इश्क के फसानों में फंस गया था मैं ।
जब से उबरा हूँ, मानो तर गया हूँ मैं ।।-
तेरे लहजे व सलीके का कायल हूँ ।
बावस्ता सा तेरे पैरों का पायल हूँ ।।-
इम्तहान की इन्तहां हो गई।
हम इश्क़ में इतने खोए, की
मंजिल ही मुझसे आगे निकल गई।।-
इक शेर अर्ज करता हूँ
अपनी कलम से तुम्हारे लिए...की......
कायनात में ढेरों,
कमल खिले होंगे,
पर तुमसा कोई नहीं ।
गर खिलना भी चाहे,
दूजा कमल तुमसा,
उससे बड़ी कयामत होगी कोई नहीं ।।
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मिसरी
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जबसे तेरे नाम की मिसरी
होंठों से लगा ली है ।
मानो अपनी ही जिंदगी,
मीठी शराब हो गई है ।१।
उतरता ही नहीं तेरा नशा, की
सब कुछ तेरे आगोश में रहता है ।
तेरे छुअन भर से ही फिर,
कहाँ कुछ होश में रहता है ।२।-
मैं टूटा, मैं सुखा,
फिर भी गर्व है खुदपे,
की इक दिन वो आएगी,
अपना आशियाँ बनाएगी,
बच्चों की किलकारीयाँ गुंजेगी,
हौसले से घोंसले जब चिड़िया बनाएगी ।
अटल अडिग अविरल पथिक बनजाँगा,
मरते दम तक पेड़ होने का फर्ज निभाऊँगा ।।
( सूखा पेड़ )-
दरिया-समंदर व पतझड़,
लगा देती है सबको किनारा ।
वो तो इश्क़ है मारा,
जाए तो जाए कहाँ बेचारा ।।-
लोग,
मिलते रहे
बिछरते रहे
गिरते रहे
निकलते रहे
और
उबरते भी गये ।
मैं
इश्क़ में
जो डूबा
डूबे ही रह गये ।।-
मतलब पे इंसान
बाइबिल गीता क़ुरान
सबको तौलती है !१!
मंदिर मस्जिद गिरजाघर
को भी मतलब से पूजती है !२!
दीन-हीन गरीब निसहाय
को सिक्का भी देने में सोचती है !३!
इस रंगमंच पे पैसे की तूती बोलती है !४!
बस यहाँ एक मिरा झूठ नहीं बोलती है !५!-