पहले
तुम पढ़ो
मैंने क्या जज्बात लिखे हैं ,
पहचानो !
मैंने - मेरे क्या हालात लिखे हैं ।-
चाय
और
तुम्हारी यादें
घूंट घूंट पी रहा हूं !
एक
अरसा हो गया
मैं मर के भी जी रहा हूं !-
मजहब अलग-अलग
थे हमारे , 💔
वरना !
इश्क तो मेरा भी
आज ❣️❣️
सातवें आसमान पर होता।-
शीर्षक - ।। एक विचार और एक शायरी ।।
1.👇
हर वक्त क्या लिखूँ सोचते रहे तो कुछ नही लिख सकते । जब हम केवल इसीलिए बैठते हैं कि कुछ लिखना है तो हम कुछ नही लिख पाते । लिखनेवाले के भीतर अचानक से अल्फ़ाज़ों के तरंग उसके कलम के स्याही को भेदते हुए कोरे कागज को भर देते हैं ।तब दिल और दिमाग को साइड रख केवल आत्मा की सुनना होता है।
2.👇
" तुमसे बात
करने के लिए
मुझे बोलने की
ज़रूरत नहीं पड़ती "-
मैं सिगरेट शराब के नशे में हूँ तो बुरा हो गया ,
ये दुनिया जो होश में है बताओ उसका क्या !-
मेरे ही
लफ्जों में
मुझे बता गई वो ,
करती हूं प्यार तुझसे
और फिर झूठला गई वो !
मजाक नहीं थे वो अल्फाज मेरे
फिर भी ना जाने क्यों बात घुमा गई वो !-
मैं
बोल दूंगा
सब कुछ हिम्मत है ,
तो सुनो
प्यार है तुमसे
पर जाल मत बुनो !-
शीर्षक - ।। शक ।।
मुझे शक करने वाले हर शख्स से नफरत है । और फिर मैं उसे प्यार करते हुए भी दूर हो जाता हूं क्योंकि शक एक ऐसा गुण होता है जो प्यार के पेड़ को धीरे धीरे खा जाता है । जिसे वह पेड़ सूखने लगता है और एक वक्त बाद उसके सभी फूल पत्तियां उसको छोड़ कर चले जाते हैं और वह अकेला खंडहर की तरह खड़ा रहता है और उनके वियोग में अकेला दर्द में रहता है । जिसके पास कोई अजनबी भी नहीं भटकता।-