ओ पूरब घुटने मुँह मोड़े उदास बदलियों में क्यूँ छुपे हो?
नहीं किरणें आलस्य की पिटारी,बता दो भला क्यूँ रूठे हो?
कहे सूरज एक ऊँघता बच्चा ही जल अर्घय् दे अब मुझे!!
28.6.21(त्रिवेणी)
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मेरे तिरंगे में जो बात है वही एक दमदार अहसास है सीने में,
जिससे देकर गर्व होता है मुझे इस धरती पर यही वो एक भाग्यवान है....-
आठवणींत तुझ्या मला स्थान नाही....
विसरावे असे कोणतेच पान नाही....
तू नाही बोलला म्हणून राग कसला....
अजिबात माझा यात अपमान नाही....
सहन करते विरहाच्या वेदना किती....
इतकाही कमजोर अजून प्राण नाही....
तू सुखी असावा हीच इच्छा मनातली....
तुला दुःखात पाहून मला अभिमान नाही....
प्रेम फक्त तुझ्यावरच करते अजूनही....
कुठेही पाणी पिण्याची तहान नाही....
किती लपवावे दुःख अंतकरणात या....
रोज नवे सरण जाळाया स्मशान नाही....
पुढच्या जन्मी तूच लाभावा आयुष्यात....
पुनर्जन्म मिळावा इतकी भाग्यवान नाही....
- स्नेहा....
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चलो!
मैं इक बार तेरा भाग्य बन जाता हुँ।
और तुम मेरी भाग्यवान बन जाओ।
(Spacially for my future wife)😂-
पति : मैं हुँ तो तुम हो ,
तुम हो तो मैं हुँ,
हम दोनों हैं तो साड़ी क़ायनात है,
फिर भी आपसी तक़रार है।😎
पत्नी : मैं मै हुँ,
तुम तुम हो,📣
फिर भी आपसी प्यार है,
क्या बोले तक़रार है ?✊👊
पति : भाग्यवान, तक़रार नही इकरार है ।😭
पत्नी : सही बोला।👍
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" आनन्द "
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भाग्यवान
कभी देखी है उसकी मेहनत
कभी देखी है उसकी लगन
कभी देखी है उसकी हिम्मत
कभी देखी है उसकी ऊर्जा
कभी देखी है उसकी तड़प
कभी देखी है उसकी सोच
सिर्फ देखी उसकी सफलता
और श्रेय दिया है भाग्य को
पहले ये सब देखो फिर कहना
वो इंसान कितना भाग्यवान है-
साँझ की है बेला और अंक में हो तुम प्रिये
भाग्यवान होने को न और कुछ भी चाहिए
देखकर तुम्हें सुनो कि हँस पड़ी बहार है
बेकरार धड़कनों को आ गया करार है
झूमती फ़िज़ाएँ हैं सुलग उठी हवाएँ हैं
देख लो दुआएँ दे रहीं दशो-दिशाएँ हैं
इक ख़ुमार छा रहा है जान-ओ-दिल पे बिन पिए
साँझ की है बेला और....
रोम-रोम उमंग है मलंग श्वास-श्वास है
आँख संग आँख देखो कर रही विलास है
तितलियाँ है पुष्प पर कि प्रेम-पथ प्रशस्त है
दूर वो धरा पे झुक के आसमान मस्त है
मैं हुआ हूँ वो ग़ज़ल कि तुम हो जिसके क़ाफ़िए
साँझ की है बेला और....-
हाथों की रेखा में
भाग्य रेखा की कमी थी
और फिर भगवान ने
भाग्यवान से मिला दिया।-