Sudhanshu Shekhar   (सुधांशुशेखर)
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कुछ अनकही कुछ अनसुनी कहानियां
Joined 28 August 2016


कुछ अनकही कुछ अनसुनी कहानियां
Joined 28 August 2016
13 SEP AT 9:18

अपना सबकुछ निसार दिया
लेकिन तुमने मोहब्बत का
ये कैसा सिला हर बार दिया

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13 SEP AT 9:12

बोझिल हो जाएंगे ज़िंदगी के पल छिन

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6 SEP AT 19:36

मरासिम आंखों से आंसुओं के

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4 SEP AT 14:39

चल पड़ा मैं
प्रकृति की खोज में
झूठ से दूर

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4 SEP AT 11:57

तुझे पाने की हसरत है

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4 SEP AT 11:54

समस्या का निदान होगा

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4 SEP AT 11:49

बस एक तुम्हारी छोटी सी क़ुरबत के लिए

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4 SEP AT 11:46

घाव भर देता है पुराने
पराए हो जाते हैं अपने
प्रेम पैदा हो जाता है कब
समय बदल देता है सब

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29 AUG AT 1:23

लिख डालो अनुभव हो मीठा या तीखा

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28 AUG AT 22:19

देखते देखते तुम नौ साल के हो गए। तुम्हारी पैदाइश के दिनों से मैंने तुम्हें रोज़ाना बड़ा होते देखा है। इन सालों में तुमने जो अनुभव प्राप्त किए वे अक्सर हम साठ सालों में भी नहीं हासिल कर पाते। इतनी कम उम्र में तुमने जो झंझावात सहे वह हमें अचरज में डालता है। विपरीत परिस्थितियों में भी खड़े रहना, उसका सामना करना और उन परिस्थितियों से उबर कर सर उठाकर जीना कोई तुमसे सीखे। गिर कर उठने की प्रेरणा मिलती है तुमसे।

तुम्हारे पटल पर मैंने अपनी ज़िन्दगी के उन तमाम पहलुओं को साझा किया है जो या तो मैं कभी लिखता नहीं या ज़हन की क़ैद से बाहर नहीं निकाल पाता। वजह शायद डायरी लिखने की आदत का न होना या इसकी आवश्यकता नहीं समझना हो सकती है।

अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बन कर तुम मेरी ज़िंदगी में आए और मैं अपने दिल की बातें लोगों से साझा कर पाया। तुम्हें कोटिशः धन्यवाद। स्वस्थ रहो और निरंतर वृद्धि करो।

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