हसीं नज़रों से देखा था किसी ने इक नज़र हमको दवाएँ क्या दुआएँ भी रहीं फिर बे-असर हमको बता दें किसलिए हम रास्तों से इश्क़ करते हैं! हक़ीक़त मंज़िलों की क्या है इसकी है ख़बर हमको
फ़लक पर रह नहीं पाते सितारे टूट जाते हैं नज़र ग़ैरों को आएँ तो इशारे टूट जाते हैं सहारा ढूँढ़ लेते हैं यहॉं टूटे हुए कुछ लोग मगर वे क्या करें जिनके सहारे टूट जाते हैं