Saurav Kumar (सौरव)   (Saurav Kumar|@srv_writes)
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Joined 22 May 2020


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Joined 22 May 2020
25 MAY 2022 AT 23:22

कल्पना ही थी तुम मेरी शायद
इसलिए कल्पनाओं तक ही रह गई।

❤️❤️❤️

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13 MAY 2022 AT 14:14

अपने ही रुलाते है

वरना गैरों को क्या मालूम

कि कब कौनसी बातें दिल दुखाती है।

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2 MAR 2022 AT 19:42

अक्सर किसी से बिछड़कर
आंखे इतनी नम नही होती
जितना उनके संग रहकर होती है।

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8 FEB 2022 AT 20:42

दूर रहना गवारा नहीं था हमें, लेकिन थी

कुछ बंदिशे जिन्होंने हमें बांधे रखा था।

वरना नज़दीक रहना तो कभी प्राथमिकता थी हमारी।

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18 JAN 2022 AT 11:42

दिल दुखाकर उनका
चैन से रहा भी नहीं जाता...

और सामने आए अगर वो
तो, कुछ कहा भी नहीं जाता...

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31 DEC 2021 AT 19:08

ए जाने वाले साल
तू ने बहुत कुछ है सिखाया।
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भटक रहा था जब इर्द-गिर्द
राह तू ने ही है दिखाया।
.
ए जाने वाले साल
तू ने बहुत कुछ है सिखाया।
.
ज़ख्म दिए थे जब ज़माने ने।
ज़ख्म दिए थे जब ज़माने ने।
सब्र का मलहम तू ने ही है लगाया।
.
ए जाने वाले साल
तू ने बहुत कुछ है सिखाया।

#2021ends

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16 DEC 2021 AT 22:43

बीत गई वो काली रात

लेकिन अश्रु अब भी हम रोक के बैठे है।



कहना तो बहुत कुछ हैं हमे तुमसे

बाते बहुत सी सोच के बैठे है।

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29 NOV 2021 AT 14:29

शिकायतें उनकी किया भी नहीं करते हम।
दिल में दबी बात कहा भी नहीं करते हम।

नाराज़ होने के कारण तो हज़ार है उनसे
लेकिन नाराज़गी ज़ाहिर किया भी नहीं करते हम।

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18 NOV 2021 AT 9:30

कुछ सिद्धांत है मेरे जिन्होंने मुझे बांध रखा है
वरना पलट के जवाब तो हमें भी आता है।

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22 OCT 2021 AT 23:04

आग से आग बुझा नही करती।
तकरार से निगाहे झुका नहीं करती।

बनना पड़ता है जलाशय सा सीतल किसी एक को।
अन्यथा बात कोई सुलझा नहीं करती।

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