मैं अक्सर शाम लेकर भटकता रहता हूँ..
और तुम रात बुझाकर दिन कर देते हो..
कभी चाँद पर भी अटका करो,
तब जा कर मुलाक़ात होगी..-
ऐ खुदा! क्यों ज़िन्दगी से अनजान हो जाता हूँ
'अजनबी मैं' से,मैं बड़ा परेशान हो जाता हूँ-
नैना समझदार बने,
अलविदा दिखने न दिया..
दिल ज़िद्दी था,
पुकारता और रोता रहा..-
चाँद की धूप भी खिलेगी,
रोशिनी की छाँव भी बनेगी..
कोई मामूली बात नहीं है तुम्हारी चर्चा करना..-
लगता है चाँद को दर्पण बना कर,
तुमने श्रृंगार किया है आज..
वरना चाँद में ऐसी चमक,
कँहा होती हर रोज..-
मेरा हर ख्वाब तुम सा है,
मेरा हर शौक तुम सा है,
मेरी चाहत के मौसम का,
हर सावन भी तुम सा है..-
~* किश्तों में खरीदी थी मैंने *~
किश्तों में खुशी खरीदी थी मैंने,
यूँ झटके में नीलाम न होने दूँगा..
बड़ी फुरसत से पिरोया था, वक़्त को,
तेरे चाहत के धागे से..
बड़ी मन्नत से पाया था, तुम को,
मेरे चाहत के वादे से..
बड़ी हिम्मत से मुस्कान जीती थी मैंने
यूँ पल भर में न खोने दूँगा..
किश्तों में हँसी खरीदी थी मैंने,
यूँ सस्ते में आम न होने दूँगा..-