पीछे भागते पेड़...एहसास कराते हैं... अनिश्चित सफर का..!! दूर कहीं छूटते मंजर...याद दिलाते हैं... अपनों की कमी का..!! अचानक हवाओं के बदलाव में...तन-मन उलझते हैं.. फिर उमड़ता दिल में बवंडर हजार सवालों का..!! जिंदगी यूँ ही कशमकश में... चलती रहती है... और "कशिश" सफर की.....!!!