तेरी सहमति और असहमति का
मान करना जानता हूं,
तेरे मान स्वाभिमान का
सम्मान करना जानता हूं,
मैं जनता हूं प्रेम है
थोपा ये जा सकता नहीं
इसलिए हर पक्ष और
हर पहलू का ध्यान करना जनता हूं,
किंतु जितना तुझे मैं मानता हूं
उतना ही स्वंम् को पहचानता हूं,
मैं अपने भी स्वाभिमान पर
अभिमान करना जनता हूं,
तेरी स्वीकृति अस्वीकृति का
तुझको पूर्णता अधिकार है
पर गिड़गिड़ा कर प्रेम पाना
न हरगिज़ मुझे स्वीकार है,
यदि प्रेम हो तो पूर्ण हो
परिपूर्ण हो, सम्पूर्ण हो
यदि भीख में मिले प्रेम तो धिक्कार है ।।
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