a whisper of the past
which will keep haunting me,
telling me how every year,
I survive this month
by pure chance,
and someday,
I won't.-
वो चाँद शायद आधा रह जाता है बातों में हमारी,
एक सुनहरा हिस्सा छोड़ जाता है रातों में हमारी।-
I keep looking at those
photographs
while having a cigarette,
in hope that someday,
the copy of these memories
will burn away
from my aching heart.
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दिल के टुकड़ों को फिर जोड़ न पाया।
फिर उस रात आयी उदासी मेरे पास
उसको गले लगाकर अपने पास बैठाया।
करी शिकायतें उससे ढेर सारी फिर मैंने
बहुत दिनों से गायब सा था उसका साया।
हँसकर पूछा उसने फिर मुझसे सवाल
इतना खुदगर्ज़ हो कर तूने आखिर क्या पाया?
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मैं चाहता हूं कि शांत कर
सकूँ वो चींखें जो युद्ध के क्षेत्र में
गूंजती रहती है।
कभी किसी नवजात की, कभी किसी जवान की
तो कभी किसी वृद्ध इंसान की जो जब शायद
पैदा हुआ था तो सोचा नहीं होगा
कि लेगा अंतिम सांस युद्ध की भूमि में।
मिसाइलों की आवाज़ें
शायद छिपा देती है वो
चींखें पर मैं सुन सकता हूँ उन्हें
जब कि मैं खुद भी नहीं हूँ
युद्ध क्षेत्र में।
शायद कभी कभी
दुःख सीमाएं लांघ जाता है,
शायद दुःख नहीं जानता है
कोई भी सीमाएं।
...
(कविता कैप्शन में)-
हमारे बचपन के लोगों का समाप्त होना
हमारे बचपन के कुछ अंशों के समाप्त होने जैसा होता है।
और उसी समय पर
शायद हमें उन यादों को
ज़ोर से पकड़ कर बैठना चाहिए
ताकि उन अंशों के साथ
धीरे धीरे कहीं
हमारा बचपन खत्म न हो जाये।-
It feels like my words were wandering for a long time, and finally somehow, when I met you, you became my words.
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तुम्हारी दोस्ती के किस्से तुम सुनाते हो ज़माने में
हमारे इतने किस्से है ज़माने में अब याद भी नहीं।-