फूल देकर तुझसे गुजारिश किए हैं,
जज़्बा-ए-दिल को आगे बढ़ाए सिफारिश किए हैं।-
My book " Arpan - Kavyasangrah "
published on 14th De... read more
ऐसे न निहारे फूल को जो फूल जाए मुरझाए,
तेजी अधिक है साँस में, फूल मूर्छित न हो जाए।-
उल्लास भी दिखता है हँसी भी दिखता है,
आलस के नाम पर कहीं-कहीं कहकहा भी लगता है।
आलस इक वला जो हर पर चढ़ता है,
कुछ संभलता, कुछ आलस की चादर में लिपटता है।
परिश्रम का चादर तानकर वो सोते हैं,
जिन्हे आलस की चादर की जरूरत नही पड्ता है।
उद्यमशील लोंगो की सोच में आलस नहीं दिखता है,
सुस्ती इन्ही को आती जिनमे अकर्मण्यता दिखता है।
अंत में .......
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान,
सूरत संभाल ए काफिला, खुद को तू पह्चान।-
यों न नजरे चुराए मुझे देखकर,
हम तो आशिक बने आपको देखकर।
सब चीज से वाकिफ हैं हम दोनो एक-दूसरे की,
फिर भी नजरे आपने चुराई मुझे देखकर।-
तेरा आंगन ही मेरा वजूद है,
इस आंगन में मेरा मजूद है।
बाबुल की आंगन से रुख़सत पाई मैंने,
ये आंगन प्रीत के रीत का वसूल है।
यही परम्परा चला आया सनातन से,
ये रीति-रिवाज मुझे कबूल है।
तेरा आंगन ही मेरा आंगन है,
ये मिट्टी हमें मंजूर है।
बाबुल की आंगन से डोली आई "आनन्द "
अर्थी उठेगी इस आंगन से --सबको कबूल है।-
कहाँ चल दिए थोड़ा मुड़कर देखो,
मुस्कुराकर थोड़ा अदब से देखो,
ऐसा मौका फिर मिले या न मिले
हो सके तो थोड़ा मिल के जाओ।
चाँदनी रात है अंधेरा का बोलबाला है,
बादल के पीछे चाँद छुपा
न जाने क्या इरादा है,
अकेले तू चल परई न सोची न समझी,
हो सके तो थोड़ा रूक के जाओ।-
सुख-दुख का कश्मकश अजीबो-गरीब है,
सुख में प्रभु याद आते नहीं,दुख-दर्द में प्रभु को याद करते हैं।-