Ziddi Satya  
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Practicing my mind..
Joined 9 February 2017


Practicing my mind..
Joined 9 February 2017
27 SEP 2018 AT 9:00

मैं अक्सर शाम लेकर भटकता रहता हूँ..
और तुम रात बुझाकर दिन कर देते हो..

कभी चाँद पर भी अटका करो,
तब जा कर मुलाक़ात होगी..

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24 MAY 2018 AT 22:19

केवल लिखना ही नहीं, collab करवाना भी एक कला है..

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18 DEC 2017 AT 9:58

ऐ खुदा! क्यों ज़िन्दगी से अनजान हो जाता हूँ
'अजनबी मैं' से,मैं बड़ा परेशान हो जाता हूँ

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25 NOV 2017 AT 14:45

रंग पहाड़ों ने भी बदला अचानक,
अब मुझे तुमसे शिकायत नहीं..

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27 JUN 2017 AT 11:34

नैना समझदार बने,
अलविदा दिखने न दिया..
दिल ज़िद्दी था,
पुकारता और रोता रहा..

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18 MAY 2017 AT 13:16

चाँद की धूप भी खिलेगी,
रोशिनी की छाँव भी बनेगी..

कोई मामूली बात नहीं है तुम्हारी चर्चा करना..

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9 MAY 2017 AT 13:44

लगता है चाँद को दर्पण बना कर,
तुमने श्रृंगार किया है आज..
वरना चाँद में ऐसी चमक,
कँहा होती हर रोज..

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24 APR 2017 AT 8:41

माँ तेरी मुस्कान देखकर,
ज़िन्दगी की धूप भी छाँव सी लगती..

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16 APR 2017 AT 13:10

मेरा हर ख्वाब तुम सा है,
मेरा हर शौक तुम सा है,
मेरी चाहत के मौसम का,
हर सावन भी तुम सा है..

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16 APR 2017 AT 13:00

~* किश्तों में खरीदी थी मैंने *~

किश्तों में खुशी खरीदी थी मैंने,
यूँ झटके में नीलाम न होने दूँगा..

बड़ी फुरसत से पिरोया था, वक़्त को,
तेरे चाहत के धागे से..
बड़ी मन्नत से पाया था, तुम को,
मेरे चाहत के वादे से..

बड़ी हिम्मत से मुस्कान जीती थी मैंने
यूँ पल भर में न खोने दूँगा..
किश्तों में हँसी खरीदी थी मैंने,
यूँ सस्ते में आम न होने दूँगा..

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