Bansari Rathod 11 MAR 2019 AT 17:22 क्यों इतराते हैं आप इश्क़ पे अपने जब,हमने भी तो हुश्न अपनी ज़ानिब पाला हैं,समझते हैं आप खुद को आलमपनाह पर,हमने ही तो इश्क़-ए-तख़्त पर बिठाया हैं। - Gokul Upadhyay 2 OCT 2019 AT 1:45 ना चाहत हमें तख़्त-ओ-ताज कीना ही तेरे हुस्न-ओ-शबाब कीहमें तो पसन्द है बस बू-ए-कबाब की!!😂😝😂 - Ziddi Satya 2 AUG 2017 AT 21:09 तख्त-ए-दिल न मिला, न हार हैरानी की हुई..मोहब्बत जुर्म हुआ, सजा खारे पानी की हुई.. - Sudhanshu Shekhar 10 JAN 2022 AT 11:38 कुर्सीनशीन(अनुशीर्षक में पढ़ें) - Adarsh Nakum 11 MAR 2020 AT 20:06 कभी कभी पलभर मैं ही तख़्त पलट जाता है,देखते देखते यूँही पूरा मौसम ही बदल जाता है।किसीको नाक़ाम मत समजिये जनाब, क्योंकिमाचिस की एक तीली से जंगल जल जाता है। - Ankit susheela Tiwari 24 JUN 2020 AT 19:06 बात अगर दिल से निकलेगी ,तो हर कोई सुनेगा बहरी निकली गर सरकार ,तो कोई क्या करेगा बात अगर हक़ की होगी ,तो हर कोई लड़ेगा गूंगी होगी गर सरकार ,तो कोई क्या करेगा खामोश कोई कब तक रहे ,अब हर कोई शोर करेगा चाहे गूंगी या बहरी हो सरकार ,अब तख़्त हिलेगा - Adarsh Sinha 17 JUN 2020 AT 12:35 हर चीज का गवाहवक़्त हैजिसका सियासतउसी का तख़्त है - Ghumnam Gautam 2 JAN 2021 AT 22:00 बैठ तख़्त पे वो क़त्ल-ए-आम देखते रहेरावणों मे हम सदैव राम देखते रहे - Sameer Syed 17 AUG 2020 AT 17:03 स्वाभिमान अपना बेचकर,बैठा है जो तख़्त पर,,हम क्या और क्युँ अभिमान करें,ऐसे शख़्स पर,, - Sheetal's Thought Catalog 20 JAN 2021 AT 23:52 कविता से चूल्हा नही जलताकविता से पेट भी नही भरतान ही प्यास बुझती हैकिंतु, कविता ढांढस देती है।कविता किसी ग़रीब केउघड़े तन को नही ढक सकतीकिन्तु भावनाओं के उबाल कोशब्दों में ढालती है।कविता संकल्प को बल देती हैकमज़ोर की सिसकियों को,ताकतवर की बेबसी मेंबदलने का माद्दा रखती है।इतिहास साक्षी है,जब भी कविता सुलगती है,अवाम के दिलों मेंतब तख़्त बदलते देर नही लगती! -