क्या कहा !
कहां जा रहे हो ?
मोहब्बत करने !
अरे क्या दिल बाजारों में मिलते हैं ?
दुआ करूंगा !
किससे ?
खुदा से !
क्या दिल मंदिरों के द्वारों पे मिलते है ?
Manish prajapat
— % &-
Words make me ✍️
Likhna khusi hai meri ...😍
Emotional munda✌️
काम इश्क पे टिका है
इश्क काम पर ,
कैसा ये मंजर है ...
वैसे देखा जाए ना तो
दोनों के हाथों में खंजर है..
किसी एक से पाला पड़ा
तो हम मर जाएंगे..
कहेंगे थक चुके हैं
और घर जाएंगे..
बच निकलने की,
सब कोशिशें हो गई है फेल..
मैं कैदी हु चलाता है
तू क्यूं हो गई है जेल ...
क्या गलत थे हम कि
इक ऊपर वाले से डरेंगे...
क्यूं सोच रही हो ,ये कि
दुनिया वाले क्या कहेंगे ...
दुनिया वालों को नहीं है
तेरा मेरा साथ ,हज़म ...
तुम अपने घर, हम अपने घर
मोहब्बत हुई खत्म ...
मनीष
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मैं चाहता हूं दोस्त कि तुम जिंदगी जियो !
"मगर ख्याल रहे सांस लेना जिंदगी नहीं है"
Manish Prajapat-
पेड़ों की खामोशी बता रही थी ....
कोई तूफान आने वाला है क्या !!
नदियां पानी भरने को कह रही है ....
सफ़र में रेगिस्तान आने वाला है क्या !!
एक हंसती खेलती बस्ती दिख रही है....
आगे हिंदुस्तान आने वाला है क्या !!
पाप अपनी चरम सीमा पे है "मनीष"....
जमीं पे भगवान आने वाला है क्या !!
हाथो में फूल , आंखो मे आंसू है ....
कोई कब्रिस्तान आने वाला है क्या !!
:- मनीष
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चलते चलते सफर में शाम ढल जाती है ..
पेड़ की छांव में बैठता हूं, तो धूप जल जाती है !
मुझ जैसे मुसाफ़िरो को देखते ही ...
झरने, नदियां, कलियां ,बहार सब खिल जाती है !
पूछते हैं करोगे क्या इन खिलौनों का "मनीष"..
लेते जाता हूं तो , बेटियां बहल जाती है !
परिंदों से गुफ्तगू कर लेता हूं...
जब इंसानों की कमियां खल जाती हैं!
अक्सर गांव में होते रहते हैं चर्चे हमारे..
कहीं तारीफ तो कहीं बदनामी मिल जाती है !
:- मनीष
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अपनी आंखो में समा रखी है तुमने सारी दुनिया ..
काजल के सिवा ,पलको पे "धरा" क्या है !
तेरा यूं मुस्कुरा कर चुप हो जाना "मनीष*..
हाय ये तेरी "अदा" क्या है !
अपना सब कुछ तो हार चुका हूं मैं तेरे ऊपर..
तेरे अलावा , तेरे लिए "बचा" क्या है !
बिना इल्म के जो तुम पे जुल्म हुए "मनीष"..
तो इसमें "बुरा" क्या. है !
सब कुछ जलकर राख हो गया मेरे शहर में ..
इक पेड़ो के सिवा , "हरा" क्या है !
आंखें है नम ,चेहरा उदास,दिल में क्यों है गम..
बताओ , जरा ठहरो ,"हुआ" क्या है !
आओ "मनीष" बैठो पास मेरे ,और सुनाओ ..
दरसल , तुमने "लिखा" क्या है !
क्यों सुन रहा हूं तेरी गजल के लतीफे "मनीष" ..
आख़िर तेरी ग़ज़ल में "रखा" क्या है !
*"मनीष तेरी ग़जल"*
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हम तरसे है एक जिंदगी को ...
तू जिंदा रह के भी तो देख !!
आंखों में है तभी कीमत है आंसू ...
तू दरिया में बह के भी तो देख !!
जिंदगी,हालात, गम,सब है बेबस ...
तू तो दिल है सह के भी तो देख !!
मनीष tu भी 💌
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इक जिस्म दो जान वाले !
खैर.....
अब वो यार न जाने कहां मिलते हैं !!
आसमां में रहने लगे हैं कहीं !
खैर.....
जमी पे दोस्त पुराने कहां मिलते हैं !!
हर तरफ है बुलंदी की भूख !
खैर .....
प्यार के नगमे गाने वाले कहां मिलते हैं !!
दोस्त मिलते हैं हमसे "मनीष" !
खैर .....
वो दोस्ती के जमाने कहां मिलते हैं !!
मनीष e Alfaz ☺️
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मेरा तो काम है तुमसे दुआएं करना ...
मुझे क्या ख़बर कि , कितना दे दिया तूने !!
खुदा तेरा नाम लेकर जिसने भी कुछ मांगा ...
हंस कर उसे सब कुछ, अपना दे दिया मैंने !!
खुदा के बंदे है कर्ज इक खुदा का ही रखते है ...
जितना लोगो से लिया , उतना दे दिया मैंने !!
_Manish -ए अल्फाज़
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तुमपे हमारी दुआ सी रहती है !
हमपे तुम्हारी बद्दुआ सी रहती है !!
पंख लगने के हम नही है कायल..
जिन्दगी यूंही हवा सी रहती है !!
मनाने का हुनर कहां से लाऊ अब..
ये जिंदगी भी रुसवा सी रहती है !!
अब तुम दिल की दास्तां मत पूछो ..
दिल में तुम्हारे सिवा कोई रहती है !!
मनीष ✍️-