Amitesh Mahadev Hule   (|| ∆Miतेश ||)
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Joined 29 March 2020


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Joined 29 March 2020
3 JAN 2023 AT 21:00

क़लम लिखे दर्द दुखे,
मरहम बने कागज़,
रखा विश्वास खुदपर,
तब जाकर सुकून दिखे।

कर्म लिखे मौत मिटे,
मोहब्बत बनी मज़ाक,
आश्वासन नही चाहिए,
अब भरोसा आईनेपर जो कभी नही टूटे।

अफ़साने लिखे खुद जीके,
शैतान बने दोस्त,
फरिश्तों से पहचान,
दोनों कंधे भारी पर कभी नही झुके।

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3 DEC 2022 AT 14:46

दिल मेरा बगीचा, उसमे खिला हुआ गुलाब तुम हो,
तेरी आंखों में है चमक, जैसे कोही-नूर हो,
मेरा कल, आज और हमेशा का हमसफर तुम हो,
क्यों देखु मैं आसमान में, मेरा चांद तो तुम हो,
बातें करता हु सितारों से, उन अल्फ़ाज़ों में तुम हो,
अगर कश्ती मेरी डूब जाए, तो वो समंदर तुम हो,
साहिल पर हाथ थामे हुए मेरा सहारा वो तुम हो,
हवा में मोहब्बत है, तो मेरी सांसों में तुम हो,
पर्वत पर खड़ा मैं, मेरी नज़रों में तुम हो,
परिवार है दिल मे, उस दिल की धड़कन तुम हो,
मैं तो बस एक क़लम हु, जिंदा रखने वाली स्याही वो तुम हो,
मेरे प्यार की प्यास को मिठाने वाली चाहत वो तुम हो।

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3 NOV 2022 AT 15:33

ये क़लम सिर्फ रात को चले, जब मैं चांद देखु,
सोचता हूं तेरे बारे में, पर मुझसे दूर है तू,
अब जिस घर मे है, उस घर का नूर है तू,
जब हम साथ होंगे, we'll shine like a diamond,
मेरी कोहिनूर है तू,
तेरी तस्वीर देखकर सितारों से बातें करता हु,
बातों ही बातों में आसमान में तेरी तस्वीर बनाता हूँ,
आंखों में चमकान आयी, जब समजा वो सितारा है तू,
मुझे देख आसमान से बिछड़कर मेरे पास आयी तू,
मैं तो बस कागज़ पर रुकी हुई क़लम हु,
पर इस कागज़ पर निखरी हुई, मुझ में बसी हुई, स्याही है तू।

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3 OCT 2022 AT 17:46

जाम भरा गिलास, हाथ मे था,
निगाहें किसी और को ढूंढ रही थी,
कानों में नाम उसका गूंज रहा था,
महफिलों में मैंने उसकी आहट सुनी थी,
वो पास है मेरे ये तो मेरा वहम था,
जब सुबह आंख खुली तब सामने
उसकी तस्वीर जल रही थी।

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3 SEP 2022 AT 10:53

जिंदगी है जैसे लड़की कभी भी धोखा देगी,
शायर की लखीर है ये कभी नही मिठेगी,
पन्ने पलटो तो जखम ही दिखेगी,
गहरी है वो जखम जो उसने दी थी,
वो थी खूबसूरत कल, जो आज नही,
दिल से निकल गयी वो और आंखों से नमी,
घाव सारे अच्छे लगने लगे,
लिखता हूं बेहतरीन जब होता हु जख्मी,
ये कहना है क़लम का,
कागजों पर जज्बात उतारू लिख दु शायरी।

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3 AUG 2022 AT 15:19

क्या ये दुनिया है जीने के लिए काफी?
खाली है घर, मां साथ नही,
दुआ नही करता, पर हमेशा उसके लिए खुशियां है मांगी,
दुख आये मेरे हिस्से, उसे मिले सिर्फ खुशी,
जब पास होते अपने, तब परवाह नही होती,
दूर जाने पर उनकी अहमियत समझती,
मां को अंदाजा नही जिस कोक से उसने जन्म लिया वो कल गुजर गई,
क्यों ऐसी लकीर किस्मत में आयी,
क्या यही है जिंदगी का सिलसिला?
अगर हो जाये कुछ उस कोक को जिससे मैंने जन्म लिया,
छोड़ दूंगा ये क़लम (body), आगे कैसे लिखूंगा (live) नही पता,
पासे फेंके इस जिंदगी के, जब जन्म लिया,
जब मिले सीडी जीवन लगता है सही,
सांप आये सामने तब मौत है दिखती,
कठिन है सफर पर कभी रूखा नही,
थम जाएंगे कदम, अपनो के सिवाय कैसी होगी जिंदगी कभी सोचा नही।

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3 JUL 2022 AT 13:11

बादल रो रहे है, जुलाई का जो महीना है,
बिजली जखम दे रही है, बादलों का कहना है,
नाम लिखा उसका, तो क़लम रूठी पड़ी है,
खाली रहे कागज़, ये क़लम का कहना है।

गुजरेंगे सामने से पर अब तुम नजरे मिला कर दिखा,
मैं बंद रखु आंखें तब भी तेरा चेहरा दिखता है,
अपनों को दर्द देने, उसका जन्म हुआ है,
दिल कहे ऐसी जल्लाद को अब क्यों याद रखना है।

नहीं मांगी कभी दुआ, नहीं देंगे कभी बद्दुआ,
फिर भी प्यार के मामले में वो बर्बाद है,
लाचार बनेगी वो सच्चे प्यार के लिए,
पर अब मेरे दिल के मोहल्ले में उसका मकान तबाह है।

खूबसूरती पे दिल लगाना गुन्हा है,
गुनहगार था मैं, कठघरा कबूल है,
आखरी बार लिखा उसके बारे में,
क़लम मैंने और रिश्ता उसने तोड़ा है।

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3 MAY 2022 AT 10:30

बैठता था साथ उनके
दिल मे थी खुशी भरी,
दिल मे गम नही रहता था
जब उनसे बात होती थी खूब सारी,
अब बैठा रहता हूं चार दीवारों में
आंखों में होती है नमी,
दूर हुए कुछ कमबख्त दोस्त
जो रहते थे साथ कभी,
आज भी उनको याद करू
पर वो साले दिल मे बसे है सभी।

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3 APR 2022 AT 15:34

मैंने सितारों से बातें छेड़ी है,
उसे देखकर मैंने काग़ज़ों पर कहानी लिखी है,
हर कागज़ पर लिखा था उसे, पर ना जाने वो किस क़लम में बसी है,
स्याही जैसे वो बहती है,
मोहब्बत की बात लिखने पर वो उभरती है,
चांद तो हमसे दूर है,
वो चांद से कम थोड़ी ना निखरती है,
फिर खत लिखने लगा मैं उसे जो चांद सी दिखती है,
इसलिए मैंने सितारों से बातें छेड़ी है।

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3 FEB 2022 AT 21:33

लिखने लगा सारे जज्बात मैं,
जब से वो मेरे दिल मे बसी,
क़लम पकड़ी हाथ मे,
फिर काग़ज़ों पर हमारी कहानी लिखी,
तीन साल वो कहानी अछि चली,
फिर ना जाने कब जमाने की नजर लगी,
उसे दिखने लगी खामियां मुझ में,
जब उसके दोस्त को वो प्यारी लगने लगी,
वो प्यार की कहानी थी,
इसलिए अधूरी रह गयी,
फिर ये माशूक़ क़लम आयी हाथ मे,
और ये कहानी लिखी गयी।

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