गुरु चौधरी
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●4th January 🎂
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नादां है लेकिन पढ़ना चाहते हैं अफ़सोस कि रूढ़ीवादी पढ़ाने नहीं देते।
सीढ़ियाँ है फर्श से अर्श जाने को अफ़सोस की भ्रष्टाचारी चढ़ाने नहीं देते।
बहुत कोशिशें की हमने बाग को सजाने की और कोशिशें अभी भी जारी है,
आगे बढ़ने की चाह है नोनिहालों में,पर अभिमानी आगे बढ़ाने नहीं देते।।-
वर्तमान बेरोजगारों की दुनिया में
सरकारी नौकरी प्राप्त करना,
मच्छरदानी के हजारों छेद में से
किसी एक छेद से मच्छर का
अंदर घुसने जैसा है।-
ईश्वर में आस्था मनुष्य के मनोबल में वृद्धि करती है।
जबकि
ईश्वर पर निर्भरता मनुष्य को कर्महीन बनाती है।
ईश्वर में आस्था मनुष्य को प्रगति की ओर
अग्रसर करती है।
जबकि
ईश्वर पर निर्भरता मनुष्य जाति को
अन्धविश्वास की अग्रसर करती है।
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फिर सिर मुंडवाने के दिन आए हैं
कोई "शोक" से सिर मुंडवा रहा है,
तो कोई "शौक" से ।
शब्दों में अंतर केवल मात्राओं का हैं,
किन्तु इंसानों में अंतर विचारों का हैं।-
प्यार में धोखा खाया हुआ इंसान,
उस कमजोर रस्सियों वाले पुराने
पुल पर के बीच खड़े व्यक्ति के
समान है जिसका न तो आगे
जाना और न ही पीछे जाना
मुमकिन है।केवल उसी स्थान
पर मदद की प्रतीक्षा की जा
सकती है।-