बुराई को हाथ जोर आगे बढ़ो,
सच्चाई जीवन का आधार बनाओ,
क्षणिक लाभ का परित्याग करो।-
My book " Arpan - Kavyasangrah "
published on 14th De... read more
True love doesn't reflect vulnerabilities...
Compassion from both sides is evident
& clear.-
टूटने के कगार पर खड़ा रहता है।
नाज़ुक है दिल उसमे गांठ न पड़े
गांठ पर जाए तो संभलकर जीना पड़ता है।-
अब दिल नहीं दिलदार चाहिए,
सही मायने में प्यार चाहिए।
बचपन गुज़र गए जवानी के दिन आये,
समय गुजारने के लिए मनमाफिक यार चाहिए।
रोक-टोक न हो उसमे मिरी मर्ज़ी ही चले,
हस्तक्षेप न हो किसी का हमसफ़र अपना चाहिए।
खुलकर कह दिए सबकुछ कोई इलज़ाम न लगाए,
अपनी हसरत के साथ जिएं अपना हमदम चाहिए।
सबकुछ ठीक है व्यवहारिक भी होना पड्ता "आनन्द"
इतने खुले विचार पर कभी-कभार रोना पड्ता है।-
निडर और निर्भीक बहती नदी की धारा ,
अपने उद्देश्य का पालन करती है,
न थकती है न रुकती है निरंतर बहती है,
आराम तभी करती जब समुंदर से जा मिलती है।-
झूला झूलने का शौक पूरा कर लें हम दोंनो,
न जाने कब तक ये खुशियॉ हमारे साथ रहेंगी।-
मेरा चाँद उदास है
फिर भी मेरे पास है
शक शुभा की बात नहीं,
किसी से वो नाराज नहीं
दिलकश अंदाज में रहती है
कभी बादल में जा छुपाती है
कभी अपने आंगन आ धमकी है
शीतलता उसपर छाई है
प्रकाश उनका अनुयाई है
वो घर में रहे या रहे अम्बर में
सब जगह अपना परचम लहराई है-
खुद को बचाकर रखना जमाने से,
लोग कहते,चोर आते हैं खुद के तहखाना से।
जालिम है दुनियॉ सतर्कता बरतनी है,
अधिक खतरा रहता है खुद के आशियाने से।
तोहमत नहीं सच्चाई है प्यारे,
महफ़ूज नहीं है बचपन इर्द-गिर्द रहने बालो से।
बाहरी खतरा निपट जाते हैं आपसी परहेज और प्रयास से,
बचपन बचाओ खुद के सूझबूझ और रिश्तेदारों से।
तुझे नज़र न लगे यही ख्वाहिश है मिरी "आनन्द"
बचपना फले-फूले अपनी बग़िया में सबकी प्रयास से।-