यहीं तो थी मैं
तुमने ही देखा नहीं शायद
जब पत्तियों के किनारे से
अंकुर फुटते तुम देख रहे थे
जब निकले थे किलकारी भरते
बच्चों की भीड़
मैं भी तो थी उनमें ही
छुटते ही भागी थी
आँगन में कांक्रीट
के नीचे दबी दबी
घुटन से भाग कर
आसाढ़ की पहली बारिश के
उन पेड़ो के पत्तियों के बीच
खुद को छुपाने
तुम भी तो खड़े थे वहीं
देखा नहीं मुझे... तुमने ???-
ऐसे... read more
सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु।। नववर्ष 2025 शुभेच्छा। सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने। लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्॥
आंग्ल नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 🙏🏻💐
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पूछो सूरज से कभी
वह भी जलता है मुझे देखकर
रात की स्याह ठंड में
अब भी मैं खुद को सिकोड़ कर
चाँद के दाग ढूंढ रही हूँ
मेरा अस्तित्व तो पूरा
तुममें रम गया है
और तुममें समाहित होकर मैं करती हूँ
अपने विद्रोह का शृंगार-
कुछ और रात लंबी क़ुर्बतों की कर दे
रोज उठता है धुआँ इश्क़ आजमाने में
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कुछ
कहना है
अपनी सुविधा से
आते हो तुम मुझमें
पूछा कभी क्या चाहती हूँ-
तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
आज भी अजनबी सा तेरा बहाना गुजरा
कल मिले हमसे लगा के अब ठहर जाओगे
बाद जाने के लगा मिरा जनाज़ा गुजरा
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बड़ी हिम्मत से तेरे पास से गुज़रे थे...
बात अलग की हौसला अफजाई न हुई
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ठोंकरो से यूं तो निजात पा ही जाओगे तुम
बस एक पत्थर है जो पास तेरे रहना चाहे
गुलों से पूछा तो आज वह शर्मिंदा सा लगा
यह माना टूटे हैं पर तुमको ना सहाना चाहे
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