कदम बढ़ाने से पहले,
ज़रा ठहर कर सोच लीजिए,
हर शब्द के असर को,
दिल पर उतार कर सोच लीजिए।
ग़ुस्से में निकली बात,
बिजली बन कर गिर सकती है,
प्यार से कहे दो बोल,
ज़िंदगी बदल सकती है।
जो राह आपने चुनी है,
उसका अंजाम भी देखिए,
आँख मूँद कर मत दौड़िए,
ज़रा संभल कर सोच लीजिए।
ख़्वाब बुनना आसान है,
पूरा करना मुश्किल है,
हिम्मत चाहिए, सब्र चाहिए,
पहले दिल में सोच लीजिए।
किसी के दिल को दुखाना नहीं,
यह जीवन का मूल है,
करनी से पहले कर्म की,
एक दफ़ा सोच लीजिए।
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दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना "
इक छोटी सी ग... read more
Navratri Brings
Navratri brings nine divine nights of devotion, where every moment glows with the power of Maa Durga. It is a celebration of colors, music, garba, and sacred prayers, uniting hearts in joy and spirituality. Each night unfolds a story of courage, wisdom, and compassion, reminding us that truth always triumphs over evil. Navratri is not only a festival but a spiritual journey that awakens the inner light within us. With every beat of the dandiya and every chant of devotion, we invoke strength, harmony, and blessings. Truly, Navratri is a symphony of faith and festive spirit.
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"एक अधूरी दास्तां"
कुछ लफ़्ज़ कागज़ पर गिरे,
पर जुमलों तक न पहुँच पाए।
कहानी शुरू हुई थी कभी,
मगर अंत तक न जा पाई।
सपनों के मोड़ पे रुक गई,
इच्छाओं की बारिश में भीग गई।
हाथ में थी सिर्फ़ ख़ामोशी,
जो चीख भी बन न सकी।
रिश्तों के आईने में
एक धुंधली तस्वीर ठहर गई,
ज़िंदगी नाम की किताब में
एक अधूरी दास्तां रह गई।-
🌺 शुभ नवरात्रि 🌺
सिंह पर सवार माँ आई हैं,
संग अपने शक्ति की छाया लाई हैं।
हर घर में ज्योति जली है,
हर दिल में भक्ति पली है।
ढोल की थाप पे उमंग है,
माँ के चरणों में हर रंग है।
संकट सारे दूर हो जाते,
जब माँ के चरणों में झुक जाते।
नवरात्रि का ये पावन पर्व,
देता है साहस, देता है गर्व।
हर स्त्री में माँ का रूप बसे,
हर जीवन में शक्ति फिर हँसे।
शुभ नवरात्रि! 🙏✨-
वक़्त अच्छा है,यही
मन शान्त है, साँसें भी मुस्कुरा रही हैं,
बिन वजह भी दिल धड़क रहा है,
जैसे कोई नई राह बुला रही है।
वक़्त अच्छा है,
कंधों पे बोझ हल्का लगता है,
सपनों का आसमान भी
थोड़ा और करीब दिखता है।
वक़्त अच्छा है,
क्योंकि मैं खुद के साथ हूँ—
आईने में अपना चेहरा देख
पहली बार यकीन आता है,
कि हाँ… मैं भी अधूरी नहीं हूँ।
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ख़ाली कर दो खुद पे वो बोझ जो कभी बोला नहीं,
चुपके से रेंग कर जड़ों में बैठा, ख्वाबों को खोला नहीं।
ख़ामोशी में पके हुए सवालों को बाहर निकाल दो,
उनमें से कुछ सहारा बनेंगे, कुछ हवा बनकर उड़ाल दो।
जो यादें तेरी कमर पर रखी हुई रंगीन सिलवटें हैं,
उन्हें फाड़ कर नयी साँसों की सफेद चादर बिछा दो।
ख़ुद के दरवाज़े खोलो — अंदर बैठा वो बेटा भी मुस्कुराएगा,
जो अपनों की उम्मीदों के पहरे से अक्सर तन्हा रह जाता है।
ख़ाली कर दो खुद पे, पर खालीपन में खाली मत होना,
एक नया सूरज अपने हाथों में लेकर फिर से अपना होना।-
सन्नाटा
गाँव की कच्ची गली में रात उतर आई थी। कहीं कोई आहट नहीं थी। चाँदनी भी जैसे थकी-थकी सी पेड़ों की डालियों पर अटकी हुई थी।
घर के आँगन में बैठी बुज़ुर्ग अम्मा बार-बार दरवाज़े की ओर ताक रही थीं। घड़ी की टिक-टिक भी अब उन्हें तेज़ सुनाई देने लगी थी। सन्नाटा जैसे कानों में सीटी बजाता था।
अचानक आँगन का दरवाज़ा खटाखटाया। अम्मा चौंकीं। बेटे की आवाज़ आई—
“अम्मा, मैं आ गया।”
सन्नाटा टूट गया। घड़ी की टिक-टिक अब लोरी जैसी लगने लगी।-
लव प्यार इश्क़ मोहब्बत
जान की आफत,
वक़्त की बर्बादी
दिल्लगी
बला जो न टल सकी
दुआ जो दवा,न बन सकी
ख़ुदा जिसकी इबादत न हो सकी
क़यामत जो आ के रही
बेदिली दिल जला के रही ।।
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ये बात मेरे दिल को भा गयी
तुम तुम न रहे अदाकार बन गए
तुमको भी अब ये अय्यारी आ गयी..-