अब तो दर्द के साथ !
जीने की आदत सी हो गई है !!-
अपने जज़्बातो को
शब्दों में पिरोने की छोटी सी को... read more
सुनो ना
सब प्रेम में घड़ी देते है , तुम मुझे वक़्त देना !!-
वक़्त आएगा तो थाम हाथ चलूँगी तेरे साथ भी !
अभी उलझी पडी हूं साहित्य के इतिहास और भारतीय काव्यशास्त्र में !!-
मैं पूजती हूँ अपने इश्क़ को !
दीये की तरह जलना तो लाजिमी हैं !!-
तुम समझ लो ना कभी , मेरी खामोशियां भी ।
यूँ हर बार इसे , शब्दों में पिरोना जरुरी तो नहीं ।।
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झूठ बोल के किसी का भरोसा तोड़ने से बेहतर है
सही बोल के उससे रिश्ता तोड़ लो !!
क्यूंकि रिश्ता दुबारा जुड़ सकता है
लेकिन भरोसा बनाने में पूरी उम्र चली जाएगी !!-
शब्दों का तीर कुछ यूँ हावी हो जाता है।
झूठी मुस्कान को यहाँ कौन समझ पाता है।
उम्मीदें की किरणें एक दिन टूट ही जाता है।
मुरशद खुद से भी रूठ ही जाता है।
जब इन्सान खुद से भी बेकाबू हो जाता है।
सही गलत का निर्णय भी कहा कर पाता है।
मानो सबसे कुछ यूँ दूर हो जाता है।
अपने आप में वह मशहूर हो जाता है।
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तुझे पाने की ख्वाहिश कभी न थी
तेरे जाने का गम आज भी हैं !!-