उन गलियों में अब प्यार नहीं , बवाल होगा
तेरे दिखाए हर सपनों पर , अब सवाल होगा |-
बवाल
जज्बात पे काबू रखो और हाथ थाम लो
अपना दिल हमें दो और दाम लो
इतनी सी बात पे भी क्या बवाल करना यार
भेजा ठंडा रखो और दिमाग से काम लो
कभी फुर्सत मिले तो मिलकर हिज्र मनाएंगे
फिलहाल हाथ में गिलास रखो और जाम लो
मत पूँछ उसने जो सितम किया है
अब क्या उस बेवफा का नाम लो !!
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जब वो चलती थी कमाल लगती थी,
जैसे पानी में जलता चिराग़ लगती थी,
कोई देखे गलत नज़र से तो उसे
मेरे दिल में आग लगती थी..
उसकी बातें दिल को मिठास लगती थी,
जब वो लड़ती मुझसे तो बवाल लगती थी..
कुछ बातें अच्छी तो कुछ नागवार करती थी
फ़िर भी वो मेरी धड़कनों पर राज़ करती थी..
उसके कानों का झुमका सलाम करती थी,
फिर भी वो मेरे सांसों को बेमिसाल लगती थी..
उसके लबों की हसीं क़त्लेआम करती थी
यूं ही नहीं सबको वो लाज़वाब लगती थी..!
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झुकी झुकी सी नज़र तेरी
सौ सवाल कर गई,
उठीं जो फ़िर एक दफा तो
कई बवाल कर गई...-
गज़ब हो तुम,ये तुम्हारे नखरे कमाल,
पहनती हो जब तुम साड़ी,लगती हो बवाल।-
इतिहास की क्लास में गणित के सवाल करते हैं।
कुछ तो करना है उन्हें, इसीलिये बवाल करते हैं।-
हर सूरत-ए-हाल में, कुछ लोग कमाल करते हैं,
चुप रहूँ तो अकड़ते हैं, बोलूँ तो बवाल करते हैं..-
उसके कूचे से क्या गुज़रे हम बवाल हो गई
झुकी हुई निगाहों से कई सवाल दाग गई-
जवाब जानते है वो, बेवजह सवाल नहीं करते,
खुशहाल जिंदगी का, बेवजह बवाल नहीं करते।
सच्चाई की राह पर, जो चला करते है वो सभी,
दिखावे के लिए वो, बेवजह अहवाल नहीं करते।-
हमने भी आज महबूब का क़माल देखा है
आँखों में उसकी 'मोहब्बत का' सवाल देखा है
जो हमसे कभी नज़रे भी ना मिलाता था
ज़ेहन में उसके 'अपने लिये' ख़्याल देखा है
तन्हाइयों में रोते-रुलाते कट रहे थे सारे दिन
आज हमने 'सारी रात' मोहब्बत का बवाल देखा है
अब तक थी ज़िन्दगी स्याह काली सी
आज हमने 'रंग-ए-मोहब्बत' लाल देखा है
हर कोई बिक रहा है मोहब्बत के बज़ार में
हमने भी 'बज़ार' में यह दिल उछाल देखा है
सुना है मोहब्बत में बहक जाते हैं ख़्वाब सारे
हमने 'एक ख़्वाब' कईं ख़्वाबों को संभाल देखा है
मोहब्बत में हो जाती है जिस्म-ओ-रूह यार की 'सागा'
हमने भी इस बार 'ख़ुद में से' ख़ुद को निकाल देखा है
- साकेत गर्ग 'सागा'-