वो "सूर्य" था,
तो दहक आया!
मैं "रश्मि" थी,
सो बिखर गई!!-
"रश्मि:खुशियों की उजली किरण"
खुशियों की उजली किरण सी है बहना मेरी मेरा जीवन उज्ज्वल कर दिया है
जब से आई है जीवन में मेरे मेरी जिंदगी को खुशियों से भर दिया है
हर दम अपने भाई की चिंता और ध्यान आपको रहती हैं अपना कीमती समय आपने मुझको दिया है
भाई ने खाना खाया कि नही खाया इस बात का इनको ख़्याल रहता है
रब ने दुआओं की तरह आपको मेरे जीवन ने बहना मेरी भेज दिया है
हरदम आप सारी दुनिया मे बस यूँही ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ बाँटना जैसे आपने अपने भाई निःस्वार्थ प्यार दिया है
बड़ी ही लाज़वाब और खूबसूरत होती है कलमकारी इनकी भगवान ने माँ सरस्वती का वरदान इन्हें दिया है
खुशनसीब हूँ मैं जो इतनी प्यारी बहन है क़िस्मत में मेरी
इतनी दुलारी बहना का भाई बनने का सौभाग्य मुझे रब ने दिया है
रब का शुक्रिया जो इस स्वार्थ और फरेबियों से भरी दुनिया में मुझे एक मासूम सी परी को मेरी झोली में डाल दिया है-
वो "विजय" था
कभी हार ना मानी थी।
मैं "जया"थी
उसके नाम में समायी थी !!
"VIJAYA"
"JAYA"-
मुझसे क्या पूछते हो
ख़ुशी कैसी होती है
स्याह रात क्या बताए
रश्मि कैसी होती है
पूछो जा के साहिलों से
मौज से मिलने का अनुभव
क्षितिज भला क्या कहेगा
भ्रम की स्तिथि होती है...-
हाँ याद है यूं तुम्हारे पहलू में सिमट जाना...
फिर तुम्हारी सांसों के साथ यूं मिलकर महक जाना...-
हर सुबह लेखकों की कलम से निकलते हैं जो प्रथम शब्द
वो किसी आदित्य की प्रथम रश्मि से कम नहीं।-
मेरी जिन्दगी का अजीम हिस्सा हो आप
चाह कर भी जिसे भुल ना पाऊ वो किस्सा हो आप।
मेरी पतझड़ सी जिन्दगी में गुलिस्ता हो आप
चंद लम्हों में जो दे दे ढेरों खुशियां, वो फरिश्ता हो आप।
-