Ritu Anand  
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Joined 22 February 2019


Joined 22 February 2019
14 NOV 2024 AT 11:26

वो दिन भी बड़े याद आते हैं !
जिन्हें बिता के हम बड़े हो जाते हैं !!
कभी कंचे तो कभी सितोलिया जमाते थे !
बातों बातों में चिड़िया के संग गाय भी उड़ाते थे !!
तब ख्वाब के लिए वक्त नही था !
और आज ख्वाब हमे दौड़ाते है !!
वो दिन भी बड़े याद आते हैं !
जिन्हें बिता के हम बड़े हो जाते हैं!!

कहानियों में परियो के देश घूम आते थे !
राग द्वेष को हम कोसो दूर भगाते थे !!
पल में रूठ तो पल में मान जाते थे!
और आज खुद ही खुद से बतियाते है !!
वो दिन भी बड़े याद आते हैं !
जिन्हें बिता के हम बड़े हो जाते हैं !!

मंदिर में जब भी भगवान से मिल जाते थे !
कब होंगे बड़े ये सवाल पूछ आते थे !!
शौक से बड़े बनने का किरदार भी निभाते थे !
और आज बड़े बनकर बड़े बनने से कतराते हैं!!
वो दिन भी बड़े याद आते हैं !
जिन्हें बिता के हम बड़े हो जाते हैं !!

चलो फिर से बचपन की सैर कर आते हैं !
गुड्डे गुड्डी की शादी धूमधाम से करवाते हैं !!
यूँ ही झूठमूठ का बवाल मचाते है !
कुछ पल के लिए हम फिर से बच्चे बन जाते हैं !!
वो दिन भी बड़े याद आते हैं !
जिन्हें बिता के हम बड़े हो जाते हैं !!
Ritu anand









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14 NOV 2024 AT 10:38

यूँ तो उम्र का हर दौर अच्छा लगता है।
पर मुझे बचपन सबसे अच्छा लगता है।।

झूठ में लिपटी हुई है बड़ो की सल्तनत।
बच्चों का जहां बेहद सच्चा लगता है।।

वादों-इरादों की तो बात ही निराली।
उम्र कच्ची मगर सब पक्का लगता है।।

अब तो मोल भाव अच्छे से होता है।
तब प्रेम से ही सब बिकता लगता है।।

खुशनुमा है उस दौर की तमाम यादें।
अब हर पल में दर्द रिसता लगता है।।

मौज-मस्ती थी बड़ो की सरपरस्ती में।
अब तो बस वजूद पिसता लगता है।।

बिन स्वार्थ बखूबी निभ जाते थे रिश्ते।
जरा सी बात पे वही खिंचता लगता है।।

उम्रदराज भले ही अब हो गए हैं हम।
अतीत से गुजरो तो दिल बच्चा लगता है।।

Ritu anand










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12 OCT 2024 AT 8:52

हाँ वो तो "राम" थे
था जिन्हें अधिकार
करने का "रावण" को
चिर मौन,
पर जलाते हैं
अब "पुतला" भी जो उसका
हैं उनमें से
"राम" कौन-कौन !!

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30 JUL 2024 AT 15:56



काश! ये काश ना होता,
तो किसी का अधूरा कोई ख्वाब ना होता।
सारे सवाल हल हो जाते,
किसी का अधूरा कोई जवाब ना होता।।

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21 JUL 2024 AT 13:08

१२२ १२२ १२२ १२२
दुआ में मेरे हाथ हरदम उठे हैं
तुम्हारे सिवा कुछ नही चाहते हैं

बहानों से दिल अब बहलता नही है
जो कहते हो तुम हम वही मानते हैं

इशारा खुदा का भी लगता यही है
तभी तार दिल के हमारे जुड़े हैं

तुम्हारे लिए छोड़ दी सारी दुनिया
तुम्हीं से सदा खुद को पहचानते हैं

कबूले दुआ सबकी ईश्वर मगर 'ऋतु'
सितारा न टूटे दुआ मांगते हैं

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5 JUN 2024 AT 17:13

प्रकृति सहनशील और दयावान हैं।
माँ - सी ममतामयी और क्षमावान हैं।।
बेहद अनमोल और खुदा का वरदान हैं।
बिन इसके, जैसे सब जीव-जगत निष्प्राण हैं।।
जब-जब थामा आँचल, हुई तब-तब मेहरबान हैं।
मनुज की अति को भी करती, सन्तुलन प्रदान हैं।।
खुदा तो दिखता नहीं, ये दिखता हुआ भगवान हैं।
सीखिए कुछ प्रकृति से, ये कितनी महान हैं!!

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5 JUN 2024 AT 0:12



फिर नही मिलेंगे हम तुमसे,
हर रुखसती पे यही सोचते हैं हम।
फिर मुड़ जाती हैं हर राह तुम्हारी तरफ,
और उसी पर दौड़ पड़ते हैं ये कदम।।

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3 MAY 2024 AT 0:09

बातों पे उनकी हम यकीन करते हैं
जुर्म एक यहीं हम संगीन करते हैं

जो बनाते हैं बातों के महल वो
उनमें दिन-रैन हम रंगीन करते हैं

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18 APR 2024 AT 14:30

सफ़र आसान हो जाए, जो तेरा साथ मिल जाए।
कली खुशियों की जीवन में, बहारों संग खिल जाए।।

मुलाकातों में अक्सर ये, हमारी हो ही जाता हैं।
निगाहें बात करती हैं, ये लब मेरे तो सिल जाए।।

मुझे प्यारा लगे तू और, तेरे ख्वाबों की दुनिया।
नजर लग के न ख्वाबों की, कहीं बुनियाद हिल जाए।।

कभी जब मीलों की दूरी, हमारे दरमियाँ आती।
वहीं रह जाती हूँ मैं तो, तुम्हारे साथ दिल जाए।।

मुहब्बत ये तुम्हारी बन, गई अब जिंदगी 'ऋतु' की।
फना हो जाऊँ मैं तुझमें, मुझे जन्नत ही मिल जाए।।


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18 APR 2024 AT 9:13

सफ़र आसान हो जाए जो तेरा साथ मिल जाए
करे क्या बात इक दो की जनम सारे ही खिल जाए

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