ज्योतिष सीखिए
केतु ग्रह : आध्यात्मिक, मोक्ष , भक्ति , एकांत , भाव (Intention) , मुक्ति , रहस्य , ज्योतिष, गुप्त चीजें, त्याग , समर्पण , जड़ , इतिहास इत्यादि के कारक हैं केतु जी।-
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ज्योतिष सीखिए
शनि ग्रह : स्थिरता , कर्म , जिम्मेदारी, कठिन परिश्रम और पीड़ा के कारक हैं ।
आपके किए किसी कर्म से अगर किसी को पीड़ा होगी तो जब शनि की साढ़े साती , ढैया और अंतर्दशा , महादशा आयेगी तो वो पीड़ा आपको भी सहनी होगी , ये हैं शनि ।
यूं ही नहीं शनि देव तुला राशि में उच्च के होते हैं।-
ज्योतिष सीखिए
यदि किसी की दशा और अंतर्दशा अच्छी ना चल रही हो तो यदि दशा और अंतर्दशा स्वामी ग्रह के दिन का उपवास रखा जाए और उस ग्रह का मंत्र जाप किया जाए तो काफ़ी दोष ख़त्म हो जाते हैं और अच्छे परिणाम मिलते हैं।-
ज्योतिष सीखिए
महादशा योग को फलित कर देते हैं,
अगर आपकी कुंडली में कोई भी अच्छा या बुरा योग है तो जरूरी नहीं है कि वो आपको मिलेगा ही क्योंकि जब तक उस योग का निर्माण करने वाले ग्रह की दशा नहीं लगेगी वो योग पूरी तरह से फलित नहीं होगा ।-
ज्योतिष सीखिए
सूर्या देव ग्रहों के राजा ।
आपके जन्म कुंडली में सूर्य देव कहीं भी हैं
किसी की ग्रह से संबंध बना रहे हैं , वो वहां stability
बनाते हैं।
जैसे सूर्य शनि युति में यह बात भी देखने को मिलती है
की इंसान अपना profession ज्यादा बदलता नहीं है ,
वो किसी भी क्षेत्र में स्थाई हो कर काम करता है।
इस चीज़ को आप आजकल के समय में देख सकते हैं
Example: Permanent job किसी भी फैक्टरी में।।-
ज्योतिष सीखिए
समृद्धि का कारक ग्रह देव गुरु बृहस्पति।
धन की समृद्धि शुक्र देव देते हैं ,
रातों रात मिलने वाली सफलता राहु जी की है।।-
ज्योतिष सीखिए
वक्री ग्रह
वक्री ग्रह के पास बाकी ग्रह से अतिरिक्त बल होता है
बहुत भाग्यशाली होते हैं वे लोग जिनके केंद्र या त्रिकोण में केंद्र या त्रिकोण का स्वामी वक्री हो ।-
ज्योतिष सीखिए
आपके लग्नेश के साथ जो ग्रह युति में है या जो ग्रह लग्नेश को देख रहा है उस ग्रह के पास आपकी जन्म कुंडली में जो भाव हैं वो चीज़ आपको लग्नेश की दशा अंतर्दशा में जरूर मिलेगी ।-
ज्योतिष सीखिए
ज्योतिषी उपाय बहुत जल्दी असर करते हैं,
यदि आपकी केतु की दशा चल रही है या आठवें भाव
के स्वामी की दशा चल रही है ।-