Rina Sahu  
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Joined 15 June 2021


Joined 15 June 2021
30 APR AT 20:46

उन पर बीती तो पता चला



आप बीती तो पता चला

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30 APR AT 19:10

तन्हाइ उस शहनाई की तरह होती है
जिसकी गूँज दिल में शोर की तरह बजती है
जो हमे सिवाय घुटन के कुछ नहीं देती.

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30 APR AT 11:12

दोनों से डर लगता है
गुमराह ना हो जाऊँ
तो दिल की राहों में
और तेरे ख्यालों में
गुम ना हो जाऊँ.

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29 APR AT 23:16

गुलाब मे छुपे काटोंकी तरह है
जो छुप कर बस
दिल में एक टीस जगाते है
जो किसी को नजर नहीं आता.

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28 APR AT 21:51

यादों के भंवर में फंस रहें हैं
हकीकत की डोर से खींचे जा रहे हैं
बंद आँखों से नई दुनियां सजा रहे हैं
अजनबी सी दुनिया में कदम बढ़ा रहे हैं

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27 APR AT 22:01

जिसका दिल करता है हर प्रयास
जिसका तुझे नहीं हो रहा है आभास
ये देखकर ही दिल हो रहा है निराश
तुम कैसे हो गये हो इतने निरस

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26 APR AT 23:30

ऐसा क्यूँ होता है
जो खास होता है
वो पास नहीं होता
पर हाँ अहसासों में
सासों की माला बन
बस ख्वाबों के मोती बन
चमकता रहता है. क्यूँ?

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26 APR AT 20:11

अन्दर ही अन्दर इंसान
टूटता और घुटता है

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20 APR AT 23:34

बुने है हर छंद
दिल टूटकर बिखर जाता है
जब दिल जिसे अपना माने
वो तोहमत की स्याही से
दामन को दागदार कर
विश्वास का खून कर जाता है।

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19 APR AT 21:17

पीछा न छोड़ा रूढ़िवादीता के ग़म नें
रब को जज समझा मैंने
ख़ुद को ही मुजरिम
बना डाला हमनें
वक्त़ को वकील माना मैंने
क्युकि दलील दे डाला समाज ने
यही तो है कथा और व्यथा
जो रच दिया पुरुष सत्तात्मक समाज ने

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