तुम्हारा मिलना जैसे मरते हुए को फिर से जीवन मिलना,
तुम्हारे साथ जीवन बिताना जैसे मांगे बिना वरदान मिलना।
याद आता है वो गुजरा हुआ ज़माना,वो छोटा सा आशियाना,
तुम्हारा बिछड़ जाना जैसे बहारों का सदा के लिए रूठ जाना।
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दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
अच्छा सा कोई मौसम तन्हा सा कोई आलम
हर वक़्त का रोना तो बे-कार का रोना है
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
✍️निदा फ़ाज़ली जी ने सही कहा-
दुनिया को बस दुनिया समझा था
दुनिया कभी हमको समझेगी नहीं
इस बात को बचपन से समझा था।
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दिन महीने साल गुजर गए
आज भी तुम्हारी याद में रोए
जाने वाले जाने कहां चले जाते
उनकी याद में तस्वीर पे फूल चढ़ाएं
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-सफ़र का साथी
ज़िन्दगी के दुख सुख में सदा साथ देना वाला, हमारी भावनाओं को समझने वाला हम-सफ़री का साथ मिलना खुशकिस्मती है। मेरे जीवन साथी विजय जी ऐसे ही थे। कल उनका जन्मदिन है। उनकी यादें मेरे साथ हैं। जाने वालों की कमी तो रहती है। ज़िन्दगी बस यूंँही चलती रहती है।
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यादें सताती हैं तब अपनों की पसंद का खाना जब बनता है।
यादें सताती हैं जब कोई गीत अपनों का गुनगुनाया याद आता है।
यादें रूलाती हैं त्योहारों और अपनों का जन्म दिन जब भी आता है।
19 और 21सितंबर यादें बहुत सताती हैं,पति और भाई का जन्मदिन जो है।
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हरे-भरे बड़े-बड़े पेड़, बचाते हैं मुसाफ़िरों को धूप,से बारिश से,
सफ़र सुहाना लगता है जब गुज़रते हैं हम इन पेड़ों के नीचे से।
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तिनके जोड़े
आशियाना बनाया
वृक्ष न रहा
🪵
बेबस पंछी
ढूंढता है ठिकाना
रात अंधेरी
✍️🪹
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मेरी कविता के लफ़्ज़ आप सभी के सहारे हैं।
गर आप सभी नहीं पढ़ते तो शब्द लगते बेचारे हैं।
तकनीकी सुविधा से मेरे शब्द YQ में सफ़र करते हैं।
आप सभी की तारीफ से चमकने लगते शब्द हमारे हैं।
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