बदले तमाम लोग ये मंजर बदल गए
कल जो अदब में झुक रहे थे सर बदल गए
महफ़िल की रौनकें हमें कहते थे कल जो लोग
छाई जो मुफ़लिसी वही तेवर बदल गए
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फिर उसकी बात का मैंने बुरा नहीं माना
मेरी क्या मानता उसने खुदा नहीं माना
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तुम्हारे हाथ के नज़दीक मेरा हाथ जब जाता
बहुत से रंग छा जाते कि मन तितली सा मँडराता
छुअन से पहले ही अहसास में नरमी सी छा जाती
कहे धड़कन कभी मत छोड़ना ये साथ है भाता
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मन भावों को गीत बना लेती हूँ मैं
व्यथित हृदय को मीत बना लेती हूँ मैं
रिश्तों की ख़ातिर ही चुप हो जाती हूँ
हार स्वयं को जीत बना लेती हूँ मैं-
जब ख़वातीन इक साथ हो इक जगह,गुफ़्तगू चलती रहती है थमती नहीं
हम सभी कहते-सुनते सदा से यही,ख़त्म बातें कभी भी हुईं हैं कहीं
पर ज़रा बात पर गौर मेरी करें, औरतें तो हैं नाहक ही बदनाम जी
मर्द होते इकट्ठे जहाँ चार जब, शोर घण्टों रहा करता है बस वहीं🤣🤣
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इस तरह ताउम्र उनसे राबता रख्खा गया
रूह इक की जिस्म से पर फ़ासला रख्खा गया
जब ज़माने से गुज़र कर उन तलक पहुँची ख़बर
मामला था जाने क्या और जाने क्या रख्खा गया
हम नहीं पहचान पाए अक्स के उस शख़्स को
जब हमारे सामने इक आईना रख्खा गया
है मुहब्बत आज इन से कल न जाने किन से हो
इश्क़ का अंदाज़ अब देखो नया रख्खा गया
टुकड़े घर के कर दिए तक़सीम जागीरें करीं
बाप-माँ को एक दूजे से जुदा रख्खा गया
सौ खताएँ कर के भी बेटे रहे मासूम ही
सामने बेटी के हरदम क़ायदा रख्खा गया
'दीप" उम्मीदों भरे रोशन करें हर जीस्त को
अब दुआओं में यही इक फलसफा रख्खा गया
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मुसाफिरों से न उम्मीद वफ़ा की रखना
कि अगले मोड़ पे उनको बिछड़ ही जाना है
कभी किसी से न कहना रहेंगे साथ सदा
अकेले आए हैं जग में अकेले जाना है
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रिश्ता नहीं है खून का फिर भी ये ख़ास है
मेरी ख़ुशी में नाचता , ग़म में उदास है
है हौसला कभी कभी मीठी सी डाँट भी
हरदम सही सलाह दे उससे ही आस है
हर हाल में दे साथ रहे राज़दार दोस्त
हों सब ख़िलाफ़ चाहे मगर दोस्त पास है
मतलब के इस जहान में सच्चे हबीब ही
हैं बेशकीमती जो दे राहत सुवास है
गर 'दीप'हो अकेला करेगा भला वो क्या
बाती ओ तेल साथ जले तब उजास है
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कभी दूजे के पहलू से भी दुनिया देख लें गर हम
शिक़ायत और शिकवों का वज़न महसूस होगा कम
हमें इस ओर लगता जो सही 'नौ' वो कहे 'छः' है
न बदलेंगे अगर रुख़ तो ग़लत दूजा लगे हरदम
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योग मतलब जोड़ना है जोड़ लो ईश्वर से खुद को
झाँक कर अब स्वयं में ही जान लो भीतर से खुद को
लोभ छोड़ो द्वेष त्यागो मोह के बाँधो न बंधन
शुद्ध भावों से बचा लो पाप के चक्कर से खुद को
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