मैं अक्सर शाम लेकर भटकता रहता हूँ..
और तुम रात बुझाकर दिन कर देते हो..
कभी चाँद पर भी अटका करो,
तब जा कर मुलाक़ात होगी..-
ऐ खुदा! क्यों ज़िन्दगी से अनजान हो जाता हूँ
'अजनबी मैं' से,मैं बड़ा परेशान हो जाता हूँ-
नैना समझदार बने,
अलविदा दिखने न दिया..
दिल ज़िद्दी था,
पुकारता और रोता रहा..-
लगता है चाँद को दर्पण बना कर,
तुमने श्रृंगार किया है आज..
वरना चाँद में ऐसी चमक,
कँहा होती हर रोज..-
~*चेहरे नए अब भयभीत करते हैं मुझको*~
चेहरे नए अब भयभीत करते हैं मुझको..
ऐसा नहीं कि वो डरावने हैं,ना ही उनकी बातें डरावनी है..
चहकते अंदाज, ज़िंदादिली और उनके संग भी लुभावनी है..
बस ये पता नहीं चलता कि उनका असली चेहरा क्या है,
मीठी बातें तो बोलते पर उनका असली जिगरा क्या है,
मैं तो वैसे भी खोजी हूँ, ढूँढ ढूँढ कर दोस्त बनाया है,
बहिर्मुखी से अंतर्मुखी,सबको अपनाया है..
मुझे पता था ,तुम भी चले जाओगे,
दिल ही बेचारा है, सोचता फिरे कब आओगे..
अब भी कई सवाल हैं, और हर जवाब तेरे पास है..
पर अब कौन पूछे तुमसे,ना वक़्त मेरे पास है ना तेरे पास है..
बस सीख लिया है अब,
प्रकृति से अच्छी कोई दोस्त नहीं..
माना हर मौसम में वो भी रंग बदलती
पर हर साल वापस तो आतीे..
मेरे हर प्रश्न का उत्तर तो लाती..
अगर अब सामने से कोई दोस्ती का हाथ बढ़ाये,
तो ये अचंभित करता है मुझको,
चेहरा नया भयभीत करता है मुझको..-
लैला-मजनू ,हीर-राँझा
होगी सब की प्रेम गाथा अनोखी..
पर मैं तुम्हें
कविताओं की पंक्तियों सा
मोहब्बत करता..
वो मुझे ज्यादा सच्चे और पाक़ लगते..
-
तूने जुगुनू सा बना दिया, यारा
चमकता तो हूँ, पर उजाला नहीं..
तूने एक ख्वाब सा बना दिया, यारा
दीखता तो हूँ, पर होता नहीं..
तूने एक जंग सा बना दिया, यारा
जीतता तो हूँ , पर हारता कोई नहीं..
तूने एक गीत सा बना दिया, यारा
गाता तो हूँ, पर श्रोता कोई नहीं..
तूने जुगुनू सा बना दिया , यारा..-