चंद्रयान ने हिन्दुस्तान को पैगाम भेजा है की चाँद ने इस मुल्क को सलाम भेजा है
चंद्रयान के चन्द्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की खुशी को शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता है| लैंडिंग के वक़्त दिल की तेज़ धड़कनों और लैंडिंग के बाद बदन के खड़े रोयें और आँख के कोने से बह रही आंसू की बूँद ने ही भावनाओं को व्यक्त कर दिया | जय हिन्द
गुरु द्रोण की रखके प्रतिमा लक्ष्य को साध्य बनाऊंगा अर्जुन जैसी सुविधा बिन मैं एकलव्य बन जाऊँगा बिछा रहे हो पथ पे कांटे लहू लूहान मैं हो जाऊं इन काँटों के पथ पे चल के मैं इतिहास बनाऊंगा
दुनिया को बस चकाचौंध इस मंज़िल की ही दिखती है मंज़िल तक के सफर को फिर मैं चकाचौंध कर जाऊंगा जलते दीपक को आंधी ने फूँक मार के बुझा दिया कह दो आंधी से फिर सूरज तप्ता मैं बन जाऊँगा
डुबो के नौका दरिया में इन लहरों ने हुंकार किया तैर के लहरों से दरिया के पार उतर मैं जाऊँगा बाधाओं ने रोकी राहें चुपचाप खड़ा क्यों रह जाऊं चट्टान तोड़ नदियों की भाँति अपनी राह बनाऊंगा
कहती दुनिया मुझसे ये तुम हार कभी तो मानोगे जब तक सांस चले जीवन की हार कभी न मानूंगा बंजर ज़मीं की कोख में तुमने बीज वृक्ष का डाल दिया अब गंगा मैं शिव की जटा से बनके भगीरथ लाऊंगा
कुछ हार गए कुछ टूट गए कुछ बीच सफर में छोड़ गए पर देख मुसीबत की आँखों में मैं यूँ ही मुस्काऊंगा कुरुक्षेत्र में रख न दे फिर से अर्जुन गांडीव कभी धर्म की खातिर फिर से मैं कृष्ण की गीता गाऊंगा