Sandeep Vyas   (व्यास संदीप)
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Joined 30 December 2016


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Joined 30 December 2016
2 JUL AT 11:31

हमसे ना होगा यूं मीटर वीटर में लिखना ऐ ग़ालिब
अपने लफ्जों को कभी बैठ कर नपाया नहीं हमने

जो आया ज़हन में हुज़ूर के वही पन्ने पर आ गया
अंदाजे बयां को यूं गणित में उलझाया नहीं हमने

मिसरा, मक़्ता, रदीफ़, काफ़िया तो जानते हैं हम
जज्बातों पर दुनिया का चलन निभाया नहीं हमने

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30 JUN AT 12:07

अपनी ही धरती से, तूने मुंह मोड़ा है
नाते सब भूला है, रिश्ता हर तोड़ा है
शहर में बरकत, हो भी, तो कैसे हो
मां बाप को तू ने गांव में रख छोड़ा है

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6 MAR AT 14:27

वो ज़माने की भीड़ में शामिल तो हो गया लेकिन,
मुझे यकीन है मेरे बिन वो आज भी तन्हा होगा !

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12 MAR 2024 AT 19:40

इल्तिज़ा ऐ तारीफ भी करते हैं वो, तो किस अदा से
के जैसे एहसान किया हो हम पर, खूबसूरत हो कर

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16 JUN 2023 AT 21:16

सतपुड़ा फाईल्स

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13 DEC 2022 AT 22:44

हम जैसे बेफिक्र जिस दिन हो जाओगे
तुम भी ज़माने में 'आवारा' कहलाओगे

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3 NOV 2022 AT 18:07

भीड़ तो मेरे इर्द गिर्द सब ने देखी
तन्हा दिल किसी को नजर न आया
मोहोब्बत की धूप ने झुलसा रखा है
मांगते हैं बस एक नरम सा साया

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27 OCT 2022 AT 22:10

लिखूं तो मीलों मोहब्बत लिख सकता हूं
कहूं तो एक लफ्ज़ भी कहा नहीं जाता

देखूं तो हद्द-ए-बीनाई तक तू है
सोचूं तो चेहरा तक याद नहीं आता

पढूं तो दुनिया का सुख़न फ़िजूल है
समझूं तो तुझे मैं समझ नहीं पाता

मिल जाए तू, ये ना मुझको कुबूल है
खोजाए तो एक पल जिया नहीं जाता

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24 OCT 2022 AT 9:09

एक सैलाब सा दुश्वारियों का, मेरी फ़िराक़ में है
एक हुजूम है यारों का, मुझे कुछ होने नहीं देता

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