कितनी गजलो से गुज़ारा करके।
कितने कमबख्त गमों को भुलाया है।।-
जब जब अंधेरों में चाराग जलाए हैं।
तब तब मौसम से हाथ आजमाएं हैं।।
किन गलियों से गुज़रे वो बादल जाने।
बूंद बूंद को तरसे हम जब भी आए हैं।।
बड़े शौक से पी गया था उस रात आसूं।
बहके कदम हैं अब जब भी हिलाए हैं।।-
हाय ये मौसम भी हमे कितना सताता है।
पसीना माथे से टपकता हुआ मुंह धुलाता है।
मैं उस बाग में घूमने भी अब नही जाता।
सूखे पत्तों का वहा सैलाब नज़र आता है।।
बहुत उदास सी है वो कोपल जो फूटी है उस गमले में।
चमकती धूप से उसका रंग उड़ा जाता है।
वो पन्ना जो हर डायरी का सबसे भरा रहता है।
हर बार पलटता हूं आखिर में ही क्यों आता है।।
कुछ साइन दो आंखे और शेर लिखे हैं उस पर।
है तो मेरी पर नाम तुम्हारा भी नज़र आता है।।
हर बार करते हैं वो वादा जल्द मिलने का।
वक्त इसी एतबार में हमारा गुज़र जाता है।।-
ज़िन्दगी बहुत छोटी है मगर लिख देता हूं मै जब किताब पर
बहुत लंबी हो जाती है।।
किस तरह ज़िन्दगी की कमियां उभारती है कलम देख लेता हूं जब हद ही हो जाती है।।
किसे कहूं और क्या कहूं खामोश हूं चुप रहूं पर आंखे गीली हो जाती हैं।।
फिर एक रोज़ आईने से झांकता हुआ शक्स मुझे मेरी ही परछाई होने का यकीन दिलाता है।
फिर एक जिंदगी मुझे पानी के गहराई में कई जीवित शवों के साथ तैरती नज़र आ जाती है।
हां एक याद है जो सफ़र कर रही है रोक लूं सांस तो असर कर रही है।
कई खामोशियां एक साथ गुनगुना कर जीवित होने का आभास दिला जाती हैं।
जिन्दगी बहुत छोटी है पर लिख देता हूं तो बहुत लंबी हो जाती है।-
सितारे जमी पर खिल जाए तो क्या हो।
ख्वाब हकीक़त में बदल जाए तो क्या हो।
यूं तो मिलते हैं राहों में हर कदम पर कई हमसफर।
कोई पत्थर..बदल.... मंजिल जाए तो क्या हो।।-
ख्वाब से हकीकत बन गया हूं।
मैं खुशी से बोरियत बन गया हूं।
जाना न था अपनी गलतियां मगर।
दुनिया के लिए नसीहत बन गया हूं।।
वही शेर वही इश्क वही इल्ज़ाम है मूझपर।
क्या बात है क्या हूं शक्सियत बन गया हूं।।-
खता क्या थी और लगा वो इलजाम क्या था।
जिसकी काटी है सजा वो किया काम क्या था।।
बिन पिए मेयकशी में छलकते रहे हैं हम।
महफिलों में झूमता था वो खाली जाम क्या था।।
जवां रात है ये जो सुबह तलक ढल जायेगी।
दिन में जलते हुए चराग का अंजाम क्या था।।
शर्त रखी कि तन्हा उम्र गुजारोगे कब तक।
उम्र गुज़ार देते तन्हा ये बता ईनाम क्या था।।-
एक इश्क एक मोहब्बत एक बात लिखूंगा।
मैंने देखा तो नही है पर एक ख्वाब लिखूंगा।।-
तुझ से जुदा होके मैं रोया तो बहुत था।
पर तेरे बिना उसका कोई सहारा नहीं होता।।-
हम जब जाएंगे तो अलविदा कहते हुए जाएंगे तुम्हे।
यूं बिन मिले नाराज़ होके जाना तो अच्छा नही लगता ।।-