कौन बह सका है सतत नदी सा इस जग में,
यह जिंदगी है, एक ठहराव भी तो जरूरी है।
हाँ, हो चुका है मिलन तेरी-मेरी सांसो का, पर,
प्रेम पूर्ति के लिए अब वियोग भी तो जरूरी है।
ज्ञान, धर्म, कर्म इन सब से कहां पूर्ण हूंँ मैं,
"मैं" के लिए तनिक अहंकार भी तो जरूरी है।
सह सके सभी का स्पर्श ऐसी कहां है तू "बरखा",
उसके लिए तेरा " गंगा" होना भी तो जरूरी है।-
समस्या को समाप्त करने के केवल दो ही उपाय है या तो समस्या से भाग लो या समस्य... read more
हाँ, अगर तुम
थोड़ी कोशिश करोगे,
तो जान जाओगे,
कि नहीं है अंत
उसके अंदर उमड़ते प्रेम
और क्रोध का भी।
बह रही है एक अनंत धारा
दोनों की ही उसके अंदर।।
"स्त्री" बस प्रकृति ही नहीं
वरन् संपूर्ण ब्रह्माण्ड है।-
कि अब ना सूरत, ना सीरत और ना किसी रंगीन शाम की जरूरत है,
बस एक महफ़िल, एक गुलाब और आधे गिलास जाम की जरूरत है।
बाँट लूंगी दर्द-ए-दिल मैं तो इंतिज़ार-ए-यार सुनाकर मुशायरे में भी,
वो जो दूर अकेला बैठा है न, मेरा यार, हमदर्द की तो उसे जरूरत है।
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जो अंत हैं सभी का,
मेरे प्रेम का आरंभ हैं वो।
कभी डमरु से निकला नाद,
तो कभी त्रिशूल का वार हैं वो।-
हर बार नहीं समझ पाता है मेरे लिखे अल्फाज़ों को,
फिर इस बार उसी पुराने दर्द को नया लिखना होगा।
हुआ करती थी मैं कभी चाँद उसके आसमान का,
पर इस बार शायद मुझे पूरा "ब्रह्मांड" बनना होगा।
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न मोह, न स्नेह और न कोई चाह बची है अब मुझमें,
दिखता शरीर हूँ, पर अंदर बस राख बची है मुझमें,
चिंगारियां दिखाकर जलाने की जरूरत नहीं है तुम्हें,
अंदर राख में अभी भी आग की तपन बची है मुझमें।-
प्रेमी को 'सम्मान देने' और
उसके लिए 'सम्मान पाने'
के बीच के अंतर को
समझने के लिए हमें
समझना होगा "सती" को।
प्रेमी के लिए 'शान्त' रूप
और उसके सम्मान के लिए
'शक्ति' रूप धारण कर लेने
के बीच के अंतर को
समझने के लिए हमें
समझना होगा "सती" को।
प्रेमी पर 'निसार' होना
और प्रेमी के सम्मान
के लिए 'आहुति' देने
के बीच के अंतर को
समझने के लिए हमें
समझना होगा "सती" को।-
सफर थोड़ा लम्बा होगा इस बंजारन का,
तुम सब्र का पिटारा अपने साथ लाना।
बनना हो गर राहों का हमसफ़र मेरा,
तो मंज़िल की ख्वाहिश न साथ लाना।-
कि ये "प्रेम" एक जोग है, कोई रोग नहीं,
पहले से लिखी तकदीर है, कोई संयोग नहीं।
ना देखा कभी मीरा ने प्रेम को, तो क्या हुआ,
"कृष्ण" नाम लेना ही मिलन है, वियोग नहीं।-
कि जिस गांव से मैं गुजर रही हूं,
मुझे इश्क़ की बहुत महक आ रही है।
शायद किसी शजर की छांव में बैठी कोई प्रेमिका,
अपने प्रेमी से इशारों में ही बातें किए जा रही है।-