स्त्री को प्रेम करना बहुत सरल हैं
उसको तुम्हारे बड़े वादे नहीं चाहिए
बस तुम उसके साथ हरसिंगार चुनना
पुरुष के कठोर प्रेम को इतना ही सरल
होना चाहिए ....-
जिन स्त्रियों को कभी
आज़ादी नहीं मिली पुरुषों से
जो संघर्ष करती रही अपने अधिकारों
के लिए उन सभी स्त्रियों को
करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएं ...-
वो : अक्सर मैं तुम्हारी किताबो के
आखरी पन्नो पर बुकमार्क
लगा देखता हूं..
हर किताब अधूरी क्यों छोड़ देती हो ...
हां अक्सर मैं अपनी मनपसंद किताबो
का आखरी पन्ना बिना पढ़े ही छोड़ देती हूं...
वो: क्यों ..
क्योंकि मुझे जल्दबाजी में चीज़ें
ख़त्म करने से डर लगता हैं
बहुत पीड़ादायक होता हैं
किसी भी वस्तु का ख़त्म हो जाना
और फ़िर वही हमारी उदासी की
वजह बनती हैं...
मुझे आखरी पन्ने की उम्मीद
उस किताब से जोड़े रखती हैं ...
पता हैं दुनिया में हर वो वस्तु उदास हैं
जिसे वक्त से पहले ख़त्म
कर दिया गया हों चाहे वो
किताब हो या प्रेम ...-
व्यक्ति के व्यक्तत्व को निखरना जरूरी है
न की बाहरी आवरण को ...
मज़ा तो तब आए ...
जब किरदार भी उतना ही महके
जितनी इत्र की शिशिया खाली करी हो ...
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किसी घर की यादें ढूंढनी
हो तो खाली पड़ी दीवारों पे लगी
कीलो को देखना ...
जहां दीवारों ने तस्वीरों के हटने से
यादों की नमी को सोख लिया हो...-
प्रिय !
तुम जीवन के आख़री बसंत में
कुछ वक्त साथ ठहर
जाने के लिए आना ...
नहीं तो लोग बातें बनाएंगे की
प्रेम के अभाव में मर गई
क्योंकि मेरा मानना हैं ...
प्रेम करना तो जीवन जीना
जितना सरल होना चाहिए ...-
जाने ये रंग क्या बताना चाहते है मुझे
शायद तुम्हारे बारे में कुछ कहना
चाहते हैं मुझसे...
सुनो!!
कुछ अधूरे से ख़्वाब
कुछ अधूरी सी खाव्हिश
अब भी कुछ अधूरा सा है
उस कैनवास पर जिसे पिछली
सर्दी छोड़ गए थे ....
तुमने ही तो कहा था
बिखरने दो रंगों को
ये ज़िद्दी होते है
मन का सुनापन नही समझते
भर गए थे कुछ रंग मेरे मन में
फ़िर ये अधूरापन कैसा
अब क्या नहीं लुभाते तुमको
तुम्हारे ज़िद्दी रंग ...
लौट आओ बर्फ गिरने से पहले
मेरे फ़िर से जम जाने से पहले....-
आज माँ की याद में मैंने भी
कुछ ऐसा कर लिया ....
उनकी साड़ी पहन कर
खुद को आईने में निहार लिया
जब देखा खुद का अक्स
तो अपना नही माँ का नज़र आ गया ..-
श्वेत रंग सा प्रेम मेरा
तुम खेलो न फ़ाग रंग
रंग दो प्रीत रंग सिंदूरी
रंगरसिया रंगबसिया ...-
शिव शंभू,शिव शंकर
अखंड हैं प्रचंड हैं
भसम में लीन हैं
यही महाकाल हैं यही महाकाल हैं
कंठ में विष हैं
गले में मूँड़ हैं
यही शिव हैं यही शिव हैं
शक्ति के उपासक
माता पार्वती के रक्षक
यही महादेव हैं यही महादेव है
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