लाइनें तो हम रोज़ बनाते हैं,
कुछ लोग उन लाइनों में चलते हैं,
कुछ लोग उन लाइनों को,
कुचल के निकालते हैं,
कुछ लोग उन लाइनों को,
इग्नोर करते हैं,
लाइनें तो हमने भी मारी,
लाइन लेने वाले ने लाइन ली भी,
फिर ना जाने उन्हें क्या हुआ,
नई लाइन बनाकर,
चलके निकल गये।-
Blog-www.akmaurya2-com.over-blog.com
read more
ये जो काली साह रात है,
औरों के लिए
पलकें बन्द करने की होगी,
हमारी वाली तो,
अब आती ही नहीं,
न जाने रास्ता भटक गयी
या…….
या नये रास्ते बना ली।-
वो क्या जाने
जो बात अधूरी रह गई?
ख्वाइशें-तमन्नायें सब,
अब अधूरी रह गई,
गिला-शिकवा भी करें किससे,
अब तो……..:.!!!!
उनकी भी मजबूरी हो गई
वो क्या जाने,
जो बात अधूरी रह गई?-
फितूर होता है,
हर उम्र में जुदा जुदा,
खिलौना,
माशूका,
रुतबा और खुदा...!!-
विज्ञान के अनुसार हृदय ❤️
एक मिनट में 72 बार धड़कता है।
उफ्फ ...🙇🏼
तुम्हारी यादें,
विज्ञान के नियमों की,
धज्जियां उड़ा रही हैं।-
वो ज़िन्दगी भर का वादा करके,
प्रेम में साथ चलकर,
अपने प्रेम को अमर करने निकले थे,
हम भी हाथ थामकर साथ निकल पड़े,
पर न जाने वो किस रास्ते,
भटक गये प्रयागराज चलते-चलते....-
और हम कहीं और,
ये दोस्ती से भरा वो जाम है,
न वो छलकाना चाहते न मैं,
चलता रहे यूँ ही सफर अपना,
न वो जाना चाहते हैं,
न मैं जाना चाहता हूं,
न ये काली रात जाये,
हमें छोड़कर-2
साथ मेरा उनका बना रहे,
सफर यूं ही चलता रहे।-
अब आ भी जाओ के सुकूंँ मिले मुझे,
अगर जो जाना था तो क्यूंँ ही मिले मुझे;
ज़माना हो न हो रकी़ब बीच में,
अब जब तू मिले तो ही सुकूँ मुझे।-
प्रजेंट से पास्ट बनता है,
और पास्ट ही से प्रेजेंट होता है,
जब प्रेजेंट ही नहीं रहा,
तो पास्ट क्या होगा?-