सच कड़वा होता हैं-
"बाप के लिए एक बेटी कभी बोझ नहीं होती
लेकिन एक भाई के लिए उसकी बहन बोझ बन जाती है"।
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कह कर बात जिम्मे की, बेटे बाप को बताते है।
कितना बोझ है मुझ पर, वह कह हमको जताते हैं।।
भरते माह भर हर फीस, बेटे के विद्यालय में।
फटें हैं गात पर कपड़े, पिता आदर्श भी कहाते है।।
क्या बुरा है, क्या भला है, यह जमाना कैसा है।
देखे कुछ ही दीवाली है, बेटे हमको सिखाते हैं।।
चार आखर क्या पढ़ लिये?, देंते ज्ञानभर की बातें।
उचित-अनुचित क्या होता है, लाल आँखों से बताते है।।
जिसके खुशी की खातिर, निज सुख-चैन वो खो दिये।
उसी बेटे की नज़रों में आज उसकी हम नींद चुराते हैं।।
हाथ पकड़ चलना सिखाये, आज वह पैरों पे है खड़ा।
बाप हुआ जब शिथिल तो, छड़ी का सहारा ले आते हैं।।
भले ही पुत्र का मनोबल, क्यों न आसमान से ऊचां हो।
पिता आज भी नाम के पीछे रह गौरव मान बढ़ाते हैं।-
*** गूढ़ बात ***
बाप अपनी मोहब्बत की जुदाई का रोना रो रहा है।
और बेटा बहुत लाइक,कमेंट और शेयर कर रहा है।।
😜😜😜😜😂😂😂😂😂🙄🙄🙄🙄-
मैंने उस बाप को भी फुट कर रोते हुए देखा ।
कि जान-ए-पिदर अब उसका परदेशी हो गया ।।-
मुझे भी कल किसी ने मेरे बाप के सामने रंगों से मुझे लाल किया था,
आज मेहमानों की जाते ही मेरे बाप ने बिना रंगों के मुझे लाल कर दिया
दुनिया होली के दिनो हमे रंगो से लाल करती है,
एक बाप होता है जो बिना होली के बिना रंगों के भी हमे लाल कर देता है।🤩🥰❤❣❣❣❣❣😎😎😎✍✍-
घर से निकलते वक्त मां ने दिए थे वह दो जो पराठे
मैं उनसे ज्यादा आज तक कुछ भी ना बना पाया
पापा जो दिए थे आपने मुझे उस दिन कुछ पैसे
पूरी उम्र कमाया पर उससे ज्यादा कुछ ना कमा पाया-
वालिद बोले बेटे, अपने राह पर तू चलता रहे।
बाकियो का छोड़, तू अपने खुद का सगा रहे।-
एक बेटे के लिए
सबसे अच्छा पल तब होता है ;
जब वह अपने पिता के साथ मिलकर
उनके कामों में साथ हाथ बटाता है
और उसके बाद उनके साथ बैठकर
रोटी खाते वक़्त जब वो उन्हें निहारता है।
वो पल अमुल्य है
इस पल कोई मोल नहीं।-
मां की गोद में पलता है वो ......
बाप की छतरी के नीचे चलता है वो .............!
इस वजह से रिश्ते भी बना लेता है वो ......
पर जब बारी आती हैं निभाने की
तो एक इंसान की वजह से, गिरगिट की तरह रंग भी बदलता है वो ......!!-
बाप-बेटा
उस बुज़ुर्ग और उस नवयुवक की जोड़ी में,
एक पिता और एक बेटा है,
नवयुवक नए जोश से है भरपूर,
तो बुज़ुर्ग ने अपने अंदर सालों के तजुर्बे को समेटा है।
किंतु नए मॉडर्न युग में जहाँ
रीति-रिवाज़-इल्म-लिबास हर पल बदल रहे है,
साथ ही सत्य-सिद्धांत-संगी-साथी
सब बदलते समय की धूप में पिघल रहे हैं।
बुज़ुर्ग बेचारा इन सब के आगे घबराया,
डरा-डरा सा रहता है,
घर के हर फ़ैसले नवयुवक के होते है
बुज़ुर्ग का तज़ुर्बा तो बस कहने को, ज़रा-ज़रा सा रहता है।
बुज़ुर्ग या तो अपने फ़ैसले नवयुवक से
पूछ कर लेता है
या किसी बच्चे-सा,
बस उसके पीछे चल देता है।
"द चाइल्ड इस फ़ादर ऑफ़ द मैन"-
इस ख़ूबसूरत जुमले को अब बदलते वक्त का श्राप है,
इस जोड़ी में बुज़ुर्ग दरअसल बेटा
और नवयुवक उसका बाप है।-