पिता नींव आधार है , सदा उठाए भार।
करे भरण-पोषण पिता,सुख भोगे परिवार।।
सुख भोगे परिवार,रहे निश्चिंत सभी जन।
पिता झेल कर कष्ट,सरल कर देते जीवन।।
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बेसहारों का सहारा आप गर बन जाओगे
आसरा देकर उन्हें यूँ प्यार से अपनाओगे
इस भलाई का सिला देगा तुम्हें परमात्मा
धन दुआओं का कमा कर चैन जी का पाओगे
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रेत की चादर बिछा कर ओढ़ सागर है लिया
ग़म रखे तकिए तले अश्कों को भीतर ही पिया
इस ज़माने ने हमें ठुकरा दिया बिन बात जब
हम ने कुदरत के हवाले आज खुद को कर दिया
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ये ज़िंदगी सफ़र है मुसाफ़िर हैं सब यहाँ
क्यों बेतहाशा दौड़ रहे होड़ में मियाँ
सोचा कभी कि किसलिए ये जीस्त है मिली
कुछ तो भले करम करो जो कह सको वहाँ
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तुम्हारे बिन नहीं बीता है इक भी दिन पता है ना
रहे हम दूर तुमसे ये नहीं मुमकिन पता है ना
ऐ मेरी चाय! हमको इश्क़ तुमसे है बहुत ज़्यादा
फ़क़त तुमको पिया हमने सदा अनगिन पता है ना-
जाग-जाग कर काटूँ रातें, ऐसी कोई बात नहीं है
याद न इक पल को भी आई ऐसी भी तो रात नहीं है
नहीं जानती क्या और कितने रिश्ते अपने बीच चले थे
मगर ख़बर है ख़्वाब नए कुछ दिल में दोनों ओर पले थे
दिन भी गज़लों में कटते थे गज़लों में रातें होती थीं
और सुकूँ पहुँचाने वाली कुछ दिल की बातें होती थीं
वक़्त बदलते वक्त लगा कब दोनों ही मसरूफ़ हो गए
साथ गुज़रने वाले सब पल,छूट हाथ से कहाँ खो गए
आज पुरानी अलमारी में कुछ तेरे ख़त हाथ लग गए
याद दिलाते अपनी यारी फिर आँखों में ख़्वाब जग गए-
महाबली हनुमंत के ,जन्मदिवस की धूम।
भक्त बधाई बाँटते, रहे खुशी से झूम।।
मेरे बाबा आपकी ,महिमा अपरम्पार।
कैसे वर्णित कर सकें,जाती है मति हार।।
शंकर के अवतार हैं,बजरंगी गुण धाम।
महावीर हनुमान नित,जपते जय श्री राम।।
बुद्धि विनय के देवता,सरल सहज व्यवहार।
अतुलित बलशाली करे,पल में बेड़ा पार।।
राम काज से प्रेम है,प्रभु चरणों में स्थान।
जग सारा पूजे तुम्हें,परम भक्त हनुमान।।
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मुस्कुराते आँसू
आज जब बेटे ने माँ के हाथ पर मैडल रखा
इक अनूठी सी खुशी का स्वाद उस माँ ने चखा
आँखों के कोरों पे उमड़ी आँसुओ की बूँदें पर
बन के मोती चमचमाईं मुस्कुराईं आँख भर
पालने में दर्द जितने आज तक भी थे सहे
एक पल में भूलती माँ लाडले के लग गले
रंग माँ की लाई मेहनत,और खुशियाँ छा गई
यह सफलता पुत्र की उज्ज्वल सुबह दिखला गई
छलछलाते मुस्कुराते आँसुओं से मुख भरे
दे रही है माँ दुआएँ 'लाल' तू जीता रहे!
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भर न पाए ज़िन्दगी भर ज़ख्म ऐसा है मिला
कौन से थे पाप आखिर जो दिया है ये सिला
इक जवाँ बच्चे को रुखसत इस जहां कर रहे
फूटी किस्मत रब है रूठा अब करें किससे गिला
देख के बेजान बेटा ,माँ के दिल की सोचिए
बन गई पत्थर की जैसे, हर भरोसा है हिला
ऐ खुदा बेवक़्त जाना मार देता जीते-जी
अपने पीछे छोड़ देता ये गमों का सिलसिला
हैं पड़े बिस्तर पे कितने माँगते जो मौत दीप
मौत लेकिन धर दबोचे फूल जो हो अधखिला
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हो मधुरता आपसी रिश्तों में साथी
साथ में ऐसे रहो ज्यूँ दीप बाती
एक के बिन दूसरे का अर्थ क्या है
शाख को शोभित करे हर फूल पाती
प्रेम से जीवन लगे उपहार जैसा
और ख़ुशियों से ये दुनिया जगमगाती
साथ मिल कर साथ चलना ज़िंदगी भर
ज़िंदगी यूँ ही रहेगी मुस्कुराती
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