हां बताओ ना जो तुमसे चाहती हो
खुलकर कह देना जो तुम चुप कहना चाहती हो
माना सबसे तुम नहीं कह पाती हो
पर जिसे तुम अपना मानती हो उसे तो कह सकती हो ना
अगर ना बोल पाओगी तो लिखकर ही बता सकती हो ना बताओ ना आखिर तुम क्या चाहती हो
मैं भी जानना चाहता हूं तुम्हारे दिल की बात तुम्हारे जज्बात तुम्हारे सपने जो अब मेरे भी हैं मैं उन्हें पूरे करना चाहता हूं
तुम्हें ही तो मैं दुनिया भर की खुशियां देना चाहता हूं ,
तुम्हारे बालों में गजरा लगाने चाहता हूं
मैं तुम्हारा जीवन महकाना चाहता हूं
पर बताओ ना तुम क्या चाहती हो
कहीं इससे परे कुछ तुमने अपने मन में सोचा हुआ हो
और वह मैं ना कर पाऊं और तुम कह ना पाऊं तो कैसा होगा जब कभी हम साथ होंगे तो फिर हम अफसोस करेंगे
जीवन में जो तुम चाहते थे और वो सब मैं कर सकता था
लेकिन तुम्हारी चुप्पी ने मुझे मौका ही नहीं दिया ।
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