Dr. A. K. SINGH   (©®Akmaurya2)
7.4k Followers · 24.0k Following

read more
Joined 4 May 2018


read more
Joined 4 May 2018
24 JUL AT 22:29

लाइनें तो हम रोज़ बनाते हैं,
कुछ लोग उन लाइनों में चलते हैं,
कुछ लोग उन लाइनों को,
कुचल के निकालते हैं,
कुछ लोग उन लाइनों को,
इग्नोर करते हैं,
लाइनें तो हमने भी मारी,
लाइन लेने वाले ने लाइन ली भी,
फिर ना जाने उन्हें क्या हुआ,
नई लाइन बनाकर,
चलके निकल गये।

-


24 JUL AT 22:20

ये जो काली साह रात है,
औरों के लिए
पलकें बन्द करने की होगी,
हमारी वाली तो,
अब आती ही नहीं,
न जाने रास्ता भटक गयी
या…….
या नये रास्ते बना ली।

-


23 JUL AT 23:31

वो क्या जाने
जो बात अधूरी रह गई?
ख्वाइशें-तमन्नायें सब,
अब अधूरी रह गई,
गिला-शिकवा भी करें किससे,
अब तो……..:.!!!!
उनकी भी मजबूरी हो गई
वो क्या जाने,
जो बात अधूरी रह गई?

-


22 APR AT 11:49

फितूर होता है,
हर उम्र में जुदा जुदा,
खिलौना,
माशूका,
रुतबा और खुदा...!!

-


22 MAR AT 7:50

बिहार
दिवसाच्या
हार्दिक
शुभेच्छा
आहे !

-


3 MAR AT 18:39

विज्ञान के अनुसार हृदय ❤️
एक मिनट में 72 बार धड़कता है।
उफ्फ ...🙇🏼
तुम्हारी यादें,
विज्ञान के नियमों की,
धज्जियां उड़ा रही हैं।

-


27 JAN AT 13:15

वो ज़िन्दगी भर का वादा करके,
प्रेम में साथ चलकर,
अपने प्रेम को अमर करने निकले थे,
हम भी हाथ थामकर साथ निकल पड़े,
पर न जाने वो किस रास्ते,
भटक गये प्रयागराज चलते-चलते....

-


3 NOV 2024 AT 20:43

और हम कहीं और,
ये दोस्ती से भरा वो जाम है,
न वो छलकाना चाहते न मैं,
चलता रहे यूँ ही सफर अपना,
न वो जाना चाहते हैं,
न मैं जाना चाहता हूं,
न ये काली रात जाये,
हमें छोड़कर-2
साथ मेरा उनका बना रहे,
सफर यूं ही चलता रहे।

-


21 OCT 2024 AT 21:44

अब आ भी जाओ के सुकूंँ मिले मुझे,
अगर जो जाना था तो क्यूंँ ही मिले मुझे;
ज़माना हो न हो रकी़ब बीच में,
अब जब तू मिले तो ही सुकूँ मुझे।

-


2 JUL 2024 AT 22:06

प्रजेंट से पास्ट बनता है,
और पास्ट ही से प्रेजेंट होता है,
जब प्रेजेंट ही नहीं रहा,
तो पास्ट क्या होगा?

-


Fetching Dr. A. K. SINGH Quotes