राह कितने मिले थे, फिर भी एक ही मेला है..
जनाजे सैकड़ों तो है, सफर फिर भी अकेला है..-
मैं अक्सर शाम लेकर भटकता रहता हूँ..
और तुम रात बुझाकर दिन कर देते हो..
कभी चाँद पर भी अटका करो,
तब जा कर मुलाक़ात होगी..-
ऐ खुदा! क्यों ज़िन्दगी से अनजान हो जाता हूँ
'अजनबी मैं' से,मैं बड़ा परेशान हो जाता हूँ-
नैना समझदार बने,
अलविदा दिखने न दिया..
दिल ज़िद्दी था,
पुकारता और रोता रहा..-
चाँद की धूप भी खिलेगी,
रोशिनी की छाँव भी बनेगी..
कोई मामूली बात नहीं है तुम्हारी चर्चा करना..-
लगता है चाँद को दर्पण बना कर,
तुमने श्रृंगार किया है आज..
वरना चाँद में ऐसी चमक,
कँहा होती हर रोज..-
~* ज़िद्दी दिमाग ज़िद्दी दिल *~
सरपंच खोज रहा हूँ मैं,
पंचायत बुलवानी है..
दिल और दिमाग में,
जरा सुलह करवानी है..
दिल,दिमाग से पैदल है,
और दिमाग, दिल से ज़िद्दी है..
दिल बोले मैं हूँ सच्चा,
दिमाग की अपनी कहानी है..
दिल को थोड़ा दिमाग,और
दिमाग को दिल दिलवानी है
थक सा गया हूँ मैं,
आज सुलह करवानी है..-