Yourquote के कटे कटाये परिंदो को
मेरा आखिरी कलाम 😂
हमसे पहले के हिज़्र में तो उसने दीवान लिख दिये
लेकिन हमारी हिज़्र का कोई मलाल नहीं
मैं जैसा सोच के बैठा था अब का साल
अफसोस ! 'समर' ये बरस भी वो साल नहीं
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~𝕾𝖆𝖒𝖆𝖗
In the end of the story, You are the only one....!!... read more
सरे शाम दिल लगाए कोई
करे बातें नज़रे चुराए कोई
रूठना भी अब किसकी खातिर
हो अगर तो मनाये कोई
तुम मेरी मौत का जश्न मनाओ
यकीनन कहीं आँसू बहाये कोई
ये शहर है मुर्दों का शहर
रोज़ मेरी कब्र पर आये कोई 💐
मेरा वजूद मिटाने की बात करते हैं
गुजरू इधर से तो नज़र ना आये कोई
लिखा तो था दाने दाने पर
मगर कमाए कोई खाये कोई-
नफरत तो मोहब्बत से बड़ा और ताकतवर जज़्बा है |
जब दो मोहब्बत करने वाले कभी अगर जुदा हो जाए और नफरत की दहलीज तक पहुँच जाए तो वो उस जगह, वक़्त और मकाम यहाँ तक कि रंगों और बातों से भी नफरत करना शुरू हो जाते है जो पहले उनके महबूब से जुड़ी होने की वजह से उनके दिल के करीब होती हैं | उस शख्स से जुड़ी सारी यादों को नफरत की लपेट में क्यों डाल लेते हैं ? यादें तो मासूम होती हैं
~परिजाद-
जो तिज़ारत ए इश्क़ से बहल जाए
समेट ले बोरिया बिस्तर..निकल जाए
हम भी तो फक़त ऐसे नहीं थे
किसने कहा था उसे बदल जाए
मेरी मुहब्बत वहशी लगती है तुम को
देख लीजिये जो रंगे अदब में ढल जाए
मुझ से भी ज्यादा अज़ीज़ है तुमको
मुश्किल है ये अना संभल जाए
शुबा है के हम उसे भुला दे मगर
यकीं है हम उसके दिल से फिसल जाए
वो जो हो रहा है तिरे दिल में दाखिल
मुश्किल ही है ज्यादा दिन चल जाए
शब ए तन्हाई किसको जी चाहता है समर
कौन है जिसके लिए जी मचल जाए
— % &-
पूरी रात मैं ये सोचता रहा जाग के
कि क्या तोहफा लाऊँ तिरे जन्मदिन के वास्ते
यूँ तो मेरी बुरी आदतें तुझे कुछ खास पसंद नहीं
तो क्यों न तुझे तोहफा दिया जाये बुरे ऐमाल त्याग के
रब से यही दुआ है कि तुझे हर घड़ी खुशियाँ नसीब हो
कामयाबी तेरे कदम चूमे हर गली हर रास्ते
मैं तो मरते दम तक तिरी मुहब्बत चाहूंगा
तू कभी ना खत्म करना अपने राबते
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"पुल" - The story of a Bridge
किसी की हिज़्र काट रहे इंसां के दिल में अपने लिए मोहब्बत भरना यानी उसके माज़ी के ग़मों को काट कर मुस्तक़बिल में आने वाली खुशियों के लिए एक पुल 🌉 बनाने जैसा है ....
लोग आयेंगे और हमारे सहारे ये दरिया-ए-हिज़्र पार करेंगे और हम वो जो अपने दिल में किसी और का ग़म समेटे हुएे होंगे और वो है किसी और के जज़्बातों से फुल होगा, अब हमें ये बताने में कैसी शर्म...के हमारी ज़ात का तज़्किरा अब इंसान नहीं पुल होगा...
लेकिन हक़ीक़त ये है के उस सितम-गर के मिराज़-ए-मोहब्बत की दीद हमारी निगाहों को पैहम होती है लेकिन हश्र के दिन अपने क़ल्ब के हज़ार टुकड़े देख ये पता चल ही जाना है की वो दरख़्त किसी बाराँ की प्यास में मुंतज़िर था और हम तो सिर्फ़ राहगीर थे....😊
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लोगों का हूजूम भर के नाव आया है
लगता है शहर में फिर चुनाव आया है
फिर किसी ने मगरमच्छ के आँसू बहाये हैं
फिर कोई वोट माँगने गाँव आया है
चोर चोर है सब सियासतदार मौसेरे भाई
इनकी वजह से बस्ती में तनाव आया है
दोहरा खेल है सियासत का किसे पता के
कौन सलामत है यहाँ किसने घाव खाया है
महलों की परवरिश क्या जाने धूप क्या है
किन जावियों से झोपड़ी में छाँव आया है
ठंडे लहू से बुझ गईं मशालें इंकलाब की
खौलते लहू में आज फिर ताव आया है-
इश्क़ का सबब जरूरी नहीं कि कुर्बत हो
जिस तरह जुदाई का सबब नफरत हो
उसका मुझसे दूर जाना लाजमी था
जब इस तरह की मेरी हरकत हो...
फकत मैं ही क्यों उसे चाहूँ इतना बता
खुदा यूँ हो के उसे भी मेरी हसरत हो
तुम्हारे बाद किसी और को चाहेंगे
दिल कोई घर नहीं कि हिजरत हो
मैं उसके चाँद का ख्याल रखूँगा
उसे भी मेरे आसमाँ की अजमत हो
मिरी मोहब्बत का ख्वाब पागल देखे
मेरा ख्वाब है अपनी मोहब्बत हो
वजह मुनासिब ना थी इंकारी की
जिसे सुनकर हर किसी को हैरत हो
वो गया है जिस तरह तुम्हें तोड़ के 'समर'
अब तो हमें उस नाम से भी वहशत हो
-samar-
कौन जाने के किसे खबर लग गई है
हमारे रिश्ते को किसी की नजर लग गई है
रिवायतन फासला ही बचा है दरमियाँ
आदतन ये कुर्बतें भी सफर पर गई हैं
दोनों इसी तवक़्क़ो में है कोई तो बोले
ये क्या दिलों में उदासी घर कर गई है
सू-ए-दार की जानिब चल पड़े है हम भी
जब से सुना है वो मेरे गम में मर गई है
क्या खबर इन हसीं अशआ'र का सबब कौन है
जिस एक शख़्स पर इतनी ग़ज़लें बन गई हैं
तुमनें मोहब्बत में अना को तरजीह दी है 'समर'
फिर मत कहना वो लड़की आगे निकल गई है
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