तू मुझें ख़त्म करती थक नहीं रही ए ज़िन्दगी...
किसी रोज़ मैं थक कर, तुझें ख़त्म कर दूँगी !!-
टूट चुकी हूँ मैं,मेरे हौसलों में जान नही है।
कट चुके है पंख ,उड़ान नहीं है।
क्या पता अब किस्मत क्या रंग दिखाए,
या तो जीवन सवर जाए,
या फिर हम ही चले जायें...!!-
थक गया तेरे 'इम्तहानों' से, मैं ज़िन्दगी
ऐसा कर अब तू मुझे, 'फेल' कर ही दे
- साकेत गर्ग 'सागा'-
हमेशा "तूफानों" पर ही "शक" नहीं करना चाहिए,
कभी कभी "चिराग" जलते जलते भी "थक" जाया
करते हैं...!!!
(:--स्तुति)-
थक गयी होंगी उँगलियाँ लिखते लिखते
कहो तो जुबाँ से कर लें बची खुची बातें-
थोड़ा,
मैं आंखें बंद करके,
खुद कोे समेट करके,
बैठ लूँ दो पल।
दिल करे!!
बहुत थक सी गयी हूँ मैं...
-
उसको पढ़े बिन दिन गुज़रता नहीं
वो कहते हैं थक गए अब ख्वाब बुनते नहीं-
जब लफ्ज़ थक गए तो फिर आँखों ने बात की
जो आँखें भी थक गयीं
तो अश्कों से बात हुई-
मुस्कान बिखेर बिखेर कर
थक गया हूँ अब,
पास आओ कभी तो
दिखाऊं तुम्हे अपने अन्दर का अँधेरा।।-