Sudhanshu Shekhar   (सुधांशुशेखर)
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कुछ अनकही कुछ अनसुनी कहानियां
Joined 28 August 2016


कुछ अनकही कुछ अनसुनी कहानियां
Joined 28 August 2016
31 JUL AT 23:58

मुझे सुनने की भी हिम्मत नहीं

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30 JUL AT 13:29

फिर भी आस संजोए है

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30 JUL AT 13:25

उसे अब किसी से मोहब्बत नहीं है

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30 JUL AT 13:21

Script writing series
for JSCSFC
Part four

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26 JUL AT 11:26

डाल पर बैठी ये चिड़िया कितना सुकून महसूस कर रहीं। कुछ ही दिनों पहले पिंजरे में क़ैद थी। भला हो उस नन्ही गुड़िया रानी का जिसने पिंजरे की कुंडी खोल दी और उन्हें खुली हवा में सांस लेने का मौक़ा मिला।

यह गुड़िया रानी जिस घर में रहती है वह भी तो एक पिंजरा है जिसमें क़ैद है उसकी मां। यह पिंजरा सदियों पुराना है। जंग लगा हुआ है पर कुंडी खोल कर बाहर निकल कर उड़ने की हिम्मत न उसकी मां कर सकी और न ही उसकी दादी।

अब इस गुड़िया रानी ने इस पिंजरे की कुंडी खोलकर उम्मीद की लौ जगाई है कि कोई भी चिड़िया अब पिंजरे में क़ैद नहीं रहेगी।

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26 JUL AT 8:18

तुम्हे रोने की थी पड़ी

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26 JUL AT 8:15

फ़िर भी गुमान नहीं छूटता इंसान का

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25 JUL AT 13:48

मेरे संवरने तक
सफ़र है मोहब्बत का

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25 JUL AT 13:43

इस संगदिल ज़माने में

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25 JUL AT 13:38

कट गई ज़िंदगी
वक्त काटते काटते

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