याही से अल्फ़ाज़ों के रूप में यूँ बयाँ किया
मानो देखते ही दिल को मोह लेती है
आज भी तुम्हारी दुआओं में हमारा
नाम सबसे पहले आता है
ये खुशी हमारे हमारे दिल को
सुकून दे जाती है






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6 AUG 2020 AT 5:52

ये हवाएं जो तुम्हारी यादें संग लाती हैं,
कह दो इन्हें, ना गुज़रें हमारी गलियों से,
कम्बख़्त, जब भी आती हैं, तबाह कर जाती हैं।

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14 AUG 2020 AT 21:51

काले-काले घनंघोर बादल तेज बारिश ठंडी हवा तुम और मैं 🙈🙈

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4 APR 2020 AT 22:01

सुनो
यूँ ज़ुल्फ़ों को बांध के न रखा करो
हवाएँ ख़फ़ा खफा सी रहती है........

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24 JUL 2020 AT 14:22

ये हल्की-हल्की शर्द हवाएं,ये बारिश का मौसम,
मैं तुममें पूरा रहता हूं,तुम मुझमें क्यों रहती हो कम।

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सर्द हवाएँ भी असर नहीं करती आजकल
❣️❣️
तेरी यादों की रजाई ओढ़ कर सोता हूँ ।
❣️❣️

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12 JUN 2020 AT 18:14

आग ही आग थी उन सर्द हवाओं में ।
जिस्म पिघलते रहे रात ढलती रही।।

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11 JUN 2018 AT 9:23

ज़र्द पत्ते हैं ये जो तुम जिनको दोस्त कहते हो
हवाएँ तय करेंगी के कब ये उड़ के किधर जाएँगे

कूद कर 'धम्म' से सड़क पर, मुँह फेर कर चल देंगे
एक ज़रा सा ज़िन्दगी में जो आँधीयों के दौर आएँगे

तुम से मतलब है जब तक इन्हें, तब तक ये हरियाएँगे
जवाँ मौसम में ये, तेरी हर बात पर झूमेंगे, इठलाएँगे

मौसम ए खिज़ा जब भी तेरे दर पर दस्तक देगा
रंग बदले बदले से जनाब, इनके तब नज़र आएँगे

तू करेगा लाख मिन्नतें इनसे मगर फिर ये न समझेंगे
ग़म ए दौरां की मजबूरियाँ भी सब तुझको गिनाएँगे

छोड़ कर तड़पता हुआ तुझे यूँ ही कहीं चल देंगे
सूखे जज़्बात हैं, क्या समझता है, हौसला दिखाएँगे

ज़र्द पत्ते हैं ये जो तुम जिनको दोस्त कहते हो..

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