rashmi ranjan   (रश्मि"रश")
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Joined 26 August 2020


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20 JAN AT 18:47

यहीं तो थी मैं
तुमने ही देखा नहीं शायद
जब पत्तियों के किनारे से
अंकुर फुटते तुम देख रहे थे
जब निकले थे किलकारी भरते
बच्चों की भीड़
मैं भी तो थी उनमें ही
छुटते ही भागी थी
आँगन में कांक्रीट
के नीचे दबी दबी
घुटन से भाग कर
आसाढ़ की पहली बारिश के
उन पेड़ो के पत्तियों के बीच
खुद को छुपाने
तुम भी तो खड़े थे वहीं
देखा नहीं मुझे... तुमने ???

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1 JAN AT 20:03

सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु।। नववर्ष 2025 शुभेच्छा। सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने। लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्॥
आंग्ल नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 🙏🏻💐
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18 NOV 2024 AT 22:46


पूछो सूरज से कभी
वह भी जलता है मुझे देखकर
रात की स्याह ठंड में
अब भी मैं खुद को सिकोड़ कर
चाँद के दाग ढूंढ रही हूँ
मेरा अस्तित्व तो पूरा
तुममें रम गया है
और तुममें समाहित होकर मैं करती हूँ
अपने विद्रोह का शृंगार

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17 NOV 2024 AT 20:55

कुछ और रात लंबी क़ुर्बतों की कर दे
रोज उठता है धुआँ इश्क़ आजमाने में

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15 NOV 2024 AT 16:48

कुछ
कहना है
अपनी सुविधा से
आते हो तुम मुझमें
पूछा कभी क्या चाहती हूँ

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21 OCT 2024 AT 13:14

तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
आज भी अजनबी सा तेरा बहाना गुजरा

कल मिले हमसे लगा के अब ठहर जाओगे
बाद जाने के लगा मिरा जनाज़ा गुजरा

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22 SEP 2024 AT 13:41

बड़ी हिम्मत से तेरे पास से गुज़रे थे...
बात अलग की हौसला अफजाई न हुई

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21 SEP 2024 AT 1:51

ठोंकरो से यूं तो निजात पा ही जाओगे तुम
बस एक पत्थर है जो पास तेरे रहना चाहे

गुलों से पूछा तो आज वह शर्मिंदा सा लगा 
यह माना टूटे हैं पर तुमको ना सहाना चाहे

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27 JUL 2024 AT 12:20

शर्त इतनी है जब मिलो हमसे
दर्द से पूछ लो वज़ह क्या है

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12 JUN 2024 AT 10:35

वज़ह खामोशी की ये ना समझ लेना
की वक्त से हार कर चुप बैठे हैं हम

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