दिल भर आया हुई है आँखे नम -
दिल भर आया हुई है आँखे नम
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जैसे हो दिन से वाद -विवादहोती है कभी नोक झोंक से शुरूआततो कभी ढलती साँझ से एक फ़रियाददिल चाहता है एक सुकून भरी रात. यही तो है बस रात से एक संवाद. -
जैसे हो दिन से वाद -विवादहोती है कभी नोक झोंक से शुरूआततो कभी ढलती साँझ से एक फ़रियाददिल चाहता है एक सुकून भरी रात. यही तो है बस रात से एक संवाद.
कभी धूप की तपिश दे जाती हैतो कभी बे मौसम की बारिशजो नयनों को भिगो देती हैतो कभी वो सावन का झूलाजो दिल आज तक ना भूला..... -
कभी धूप की तपिश दे जाती हैतो कभी बे मौसम की बारिशजो नयनों को भिगो देती हैतो कभी वो सावन का झूलाजो दिल आज तक ना भूला.....
अक्सर ग़मों से भरे दिन की शुरुआत हैं -
अक्सर ग़मों से भरे दिन की शुरुआत हैं
वाणी की मधुरताचरित्र की सुन्दरता को दर्शाती है -
वाणी की मधुरताचरित्र की सुन्दरता को दर्शाती है
मासूमियत की चादर को चीर देती है जिंदगी जिसमें समझदारी की पैबंद लगाकरजीवन को जीता है इंसान। -
मासूमियत की चादर को चीर देती है जिंदगी जिसमें समझदारी की पैबंद लगाकरजीवन को जीता है इंसान।
इन जलती हुई लकड़ियों को देखकरकहीं किसी के सीने में लगी है आगतो कहीं किसी के अरमानों की पड़ी होगी राखजो पड़ाव है अरमानो के खत्म होने का। -
इन जलती हुई लकड़ियों को देखकरकहीं किसी के सीने में लगी है आगतो कहीं किसी के अरमानों की पड़ी होगी राखजो पड़ाव है अरमानो के खत्म होने का।
कभी कामयाबी का झरोखातो कभी सुकून भरी सांझ -
कभी कामयाबी का झरोखातो कभी सुकून भरी सांझ
या यूँ कहूं तो कायर हूँजो सबको कह नही पाता हूँभावनाओं को मन में दबाकरडायरी के किसी कोने मेंभावनाओं को किस्तों में छुपाकर तो कभी उन्हें शब्द की लड़िया बनाकरवक्त को हथकडियां बनाकरबस जीता जाता हूं। -
या यूँ कहूं तो कायर हूँजो सबको कह नही पाता हूँभावनाओं को मन में दबाकरडायरी के किसी कोने मेंभावनाओं को किस्तों में छुपाकर तो कभी उन्हें शब्द की लड़िया बनाकरवक्त को हथकडियां बनाकरबस जीता जाता हूं।
हैजो खेलती ऑंख मिचौली हैकभी धूप में जली हैतो कभी सांझ बन ढली हैमुस्कान की ओट मेसिसकियों को छुपाकरदिनरात चली है। -
हैजो खेलती ऑंख मिचौली हैकभी धूप में जली हैतो कभी सांझ बन ढली हैमुस्कान की ओट मेसिसकियों को छुपाकरदिनरात चली है।