बेशक छोड़ देना, अगर जाना चाहते हो
कमी हमारे पास भी नहीं,
आख़िर आजमाना क्या चाहते हो?-
जो सब्र शब्दों को बयां करके मिलता है कागज़ पर,
वो किसी को मुंह से बताकर जताने में कहां।-
अब ज़िंदगी के इस मोड़ पर आ गए है,
कि जीने का मन नहीं है और मर सकते नही है।-
जीत गया बार बार
वो कहता रहा
हार गया हर बार मुझे
वो खोता गया
इस हार जीत के खेल से बार बार
वो रिश्ता हमारा दम तोड़ता रहा
मर्द है झुकेगा नही बार बार
वो हर बार ये एहसास दिलाता रह गया
आजमाओ नही सब्र को बार बार
वो हर बार कहता रहा
मैं टूट के बिखर गई बार बार
वो हर बार का एक एक टुकड़ा हटाता रह गया
गुस्से में खुद को वो जलाता रहा बार बार
वो सबकी सुन के कड़वाहट भरता रह गया
फिक्र मोहोब्बत जज़्बात दिखाता रहा वो हर बार
वो चाहता है मुझे बार बार बताता रह गया-
समझाऊं भी तो कैसे,
जिसे समझाना चाहती हूं वो हर बात को गलत समझता है।-
अलग ही होना है तो कह दो एक बार,
यूं रोज़-रोज़ की कलेश अच्छी नहीं होती,
अकेले हम कितनी ही कोशिश कर ले सब सही करने की,
यूं साथ रह कर एक आदत होती है मोहोब्बत नही होती।-
रात को जागने वाला हर शख्स
मोहब्बत का हारा नही होता
कुछ दर्द इंसान को किस हद तक तोड़ देते है
ये हर किसी को बताया नही जाता-