Anjali Jain   (Shaili..✍)
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Joined 29 July 2020


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11 SEP 2023 AT 14:22

कि मत मानो मुझे,कवि की तो तुम मानो
कीमत क्या है पानी की,सरजमीं की जानो

क्या अम्रत पाने,पलायन करे? पाला पोषा लाल मेरा,

त्रिवेणी विधा(११.९.२३)

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7 SEP 2023 AT 12:21

सभी को कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर शुभकामनाएं

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9 JAN 2023 AT 18:39

तूफान की दस्तक
हर दरवाज़े पर है
उफान का मस्तक
सियासती सभाओं के
घूर्णन करता
पगड़ी तलुवे के साझे पर है,

पश्चिम से जोर शोर उड़ा गुलामी का धूमिल गुलाल
तीनों दिशाओं से सारे तिनके समेटे
तब थमेगा जब संतति की जड़ें
झुक के,टूट के,सूख के,मिट के
पुनःपृथ्वी का संचित जल नहीं हो जाता
तिनका आँखों में चुभ नहीं जाता
पारिश्रमिक है कि -
भारतीयता हल्की होकर खड़े खड़े
धूल सी उड़ रही,बह रही,पर
थम नहीं रही रफ्तार में!! कहो अब फिक्र किस कांधे पर है?
9 jan.23
अंजलि जैन शैली (स्वरचित रचना)

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5 JAN 2023 AT 15:09

संवेदना का अथाह सागर है
रिश्ते सारे सफल तैराक हैं
कुछ तट पर खड़े लहरे गिने मुँह मोड़े
प्रेम के मोतियों से अछूता
तल से भी रीता,
कोई न डूबता,न डुबकी लगाता

मानो तो
अति,इति का समानुपात न होना
निराशा की खोखली सीप है।।

अंजलि जैन शैली (स्वरचित रचना)
5 jan 23(3pm)

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2 JAN 2023 AT 15:59

पुराने पत्ते झरे,चेहरे पर झुर्रियों का पीलापन,
नया बीज रोपा,नये अंकुर पीक गये,
पेड़ प्रकृति का पुर्नचक्र घूमता
कोई पानी,कोई रक्त सबका अपना अस्तित्व है,

समय के साथ पदचाप
बदलते परिवेश में वो मनुष्य
जो परिचित हैं पेड़ की छाया से,
पीलेपन से,झुर्रियों से,मिट्टी से,पानी से,रक्त से
न जाने किस नयेपन की खोज में
आत्महनन में विसरे हुए
कर्तव्य,गंतव्य,सेवा से वंचित
सालों में एक साल कम
साँसों में एक साँस दम भर रहे
नया साल की शुभकामनाएं दे रहे
वो नौजवान

अंजलि जैन शैली (स्वरचित रचना)
2jan 23


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22 DEC 2022 AT 22:07

चले आते हैं दबे पाँव मेहमान से वो,
चार दिन की चाँदनी रुख़सत उनकी

बंद आँखों से दीदार,ऐ अनसुने'ख़्वाब' किसकी मिल्कियत हैं?

त्रिवेणी विधा 22dec22

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16 DEC 2022 AT 9:06

सिमटकर रह गईं संसतियाँ
वसीयतनामों पर थमी कलह आहुतियाँ
सुख क्रांति है देश में परिवार नियोजन
कहीं इकलौते चिराग से धुआं हुआ धन
कागज़ी रिश्तों के सुलगते अलाव में पका
रहे पारंपरिक बिरयानी,
खदबद कर रही महुआ,
वो क़ौमी एकता से दाग रहे शोले
परिवार नियोजन विध्वंस किए
विनाश का हरा परचम लिए
धरती के स्वर्ग पर वो ख़ुफ़िया खौफी,
सरहद के इस पार इकलौते सपूत सपूती
पिज्जा,बर्गर पार्टियों की उपस्थिति दर्ज में तुले
जन्मदात्री लेती बलैया और चिराग की आरती में फूले,
और क्यों न हो दिया तले अंधेरा
अनागत में किसका सबेरा?
16 dec 22

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13 DEC 2022 AT 13:09

इतिहास,इनकी किताबों के
पहले पृष्ठ के धुंधले अक्षर
विज्ञानी लेंसों के तले हुए,

मध्यम भाग दीमकों का
उदर पोषण भले हुए,
अंतिम पृष्ठ जो रिक्त थे
यांत्रिकी अभियंता,बिज़नेस ऐसोसिएशन
विदेशी मुहर को आरक्षित पले हुए,

एक भी न सुने रुंधे गले हुए
सारे विषयों पर दल दोगले हुए
मीठा दूध त्यागा,हम तो खट्टे दही से न जले हुए!!
13dec.2022

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16 NOV 2022 AT 16:05

ताना बाना सी
हार जीत की कमीज़
हार ताना तो
जीत बाना है,
कप न सही दूध माल्टोवा ही सही
ट्राफी न सही ब्रू काॅफी ही सही
एम डी एच मसाले संग दही
बनिया बनियान कुछ तो हेल्थ मेंटेन
विशेष सामान्य विज्ञापन से...
पार्टी में ताना बाना का कोट सूट बूट
मिलना तो तय ही है
अब काहे की हार...है तो हर जगह फूलों के हार,
चेहरे का सूरज फेयर एंड लवली के
कारण ढलता ही कहाँ है!!
16nov.22

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8 OCT 2022 AT 16:47

चक्रव्यूही प्रकृति
सूर्य,चंद्र,पृथ्वी के परिक्रमा पथ पर
अगणित शूल.... छाले भी
राह पगडंडी की,ऊँची उड़ान की
उतार चढ़ाव में संयमी
अनवरत् चलना
आपदा विपदा में सम ढलना
जीवन दान और जलना
अपनी परछाई के साथी
एकाकी परचम लिए
स्वयं साध्य,साधन,साधक हैं
एक लक्ष्य..एक गंतव्य ....निज की प्राप्ति
मैं भी उन सब सा राही हूँ
रा.....ही.....ही.....रा
शब्द स्वयं ही कह रहा
"राही बनना ही तो.....हीरा बनना है"
8.10.22

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