Ghumnam Gautam   (The Colorless Rainbow)
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A complete loser who knew how he could have won her
Joined 11 April 2017


A complete loser who knew how he could have won her
Joined 11 April 2017
26 AUG AT 8:21

एक दिन होगा बस यही सुनना—
"भूल बैठा है आदमी सुनना"

जब कभी तुम किनारे बैठो तो
कहती है क्या इक नदी सुनना

है गुनाह–ए–अज़ीम भूल से भी
होशवालों की शाइरी सुनना

सुन रहे हो जो तुम फ़साना–ए–लब
करती हैं आँखें बतकही, सुनना

घुप् अंधेरे भी बात करते हैं
बोला करती है रोशनी, सुनना

चाँद का जी नहीं सुनाने को है
तारों को है मगर वही सुनना

मैं सुनाऊँगा मौन वादा है
चाहेगा यार जब कभी सुनना

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26 JUL AT 18:24

बड़ी मुश्किल से आया है तुम्हारा ख़्वाब आँखों में
इसे यूँ क़ैद कर लूँगा, नहीं जागूँगा मैं ता- उम्र

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15 MAR AT 4:30


मुझ तनहा अकेले इंसां को हुजूम का संगी कर दिया
एक तुम्हारे प्रेम के रंग ने कुछ यूँ सतरंगी कर दिया

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6 MAR AT 22:17

जब भी लिखने मैं बैठूँ नाम तेरा लिख जाऊँ
लब खोलूँ तो प्रेम सहित तेरे गुण मैं गाऊँ
जग में कोई नहीं मेरा तेरे सिवा
कि सबसे प्यारा तू है मेरे राम

जनक-दुलारी लक्ष्मण और हनुमत के संग आओ
मेरे मन की अवध पुरी में आकर बस जाओ
मुझको भाता नहीं अब कोई फ़ासला
कि सबसे प्यारा तू है मेरे राम

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4 MAR AT 18:46

अधर गुलाब हैं मुखड़े पे चाँद रक्खा है
प्रतीत होता है अम्बर से कोई उतरा है

अनादि काल से बोझिल घनेरी पलकों पर
बता दो आज मुझे बोझ मदने किसका है

चिकुर घनेरे हैं कुंतल हैं श्याम-वर्णी हैं
चिकुर के मध्य सुगंधित पुष्प-गजरा है

तुम्हारी देह सुगंधित है और इतनी है
कि तुमको सोचने-भर से ही मन महकता है

कि जिसने तुमको न देखा हो' दो घड़ी अपलक
नयन-दो उसके हैं निस्तेज और' वो अंधा है

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4 MAR AT 18:42

अधर गुलाब हैं मुखड़े पे चाँद रक्खा है
प्रतीत होता है अम्बर से कोई उतरा है

अनादि काल से बोझिल घनेरी पलकों पर
बता दो आज मुझे बोझ मदने किसका है

चिकुर घनेरे हैं कुंतल हैं श्याम-वर्णी हैं
चिकुर के मध्य सुगंधित पुष्प-गजरा है

तुम्हारी देह सुगंधित है और इतनी है
कि तुमको सोचने-भर से ही मन महकता है

कि जिसने तुमको न देखा हो' दो घड़ी अपलक
नयन-दो उसके हैं निस्तेज और' वो अंधा है

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28 FEB AT 12:21

बनाओ रील करके फ़ील हमको आज धड़कन में
निखार आएगा पक्का है तुम्हारे रूप यौवन में
नगर की भीड़ मिलने में किसी भी भाँति बाधक हो
मिलो तब हो अगर सम्भव किसी भी कुञ्ज- कानन में

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10 FEB AT 17:06

कहाँ ख़बर है मुझे ये कि किसको प्यारा हूँ?
मुझे तो आज किसी ने भी टैडी न दिया!

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9 FEB AT 18:09

चॉकलेट लाती थी व होठो से खिलाती थी
हाँ,ये सच है उसको मुझसे प्यार बेशुमार था

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9 FEB AT 10:42

दिन में और रात में रहा कीजे
अपनी औक़ात में रहा कीजे

ज़िन्दगी में मेरी रहें न रहें
मेरी हर बात में रहा कीजे

मुझपे जितने भी गुज़रने हैं
सारे लम्हात में रहा कीजे

इल्तिज़ा है कि आप मेरे साथ
पहली बरसात में रहा कीजे

मेरी क़िस्मत में जो है जितनी है
उस मुलाक़ात में रहा कीजे

मुझपे जो मौत ने लगाई है
आप उस घात में रहा कीजे

जिनको आँखें बयान करतीं हों
ऐसे जज़्बात में रहा कीजे

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