Amresh Giri   (गिरि की कलम से ✍️)
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Joined 10 October 2019


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25 SEP AT 19:21

चाहत जो थी नहीं
उसी को चाहना पड़ रहा है,
मेरी जो चाहत थी
उसे को अब छोड़ना पड़ रहा है।।
_गिरि कि कलम से ✍️ 😍

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25 SEP AT 19:20

चाहत जो थी नहीं
उसी को चाहना पड़ रहा है,
मेरी जो चाहत थी
उसे को अब छोड़ना पड़ रहा है।।
_गिरि कि कलम से ✍️ 😍

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25 SEP AT 19:18

चाहत जो थी नहीं
उसी को चाहना पड़ रहा है,
मेरी जो चाहत थी
उसे को अब छोड़ना पड़ रहा है।।
_गिरि कि कलम से ✍️ 😍

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9 SEP AT 10:40

सुंदरता आपके विचारों,कर्मों और वाणी में होनी चाहिए,
सुंदर शरीर का क्या एक दिन जलकर राख हो जायेगा।।
_गिरि कि कलम से ✍️

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6 SEP AT 19:28

ख़ुद के शरीर पर लगी चोट पर मरहम लगाते हो,
तुम फ़िर दूसरे जीव जंतु को मार क्यों खाते हों,,

ढूंढते हो मन्दिर मस्जिद चर्च में ईश्वर को,
पाप करके तुम किस मुंह से मंदिर मस्जिद में जाते हो।।

हर कण कण में जीव जंतु में ईश्वर का वास है,
आंखे बंद करके देखो ईश्वर अपने पास है।।
गिरि कि कलम से ✍️

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6 SEP AT 19:27

ख़ुद के शरीर पर लगी चोट पर मरहम लगाते हो,
तुम फ़िर दूसरे जीव जंतु को मार क्यों खाते हों,,

ढूंढते हो मन्दिर मस्जिद चर्च में ईश्वर को,
पाप करके तुम किस मुंह से मंदिर मस्जिद में जाते हो।।

हर कण कण में जीव जंतु में ईश्वर का वास है,
आंखे बंद करके देखो ईश्वर अपने पास है।।
गिरि कि कलम से ✍️

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27 AUG AT 15:42

मैं इतना दूर भी नहीं कि तेरे पास आ न सकूं,
मैं तो तेरे रूह में हूं तुझसे कभी दूर जा न सकूं।।

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20 AUG AT 19:44






जब से तेरी नजरों के शिकार हुए हैं,
हम तो आए दिन फिर बीमार हुए हैं,,
लोग पूछते है कि कहां गुमसुम रहते हो,
हम तो मुस्कुरा कर तेरा नाम लिए फिरते है।।
_गिरी कि कलम से ✍️

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20 AUG AT 19:35

तू एक बार इजाजत तो दे,
मैं तेरी हर सांसों पर अपना नाम लिख दूंगा,,
तू एक बार प्यार से बोल दे,
मैं तेरे नाम पर भी एक किताब लिख दूंगा।।
😁🙏❤️

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14 AUG AT 15:08

ऐ दिल की है मेरी धड़कन,
मैं उसके नाम करता हूं,,
इश्क में मै ऐ पैग़ाम करता हूं,
हर शाम को मैं उसके नाम करता हूं।।
_गिरि कि कलम से ✍️❤️🙏

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