मुझे सुनने की भी हिम्मत नहीं
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Sudhanshu Shekhar
(सुधांशुशेखर)
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कुछ अनकही कुछ अनसुनी कहानियां
Joined 28 August 2016
26 JUL AT 11:26
डाल पर बैठी ये चिड़िया कितना सुकून महसूस कर रहीं। कुछ ही दिनों पहले पिंजरे में क़ैद थी। भला हो उस नन्ही गुड़िया रानी का जिसने पिंजरे की कुंडी खोल दी और उन्हें खुली हवा में सांस लेने का मौक़ा मिला।
यह गुड़िया रानी जिस घर में रहती है वह भी तो एक पिंजरा है जिसमें क़ैद है उसकी मां। यह पिंजरा सदियों पुराना है। जंग लगा हुआ है पर कुंडी खोल कर बाहर निकल कर उड़ने की हिम्मत न उसकी मां कर सकी और न ही उसकी दादी।
अब इस गुड़िया रानी ने इस पिंजरे की कुंडी खोलकर उम्मीद की लौ जगाई है कि कोई भी चिड़िया अब पिंजरे में क़ैद नहीं रहेगी।-