काफ़िलों की ज़रूरत नहीं रास्तों में धूल उड़ाने के लिए
इक रहबर ही काफ़ी है मंज़िल तक ले जाने के लिए,
तेरे क्षणिक जीवन का अस्तित्व हो तो इस क़दर हो राही
के तुम जलो दीपक सा.. अँधेरों में किसी को राह दिखाने के लिए,
बनों आफ़ताब के धरा का हर कोना पुल्कित हो तुम्हारे उदय से
के ना रुप धरो माचिस की तीलियों का
जो जलती हैं पऱ कुछ ना कुछ जलाने के लिए,
है ख़ुदा तो नहीं.. पऱ वो ख़ुदा से कम भी नहीं है
मिला है जो मुझे दुःख में.. सुख में बिछुड़ जाने के लिए,
बेजान काग़ज़ों को.. जिसने आसमां दिखा दिया
शुक्रिया "ख़ुदा" तेरा..
मेरे स्वप्नों की पतंग उड़ाने के लिए....!-
ए मेरे चाँद तु उदास मत हुआ कर
तुझे देख कर ही तो प्रेमी जोड़े प्यार के गीत गाया करते है
तु ही तो प्यार का जरिया है उनका
तु ही तो मिला देता है उनको मीत मनका-
सोचती हूँ लिख भेजूँ तुम्हें बेचैनियाँ तमाम
पर खुद ब खुद थम जाते हैं कलम
कहीं पतंगें बन फड़फड़ाने न लगे
तुम्हारे स्टडी टेबल की लैम्प में...
(पूरा अनुशीर्षक में)
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तुझे पाने की जिद में खुद से जुदा हो गया
एक जुनून एक नशा एक लत थी तू मेरी
ले तेरे कारण आज स्वयं में ही खो गया
तू तो मिली नहीं मुझे एक तलब रह गई पाने की
पर कभी तो वजह बताती यूं बेवजह जाने की-
मन के मीत बनकर तुम मीलों
संगीत के गीत बनकर तुम मिलों ।
बहुत हुआ लॉकडाउन में न मिलना
कोई बहाना बनाकर तुम हमसें मिलों ।-
अकेले रहने की।
तन्हाई बन जाता है मीत
हौसला मिलता है
अकेले दर्द सहने की।-
नज़रें नज़रों से मिल कर के
देखो तूफ़ान उठा देंगी
ये पाक-साफ़ इस रिश्ते पर
बिन बात के दाग लगा देंगी
क्षणिक देह-सुख इच्छा रख
"आत्मा" को न मरने देना
मीत बनाए रखना हमको
प्रेम-पुष्प न खिलने देना!!-
मैं समंदर हूं कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता..
कोई फव्वारा नहीं हूं जो उबल पड़ता है..।।-
तुझ्यात एकरूप होऊदे मला असे तू,
की तुझ्या श्वासात माझे श्वास गुंतून जाऊदे...
विसरू दे मला ओळख स्वतःची,
तुझे नी माझे अस्तित्व एकमेकात गुंफून जाऊदे...-