Dr. A. K. SINGH   (©®Akmaurya2)
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Joined 4 May 2018


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23 APR AT 20:09

मैदान छोड़ना,
उनकी आदत है,
या फितरत!!!
पता नहीं...........🤔
बस सवाल एक ही है,
क्या साथ देना,
उन्हें नहीं आता,
या देना नहीं चाहते?
और..............
कदम से कदम मिलाकर,
चलने की बात करते हैं।🙏🏻

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23 APR AT 20:06

जिंदगी के अफसाने,
बाजार एक बार फिर,
गर्म हो रही है,
लगता है इस बार फिर,
कोई बवाल होने वाला है।
जैसे हुआ था कुछ पलों पहले,
जब गर्दिशे आलम,
बाजार गर्म हो चला था,
बाजार गर्म होते ही,
वह मैदान छोड़ निकले थे,
जैसा पिछली बार किया था।
क्या वही इस बार होने को है?
या कुछ और.........!!!

-


15 APR AT 9:02

जहां आपके प्यार की,
आपके बातों की,
आपके केयर की,
कोई इज्जत ना हो,
और.........
आपका प्यार करना,
आपकी बातों की तहजीब,
आपका केयर करना,
सब उन्हें दिखावा लगे,
वहां पर आपको,
एक पल नहीं रहना चाहिए।🙏🏻

-


9 FEB AT 7:20

तुम चाहते हो दिल पर दस्तक देना
और मैं खुशियों की आहट आ जाने से डरती हूँ


तुम्हें शौक है हर लम्हें को यादगार बना देने का
और मैं महज़ याद बन कर रह जाने से डरती हूँ


यूँ करीब खींचना ...और...गले लगा लेना
है आदत अच्छी नहीं... मगर....
मैं इस आदत पर भी दिल हारे जाने से डरती हूँ

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9 FEB AT 0:52

यही वह लोग हैं जो साथ चलने की बात करते हैं,
यही वह लोग हैं जो साथ चलने की बात करते हैं,
यही वह लोग हैं जो साथ चलकर फिर से नई शुरुआत करने की बात करते हैं,
यही वह लोग हैं जो साथ चलने की फिर से नई शुरुआत करने की बात करते हैं,
पग क्या डगमगाया............!!!
पग थोड़ा सा क्या डगमगाया,
न विश्वास है ना निश्चय,
न जाने कौन से हौसले की बात करते हैं,
हौसला ए शिद्धते वही अब नई राह की खोज पर निकलने बात करते हैं,
यही वह लोग हैं जो साथ चलने की बात करते हैं,
यही वह लोग हैं जो साथ चलने की फिर से नई शुरुआत करने की बात करते हैं।
जहां फर्क नहीं पड़ता किसी बात का, ना असर है किसी जज्बात का,
वह क्या समझेंगे किसी के जज्बात को, किसी के मुलाकात को।
यही वह लोग हैं जो साथ चलने की बात करते हैं,
यही वह लोग हैं जो साथ चलने की फिर से नई शुरुआत करने की बात करते हैं।

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9 FEB AT 0:34

उमंग बहुत है पर कोई दौड़ नहीं है,
ओर खीचें ऐसा मोड़ नहीं है।
बदलते चले हर दिन एक नक़ाब,
ऐसा हमारा दो चार जोड़ नहीं है।
जिस तरह बात झुठलाते हैं लोग,
हुनर में उनका कोई तोड़ नहीं है।
भर के कीचड़ उछाल दी उन्होंने,
लो पेट मे अब बाकी मरोड़ नहीं है।
दौलत पर अपनी घमण्ड न करे,
आदमी ऐसा कोई बेजोड़ नहीं है।
रिश्तों में ग़म-ओ-गर्दिश हैं बहुत,
अब तक मिला निचोड़ नहीं है।
ग़म-ए-हयात पी ली इस कदर,
मचती मधुशाला में कोई होड़ नहीं है।

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7 DEC 2023 AT 20:31

उनकी ख्वाहिशें-ए-फितरतें नादान,
जानें क्या दिखाना.......?
क्या जताना,,,,,चाहते हैं वो?,
ज़हां-ए-संसार के,
शहरे कब्रिस्तान से....?
उनके इस फ़ितरते-ए-आलम में,
एक फिक्र झलकती है,
जाने तब नादानी थी,
या अब नादानी है,
ज़हां-ए-संसार के,
कब्रिस्तान से.......!!!!!

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1 JUN 2023 AT 1:01

तू कयामत तक,
धरने पर बैठ,
ए किस्मत,
मैं कभी.....!
कोशिशों से,
इस्तीफा नहीं दूँगा।

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9 FEB 2023 AT 18:11

बस एक दिन,
देख ही लेगा,
मेरी हसरतों को,
ये ज़ालिम जमाना।
फिर खुद गायेगा,
मेरे सफर का तराना।

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2 FEB 2023 AT 0:58

हर तरफ...
उसकी यादों का पहरा है,
जहां से भी सोचो,
हर तरफ उसका चेहरा है,
जब भी न सोचूं,
तो सपनों में आती है,
कमबख्त सोचो अगर,
तो दिल जलाती है।

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