जाइज़ है सबकुछ मोहब्बत में,
प्यार और कुर्बत दोंनो है मोहब्बत में।
प्यार है जहाँ वहीं कुल्फ़त की है जरूरत,
प्यार ही प्यार की बात केवल न हो मोहब्बत में।
हुकूक सलामत रहे दोंनो का और एहसास मिले,
नोक-झोंक भी चलता रहे मोहब्बत में।
मोहब्बत के इर्द-गिर्द घूमती है दुनिया,
दुनिया भी आबाद है मोहब्बत में।
एक तरफा प्यार का इजहार नहीं होता "आनन्द"
दो दिलो का समागम है मोहब्बत में।-
My book " Arpan - Kavyasangrah "
published on 14th De... read more
फूल खिलने का मतलब क्या है,
दो जवाँ दिलो की चाहत क्या है
सोचा है एक दिन समझाए उसे
इतनी सहूलियत कभी देता नहीं मुझे।
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फूलो से पूछो जरा वो चाहती क्या है,
खूशबू फैलाकर भागती क्यों है,
इतनी बात से सुकून मिले मुझे
खुद अपने-आप को छिपाए क्यों है।-
मानव से भय मानव को हो रहा है कैसे,
दानव प्रवृत्त मानव में घुसपैठ कर गए जैसे।
घर-घर में ये बात आम हो गए है,
भाई से भाई का दुश्मनी खास हो गए वैसे।
माँ-बाप का जीवन उधार पर चल रहा है,
कौन उनका देख-रेख करे जैसे-तैसे।
मानव हैं हम सब मानवता भूला दिए हैं,
पशुवत व्यवहार मानव का हकीकत हो जैसे।
मानवीय मूल्यों का मूल्यांकन हो समाज में "आनन्द"
समाजिक सुधार की है जरूरत जैसे-जैसे।-
आसमाँ के नीचे बैठे हैं हम दोंनो,
प्यार का जहाँ अपने पीछे बसाए बैठे हैं।
तफ्तीश कर ले जमाना चाहत है हम दोंनो की,
हम दोंनो तो पाँव का निशाँ बना के बैठे हैं।-
बचपन के खेल खिलौने के संग होते हैं,
रखरखाव खिलौने की उनपर नही होते हैं,
वो सिर्फ खेलते हैं अपने हिसाब से,
टूटते फूटते हैं खिलौने वो जवाबदेह नही होते हैं।
कुछ खिलौने के टूटने से बचपन मरा नही करता,
ख्वाबों को टूटने से जिंदगी रुका नही करता,
जिंदगी रुकते नहीं परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो,
समय के साथ चलने से जिंदगी कभी ठहरा नही करता।
खिलौना टूटते हैं फिर नया लाते हैं,
ये जिम्मा उनके अभिभावक उठाते हैं,
बचपन का एहसास धन-दौलत से बड़ा होता "आनन्द"
इसका लुफ्त बच्चों के साथ माँ-बाप भी उठाते हैं।-
मुझे अपने ज़िंदगी से बेदखल कर दिए,
सोचा भी नही तनिक सा
हम कोई गैर नही हमसफ़र थे।-
मुशाबेह ( एक रूप, हम शक्ल, बराबरी,एक जैसा)
एक फ्रेम में गढ़ा इंसान हम शक्ल दिखता है,
एक साँचा में बना वस्तु एक जैसा दिखता है।
अपनी शक्ल आइने में दिखा तो मुशाबेह मिला,
दो इंसान एक जैसा मानो हम शक्ल दिखता है।
ईश्वर की कलाकारी का कोई सानी नही है,
ईश्वर से बड़ा दुनियाभर में दूसरा ज्ञानी नही है।
इनके हुनर पर नाज है सबको "आनन्द "
मनुष्य निर्माण का कोई कारख़ाना नही है।-