हीरे की तरह तराशता हूँ चले आओ मेरी ओर तुम मैले कुचले कोयले से थे कल तक, यकीं मानो मैं उजियारा नहीं पर, तुम्हें रोशन कर दूंगा शर्त इतनी सी है मेरी क्या मेरी चोट तुम सह सकोगे.....?
समय पर रेत को छोड़ा, घड़ी दब कर भी मुस्कुराती है...रे नादान व्यक्ति, "तेरा दिल भी तो धँसा है, दबा है; फिर भी मेरी तरह वो चल रहा है..धड़क रहा है"...क्या तुझे ख़बर है ?