तुम मुझे खाक समझो,
तुम मुझे खाक समझते हो!-
शायरी,गजलें,नज्में और कवितायें....
इन्हें पढने से सुकून मिलता है,ठीक उतना ही जितना तुमसे बात होने पर,इसे मैं पढता भी तभी हूं,जब तुम्हारी याद आ रही होती है,या तुम्हें याद कर रहा होता हूं,तुम्हें शायद बस ये चन्द लाईनें भी लग सकती है,पर हम जैसे तन्हा लोगों के लिये ये मुक्क्मल जिंदगी है!-
क्यूं करे कोई फिक्र हमारा?
किसी के लिये परेशानियांं क्यूं बने हम!-
बेमतलब सी बातें करने वाले लड़के हम,
हम केवल मतलब से बात नहीं करते!-
If you hurt me,I'll hurt you back....
I don't want to be nice anymore,
I want ego satisfaction now...😎-
मेरे हिस्से में सिवाय सहानूभूति के और कुछ नहीं आया,घर वालों के लिये बस एक साधारण सा आलसी बनके रह गया,दोस्तों के लिये एक मतलबी,समाज के लिये नालायक और आवारा,इन सबसे भी खास ये कि प्रेमिका के लिये एक लाचार प्रेमी.....ये सब वो है जिसने कभी मुझे मेरा हक नहीं दिया बल्कि उसके बदले में दी सहानूभूति और सांत्वना!
जबकि मैं इन सबसे कहीं ज्यादा बेहतर था,खैर!क्या ही फर्क पड़ता है?
अब मैं खामोश हो गया हूं!अब अपनी बातें साबित नहीं करना चाहता हूं,या शायद अब ऐसा लग गया हो की सामने वाला को हम अपनी बातें नही मनवा सकते,जो भी हो खामोश रहना ही ठीक लगता है।-