यूं बार-बार तेरा मेरे ख्वाबो में आना ।
महज एक इत्तिफाक नहीं हो सकता ।।-
यूं तो तलबगार नहीं मैं तन्हाइयों की
माही, फिर क्यों रास
नहीं आती महफ़िल मुझे ..!!
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यूं हीं आज मुस्करा बैठे हैं
थोड़ा खुद से ही शरमा बैठे हैं
अभी तो चाय उबलनी शुरु भी नहीं हुई
और वो बगल वाले कमरे में आ बैठे हैं
अब आज आ ही गये हो
तो इतनी जल्दी जाने नहीं देंगे
एक कप चाय का बहाना बोहोत हुआ
आज हम भी तुम्हारे लिए खुद को सजा बैठे हैं-
हे मेघा तुम बरश जाऔ ना,
अब ज़मीन जल चुकी है,
और आसमानं बाक़ि है,
जंगल मे उस सूखे हुये,
कुँए का इम्तहान बाक़ी है,
इस बार तुम बरस ही जाना वक़्त पे,
किसीं किसान का मकान गिरवीं है,
तो किसीं का लगान बाक़ि है।।-
यूं ना ले मेरे सब्र का इम्तिहान..!
कहीं इसका अंजाम मेरी मौत ना हो..!!
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For you apni.........
तेरी सांसों पे हम यूं मरते है,
की अब हम तुझे बेइंतहां प्यार करते है।
अब और क्या कहे तेरे बारे में,
अब हम तेरी आशिक़ी में तेरी आंखों से ही जाम भरते है।-
सोचते नहीं,
सोचना पड़ता है,
सोच कर ही हम,
बस मुस्कुरा लेते हैं।
किसी का दिल चुरा,
पाए ना चुरा पाए,
चुरानें का सोचकर,
हम मुस्कुरा लेते हैं।-
यूं तो इश्क़ करते नहीं हम किसी से,' मगर किसी की आंखो ने दिल चुरा लिया! (4) और मेरे दिल-ए-धड़कनों को मोहब्बत के रंग से भीगा दिया!
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तुझे छोड़ के किसी और के हो जाएंगे ???
ख़ुदा की कसम ... हम मर जाएंगे ।
अगर ये तेरे इल्ज़ाम मेरे हो जाएंगे ।।-