Manish Prajapat   (Manish- ए-Alfaz)
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12th my favourite 😉
Words make me ✍️
Likhna khusi hai meri ...😍
Emotional munda✌️
Joined 7 May 2020


12th my favourite 😉
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Likhna khusi hai meri ...😍
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25 JAN 2022 AT 20:57


क्या कहा !
कहां जा रहे हो ?
मोहब्बत करने !
अरे क्या दिल बाजारों में मिलते हैं ?

दुआ करूंगा !
किससे ?
खुदा से !
क्या दिल मंदिरों के द्वारों पे मिलते है ?

Manish prajapat






— % &

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25 NOV 2021 AT 1:13


काम इश्क पे टिका है
इश्क काम पर ,
कैसा ये मंजर है ...
वैसे देखा जाए ना तो
दोनों के हाथों में खंजर है..

किसी एक से पाला पड़ा
तो हम मर जाएंगे..
कहेंगे थक चुके हैं
और घर जाएंगे..

बच निकलने की,
सब कोशिशें हो गई है फेल..
मैं कैदी हु चलाता है
तू क्यूं हो गई है जेल ...

क्या गलत थे हम कि
इक ऊपर वाले से डरेंगे...
क्यूं सोच रही हो ,ये कि
दुनिया वाले क्या कहेंगे ...

दुनिया वालों को नहीं है
तेरा मेरा साथ ,हज़म ...
तुम अपने घर, हम अपने घर
मोहब्बत हुई खत्म ...

मनीष





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4 OCT 2021 AT 11:05

मैं चाहता हूं दोस्त कि तुम जिंदगी जियो !

"मगर ख्याल रहे सांस लेना जिंदगी नहीं है"

Manish Prajapat

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26 SEP 2021 AT 2:16

पेड़ों की खामोशी बता रही थी ....
कोई तूफान आने वाला है क्या !!

नदियां पानी भरने को कह रही है ....
सफ़र में रेगिस्तान आने वाला है क्या !!

एक हंसती खेलती बस्ती दिख रही है....
आगे हिंदुस्तान आने वाला है क्या !!

पाप अपनी चरम सीमा पे है "मनीष"....
जमीं पे भगवान आने वाला है क्या !!

हाथो में फूल , आंखो मे आंसू है ....
कोई कब्रिस्तान आने वाला है क्या !!

:- मनीष

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22 SEP 2021 AT 16:26

चलते चलते सफर में शाम ढल जाती है ..
पेड़ की छांव में बैठता हूं, तो धूप जल जाती है !

मुझ जैसे मुसाफ़िरो को देखते ही ...
झरने, नदियां, कलियां ,बहार सब खिल जाती है !

पूछते हैं करोगे क्या इन खिलौनों का "मनीष"..
लेते जाता हूं तो , बेटियां बहल जाती है !

परिंदों से गुफ्तगू कर लेता हूं...
जब इंसानों की कमियां खल जाती हैं!

अक्सर गांव में होते रहते हैं चर्चे हमारे..
कहीं तारीफ तो कहीं बदनामी मिल जाती है !

:- मनीष








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17 AUG 2021 AT 9:13

अपनी आंखो में समा रखी है तुमने सारी दुनिया ..
काजल के सिवा ,पलको पे "धरा" क्या है !

तेरा यूं मुस्कुरा कर चुप हो जाना "मनीष*..
हाय ये तेरी "अदा" क्या है !

अपना सब कुछ तो हार चुका हूं मैं तेरे ऊपर..
तेरे अलावा , तेरे लिए "बचा" क्या है !

बिना इल्म के जो तुम पे जुल्म हुए "मनीष"..
तो इसमें "बुरा" क्या. है !

सब कुछ जलकर राख हो गया मेरे शहर में ..
इक पेड़ो के सिवा , "हरा" क्या है !

आंखें है नम ,चेहरा उदास,दिल में क्यों है गम..
बताओ , जरा ठहरो ,"हुआ" क्या है !

आओ "मनीष" बैठो पास मेरे ,और सुनाओ ..
दरसल , तुमने "लिखा" क्या है !

क्यों सुन रहा हूं तेरी गजल के लतीफे "मनीष" ..
आख़िर तेरी ग़ज़ल में "रखा" क्या है !

*"मनीष तेरी ग़जल"*

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5 AUG 2021 AT 20:21


हम तरसे है एक जिंदगी को ...
तू जिंदा रह के भी तो देख !!

आंखों में है तभी कीमत है आंसू ...
तू दरिया में बह के भी तो देख !!

जिंदगी,हालात, गम,सब है बेबस ...
तू तो दिल है सह के भी तो देख !!

मनीष tu भी 💌






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1 AUG 2021 AT 12:40

इक जिस्म दो जान वाले !
खैर.....
अब वो यार न जाने कहां मिलते हैं !!

आसमां में रहने लगे हैं कहीं !
खैर.....
जमी पे दोस्त पुराने कहां मिलते हैं !!

हर तरफ है बुलंदी की भूख !
खैर .....
प्यार के नगमे गाने वाले कहां मिलते हैं !!

दोस्त मिलते हैं हमसे "मनीष" !
खैर .....
वो दोस्ती के जमाने कहां मिलते हैं !!

मनीष e Alfaz ☺️







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28 JUL 2021 AT 14:56

मेरा तो काम है तुमसे दुआएं करना ...
मुझे क्या ख़बर कि , कितना दे दिया तूने !!

खुदा तेरा नाम लेकर जिसने भी कुछ मांगा ...
हंस कर उसे सब कुछ, अपना दे दिया मैंने !!

खुदा के बंदे है कर्ज इक खुदा का ही रखते है ...
जितना लोगो से लिया , उतना दे दिया मैंने !!

_Manish -ए अल्फाज़


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26 JUL 2021 AT 19:34

तुमपे हमारी दुआ सी रहती है !
हमपे तुम्हारी बद्दुआ सी रहती है !!

पंख लगने के हम नही है कायल..
जिन्दगी यूंही हवा सी रहती है !!

मनाने का हुनर कहां से लाऊ अब..
ये जिंदगी भी रुसवा सी रहती है !!

अब तुम दिल की दास्तां मत पूछो ..
दिल में तुम्हारे सिवा कोई रहती है !!

मनीष ✍️

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